भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की सदस्य आशिमा गोयल ने कहा है कि गरीब किसानों के खातों में पैसे भेजकर उनकी देखभाल करने के बाद सरकार कराधान ढांचे में ‘निष्पक्षता' लाने के लिए अमीर किसानों पर आयकर लगाने के बारे में सोच सकती है. गोयल ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘किसानों को सरकार से धन का हस्तांतरण एक नकारात्मक आयकर की तरह है. इसके साथ ही अमीर किसानों के लिए एक सकारात्मक आयकर लागू किया जा सकता है जो कम कर-दरों और न्यूनतम छूट वाली डेटा-समृद्ध प्रणाली की तरफ बढ़ने का हिस्सा है.'' उन्होंने भारत में कृषि आय पर कर लगाए जाने के बारे में पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए यह बात कही.
प्रख्यात अर्थशास्त्री ने आर्थिक वृद्धि के लिहाज से गठबंधन सरकारों या एक-दलीय शासन में से बेहतर प्रदर्शन के बारे में पूछे जाने पर कहा, ‘‘वृद्धि दर कई चीजों पर निर्भर करती है, लेकिन किसी सरकार के आकलन में यह भी देखना होता है कि उन्हें विरासत में किस तरह की वृद्धि दर मिली और वह देश के लिए क्या छोड़कर गई.'' उन्होंने कहा, ‘‘गठबंधन सरकारों को आम सहमति बनाने की दिशा में काम करना होता है जो एक अच्छी बात है. लेकिन वे ऐसी नीतियों का भी समर्थन करते हैं जो उनके घटक दलों के लिए अल्पकालिक लाभ देने वाली होती हैं लेकिन लंबे समय में उनसे वृद्धि को नुकसान पहुंचता है.''
इसके साथ ही गोयल ने कहा कि एक-दलीय सरकार टिकाऊ दीर्घकालिक वृद्धि को सक्षम बनाने वाले कदम उठा सकती है लेकिन उसे गलत निर्णय लेने से बचने के लिए विभिन्न समूहों से प्रतिक्रिया और रचनात्मक आलोचना के लिए भी खुला होना चाहिए. उन्होंने कहा कि भारत में जीवंत निजी क्षेत्र के साथ सक्षम बनाने वाली सरकारी पहल का भी अच्छा मिश्रण है. उन्होंने कहा, ‘‘यदि उत्पादकता बढ़ाने वाले नवाचार को बढ़ावा दिया जाए तो यह (भारत) वृद्ध होने से पहले ही अमीर बन सकता है.'' उन्होंने कहा कि इसके लिए निजी स्वतंत्रता और क्षमताओं की अच्छी तरह से डिजाइन की गई सरकारी सुविधा की जरूरत है जिसे समझदारी भरे नियमन के साथ सुरक्षा हासिल हो.
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