मुल्ला बरादर को मिल सकती है अफगानिस्तान की कमान, काबुल पर कब्जे के बाद तालिबान कमांडर ने जारी किया वीडियो पोस्ट

Mullah Baradar : मुल्ला बरादर बेहद कम समय में ही तालिबान का दूसरा सबसे बड़े नेता बनकर उभरा. जब कतर में तालिबान और अफगान सरकार के बीच शांति वार्ता शुरू हुई तो मुल्ला बरादर को रिहा कर दिया गया. तभी से वो पर्दे के पीछे से अफगानिस्तान में तालिबान की दोबारा हुकूमत कायम करने के मिशन को अंजाम देने में जुटा था. 

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मुल्ला बरादर ने एक वीडियो Taliban द्वारा राजधानी काबुल पर कब्जा जमाने के बाद जारी किया
नई दिल्ली:

Mullah Abdul Ghani Baradar : तालिबान (Taliban) के अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पर कब्जे और राष्ट्रपति अशरफ गनी के विदेश भाग जाने के बाद देश के नए मुखिया को लेकर अटकलें तेज हो गई हैं. कहा जा रहा है कि कट्टरपंथी इस्लामिक समूह तालिबान का  नेता मुल्ला अब्दुल गनी बरादर देश का राष्ट्रपति बन सकता है. ANI के मुताबिक, मुल्ला बरादर ने एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर पोस्ट किया है, जिसमें अफगानिस्तान (Afghanistan) पर बेहद कम वक्त में तालिबान का नियंत्रण स्थापित होने को लेकर खुशी का इजहार किया गया है. 

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अलजजीरा के मुताबिक, मुल्ला बरादर ने वीडियो पोस्ट में कहा है, इतने कम वक्त में किसी भी मुल्क को जंग में जीत नसीब नहीं हुई यह अप्रत्याशित है. लेकिन अब हमारे सबसे बड़ी चुनौती अफगानिस्तान की जनता की उम्मीदों पर खरा उतरने और अफगान जनता की समस्याओं को दूर करना हमारे लिए चुनौती होगी. यह संदेश मुल्ला बरादर अफगानिस्तान की कमान संभालने की तैयारी का संकेत भी देता है. 

मुल्ला बरादर 1990 के दशक में इस्लामिक शरिया कानून के मुताबिक शासन चलाने वाले तालिबान की नींव रखने वालों में से एक था. उससे पहले 1980 के दशक में जब सोवियत संघ ने अफगानिस्तान पर नियंत्रण स्थापित करना चाहा तो मुल्ला बरादर ने कंधार से सोवियत फौजों के खिलाफ जेहाद का ऐलान किया. मुल्ला बरादर अफगानिस्तान के उरुजगान प्रांतके देहराऊद जिले का रहने वाला और पख्तून है. 

कहा जाता है कि 1980 के दशक में जब सोवियत संघ ने अफगानिस्तान पर नियंत्रण स्थापित करने की कोशिश की तो मुल्ला बरादर ने कंधार में सोवियत फौज के खिलाफ जेहाद का ऐलान किया. अमेरिका में 9/11 हमले के बाद जब 2001 में तालिबान को सत्ता से उखाड़ फेंका गया तो मुल्ला बरादर  अमेरिकी सैनिकों के खिलाफ हमलों में शामिल रहा. वर्ष 2001 के पहले जब अफगानिस्तान में तालिबान शासन कर रहा था तो उस सरकार में मुल्ला बरादर उप रक्षा मंत्री की हैसियत से काम कर रहा था.

तालिबान के लिए फंडिंग जुटाने और नए रंगरूटों की भर्ती के काम में भी उसे महारत हासिल रही है. अमेरिकी हमले के बाद मुल्ला बरादर भूमिगत हो गया और दस साल बाद पाकिस्तान के कराची शहर में उसे पकड़ा गया. कहा यह भी जाता है कि पाकिस्तान को बरादर के उसके देश में छिपे होने की पूरी जानकारी थी. बरादर तालिबान के सबसे बड़े नेता मुल्ला उमर का सबसे भरोसेमंद था.

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बेहद कम समय में ही मुल्ला बरादर तालिबान का दूसरा सबसे बड़े नेता बनकर उभरा. जब कतर में तालिबान और अफगान सरकार के बीच शांति वार्ता शुरू हुई तो मुल्ला बरादर को रिहा कर दिया गया. तभी से वो पर्दे के पीछे से अफगानिस्तान में तालिबान की दोबारा हुकूमत कायम करने के मिशन को अंजाम देने में जुटा था. 


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