दिल्ली की सीमा पर किसान आंदोलन (Farmers Protest) के लिये मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) की राजधानी भोपाल से भी कांग्रेस (Congress) ने बिगुल फूंकने की तैयारी की थी, लेकिन आंदोलन आपसी गुटबाजी में उलझ कर रह गया. 28 दिसंबर (सोमवार) यानी आज विधानसभा सत्र के पहले दिन किसान आंदोलन के समर्थन में विधानसभा का घेराव करने की पार्टी ने योजना बनाई थी, लेकिन पहले तो सर्वदलीय बैठक में विधानसभा स्थगित करने की मंजूरी दे दी. फिर ट्रैक्टर आंदोलन को मौन आंदोलन में तब्दील कर दिया.
इस बीच विपक्ष के आंदोलन से बेफिक्री का दावा करने वाली बीजेपी ने मीडिया को भी विधानसभा परिसर पहुंचने से रोक दिया.
कांग्रेस की योजना ट्रैक्टर पर सवार होकर विधानसभा घेरने की थी, लेकिन बाद में खिलौना लेकर मौन धरने पर बैठना पड़ा. कांग्रेस पार्टी ने आंदोलन की जिम्मेदारी पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव को दी थी. सरकार ने पहले विधानसभा परिसर के आसपास धारा 144 लागू कर भारी वाहनों के प्रवेश पर बैन लगा दिया, फिर भी अरुण यादव ने बड़ी संख्या में ट्रैक्टर ट्रॉली बुलवा लिए लेकिन बाद में सर्वदलीय बैठक में विधानसभा सत्र स्थगित करने का फैसला हो गया, ट्रैक्टर घर में ही खड़े रह गये.
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रविवार की सर्वदलीय बैठक के बाद पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा था आज सर्वदलीय बैठक बुलाई गई थी जिसमें तय हुआ कि सत्र स्थगित किया जाए. हालांकि रविवार देर रात पूर्व केन्द्रीय मंत्री अरूण यादव ने दावा किया था, भले सत्र स्थगित हो गया लेकिन घेराव होगा जो काला कानून है उसके विरोध में जो हमारा धरना प्रदर्शन होने वाला है वो यथावत है.
लेकिन बाद में नेता प्रतिपक्ष कमलनाथ ने विधानसभा घेराव का कार्यक्रम बदलकर मौन धरना देने का फैसला कर लिया, इसे देखते हुए वापस कांग्रेस में गुटबाजी की बात उठी. गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा वो कांग्रेस की संस्कृति है गुटबाजी ... उनके मतभेद सार्वजनिक होते रहे हैं, होते रहेंगे ... वो लोग धरना दे रहे हैं जिन्होंने किसानों को धोखा दिया है, वो धरना दे रहे हैं तो हो सकता है गांधीजी से माफी मांग रहे हों.
हालांकि पार्टी का कहना है सब ठीक है, पूर्व कृषि मंत्री सचिन यादव ने कहा विपक्ष पूरी ताकत से जुटा है, जब किसानों पर मुसीबत आएगी हम ढाल बनकर खड़े रहेंगे आने वाले दिनों में हम वरिष्ठ नेताओं के मार्गदर्शन में रूप रेखा तैयार करेंगे. वैसे सरकार चाहे लाख दावे करे उसे प्रदर्शन से फर्क नहीं पड़ता, हकीकत तो यही था कि प्रदर्शन की तस्वीरें ना दिखें इसके लिये उसने पूरे अमले की तैनाती कर दी थी.
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