- मंत्री परमार ने कहा कि अंग्रेजों ने बंगाल में अंग्रेजी शिक्षा के जरिए धर्मांतरण का दुष्चक्र चलाया था
- कांग्रेस ने परमार के बयान को शर्मनाक बताया और सामाजिक सुधारकों की आलोचना की है
- परमार पहले भी इतिहास को लेकर विवादित बयान दे चुके हैं और सरकारी कॉलेजों में विशेष किताबें अनिवार्य कराई हैं
मध्यप्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने समाज सुधारक राजा राम मोहन राय को ब्रिटिश हितों से जोड़ते हुए ऐसा बयान दिया है, जिसने राजनीतिक हलचल मचा दी है. आगर मालवा में बिरसा मुंडा जयंती कार्यक्रम में बोलते हुए परमार ने दावा किया कि राजा राम मोहन राय “ब्रिटिश एजेंट” की तरह काम करते थे और भारतीय समाज को जातियों में बाँटने की साज़िश का हिस्सा थे. परमार ने कहा कि बंगाल में अंग्रेजों ने अंग्रेजी शिक्षा के जरिए धर्मांतरण का एक “दुष्चक्र” चलाया था और कई भारतीय समाज सुधारकों को अपना “ग़ुलाम” बना लिया था. उनके अनुसार यही चक्र बिरसा मुंडा ने तोड़ा और समाज व जनजातीय समुदाय की रक्षा की.
कांग्रेस ने परमार के बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है. कांग्रेस प्रवक्ता भूपेंद्र गुप्ता ने इसे “शर्मनाक” बताते हुए कहा, “क्या सती प्रथा समाप्त करना भी कोई ब्रिटिश दलाली थी? धर्म में फैली विकृतियों को रोकना क्या दलाली थी? आज वे लोग दूसरों को एजेंट बता रहे हैं जो खुद ब्रिटिश एजेंट थे.
यह पहली बार नहीं है जब इंदर सिंह परमार के बयान विवादों में आए हों. इससे पहले उन्होंने कहा था कि भारत की खोज वास्को डी गामा ने नहीं बल्कि एक व्यापारी चंदन ने की थी. विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में दिए इस बयान में परमार ने दावा किया था कि देश को गलत इतिहास पढ़ाया गया है और मूल कथाओं को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है.
पिछले साल उच्च शिक्षा मंत्री उनके विभाग के उस निर्देश को लेकर भी सवालों में घिरे हैं, जिसमें सरकारी और निजी कॉलेजों को अनिवार्य रूप से 88 विशेष किताबें अपने पुस्तकालयों में शामिल करने को कहा गया था. इन किताबों में बड़ी संख्या उन लेखकों की है जो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े रहे हैं, जिनमें पूर्व सरकार्यवाह सुरेश सोनी की तीन पुस्तकें भी शामिल हैं.
2021 में, शिवराज सरकार में स्कूल शिक्षा मंत्री रहते हुए परमार ने कहा था कि “देश में अब तक सिर्फ झूठ पढ़ाया गया. इतिहास को तोड़ा-मरोड़ा गया. ऐसा दिखाया गया मानो सभी खोजें विदेशियों ने की हों और भारत ने कुछ न किया हो. उनके अनुसार स्वतंत्रता से पहले और बाद में एजेंटों को भारत में बैठाकर इतिहास को अपने मुताबिक लिखवाया गया.राजा राम मोहन राय पर दिए गए ताज़ा बयान के साथ ही परमार ने एक बार फिर इतिहास की व्याख्या और राजनीतिक मंशा को लेकर नई बहस छेड़ दी है, जिसके आने वाले दिनों में और तेज़ होने की उम्मीद है.













