झालावाड़ हादसे पर राजकुमार रोत ने बीजेपी को घेरा, बोले, 'एक तरफ मासूमों की लाशें, दूसरी तरफ VIP सड़क निर्माण'

बाप पार्टी सांसद ने राज्य सरकार से पीड़ित परिवारों के लिए बड़ी मुआवजा राशि की मांग की है. उन्होंने लिखा कि, 'मृत बच्चों के परिजनों को 1-1 करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता दी जाए.

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  • झालावाड़ में सरकारी स्कूल की छत गिरने से सात बच्चों की मौत ने पूरे देश को गहरा सदमा दिया है
  • सांसद राजकुमार रोत ने अस्पताल के बाहर सड़क निर्माण को लेकर राज्य सरकार की प्राथमिकताओं पर सवाल उठाए हैं
  • उन्होंने मृत बच्चों के परिवारों के लिए आर्थिक सहायता और जमीन देने की मांग की है
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झालावाड़ में सरकारी स्कूल की छत गिरने से सात मासूम बच्चों की मौत ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है. इस बीच जिला चिकित्सालय परिसर के बाहर सड़क निर्माण की तैयारियों पर बाप पार्टी सांसद राजकुमार रोत ने भाजपा सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने एक्स पर दो वीडियो पोस्ट कर राज्य सरकार की प्राथमिकताओं पर सवाल खड़े किए हैं.

सांसद राजकुमार रोत ने एक्स पर किया पोस्ट

उन्होंने लिखा है कि, 'वीडियो में दो दृश्य साफ दिखाई दे रहे हैं, एक तरफ एम्बुलेंस मासूमों की लाशें लेकर अस्पताल की ओर दौड़ रही हैं, तो दूसरी ओर सड़क पर डामर बिछाया जा रहा है. रोलर मशीनें घूम रही हैं और अस्पताल की दीवारों की पुताई की जा रही है. क्या सरकार अस्पतालों की हालत सुधारने के लिए मासूमों की मौत का इंतज़ार करती है. अस्पताल की दीवारें अचानक साफ की जा रही हैं, पंखे ठीक किए जा रहे हैं, डॉक्टरों की कुर्सियों से धूल झाड़ी जा रही है.'

पीड़ित परिवारों के लिए बड़ी मुआवजा राशि की मांग की

बाप पार्टी सांसद ने राज्य सरकार से पीड़ित परिवारों के लिए बड़ी मुआवजा राशि की मांग की है. उन्होंने लिखा कि, 'मृत बच्चों के परिजनों को 1-1 करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता दी जाए. परिजनों को 10-10 बीघा जमीन दी जाए. घायलों को 50-50 लाख रुपये और 5-5 बीघा जमीन का मुआवजा दिया जाए.'

आम लोगों ने भी जताई नाराजगी

सांसद ही नहीं आम लोगों ने भी इस तत्काल सड़क निर्माण को लेकर नाराजगी जताई है. ग्रामीणों का कहना है कि अगर इतनी तेजी स्कूलों की मरम्मत में दिखाई जाती तो शायद ये हादसा नहीं होता.

विपक्षी नेताओं ने सरकार पर किया हमला

विपक्षी नेताओं ने भी सरकार पर असंवेदनशीलता का आरोप लगाया है. उनका कहना है कि सिर्फ वीआईपी के दौरे से पहले अस्पतालों को चमकाया जा रहा है, जबकि ग्रामीण स्कूलों की हालत बदतर है. बच्चों की जान चली गई तब जाकर सरकारी तंत्र को हरकत में आना पड़ा.

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