सांसदों ने फेसबुक से पूछा - व्हाट्सएप की नई प्राइवेसी पॉलिसी का भारत में यूजर्स पर क्या होगा असर

इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी पर संसद की संसदीय समिति ने गुरुवार को फेसबुक और ट्विटर के वरिष्ठ अधिकारियों से उनकी प्राइवेसी पॉलिसी कंटेंट मैनेजमेंट डाटा प्रोटेक्शन पॉलिसी और हेट स्पीच से निपटने व उनकी रणनीति से जुड़े मसलों पर सवाल जवाब किया.

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प्रतीकात्मक तस्वीर
नई दिल्ली:

इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी पर संसद की संसदीय समिति ने गुरुवार को फेसबुक और ट्विटर के वरिष्ठ अधिकारियों से उनकी प्राइवेसी पॉलिसी कंटेंट मैनेजमेंट डाटा प्रोटेक्शन पॉलिसी और हेट स्पीच से निपटने व उनकी रणनीति से जुड़े मसलों पर सवाल जवाब किया. सूत्रों ने एनडीटीवी को बताया है कि सांसदों ने फेसबुक के वरिष्ठ अधिकारियों से पूछा कि व्हाट्सएप की नई प्रस्तावित प्राइवेसी पॉलिसी का भारत में व्हाट्सएप इस्तेमाल करने वाले उपभोक्ताओं के लिए क्या महत्वपूर्ण है और उन पर क्या असर पड़ेगा.

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सूत्रों के मुताबिक, फेसबुक के अधिकारियों ने संसदीय समिति को बताया कि यह पॉलिसी 2016 से ही व्हाट्सएप ने लागू कर रखा है. यह पुरानी पॉलिसी है. अब सिर्फ उसे पारदर्शी तरीके से सामने रखा जा रहा है. कुछ सांसदों ने फेसबुक और ट्विटर के अधिकारियों से कहा कि भारत में सिर्फ भारतीय निजता से जुड़े कानूनों को ही लागू किया जाना चाहिए.

एक सांसद ने गृह मंत्री अमित शाह के ट्विटर अकाउंट को ब्लॉक करने के फैसले पर सवाल पूछा. सूत्रों के मुताबिक, ट्विटर के अधिकारियों ने कहा यह अकाउंट एक पिक्चर कंटेंट से जुड़े कॉपीराइट की वजह से ब्लॉक किया गया था और इसे आधे घंटे में ही दोबारा खोल दिया गया था.

बैठक में कुछ सांसदों ने यह मुद्दा उठाया कि जिस तरह से अमेरिका में पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सोशल मीडिया अकाउंट को हाल ही में ब्लॉक किया गया उसी तर्ज पर भारत में भी हेट स्पीच के मामलों में फेसबुक और ट्विटर को गंभीरता से कार्रवाई करनी चाहिए. हालांकि कुछ सांसदों ने कहा कि भारत में हेट स्पीच से जुड़े मामलों में भारतीय कानूनों के आधार पर ही कार्रवाई होनी चाहिए.

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सूत्रों के मुताबिक, कुछ सांसदों ने सोशल मीडिया कंपनियों की डाटा प्रोटक्शन पॉलिसी पर भी चिंता जताई. सवाल सोशल मीडिया कंपनियों के पास मौजूद आम नागरिकों से जुड़ी जानकारियों की मोनेटाइजेशन को लेकर भी उठे. इस पर भी चिंता जताई गई कि कोशिशों के बावजूद फेसबुक और ट्विटर पर कई तरह की गलत जानकारियां साझा की जा रही है और मौजूदा रेगुलेटरी फ्रेमवर्क में जो खामियां हैं उन्हें तत्काल दूर करना बेहद जरूरी है.

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