सरकारी चिकित्सकों व मेडिकल कॉलेजों के संकाय सदस्यों ने बुधवार को स्वास्थ्य का अधिकार (आरटीएच) विधेयक के खिलाफ आंदोलन कर रहे निजी चिकित्सकों के समर्थन में एक दिन का सामूहिक अवकाश लेने की घोषणा की है. इससे राज्य में चिकित्सा सेवाएं बुरी तरह प्रभावित होने की आशंका है। हालांकि आपात सेवाओं को इस आंदोलन से अलग रखा गया है. निजी चिकित्सक पिछले मंगलवार को विधानसभा में पारित विधेयक को वापस लेने की मांग कर रहे हैं.
स्वास्थ्य विभाग सतर्क
वहीं राज्य स्वास्थ्य विभाग ने मेडिकल कॉलेजों के प्राचार्यों को निर्देश दिया कि ओपीडी, आईपीडी, आईसीयू, आपात व प्रसूति वार्ड में चिकित्सा सेवाएं प्रभावित न हों. सरकार ने उनसे कहा है कि चिकित्सकों के अवकाश स्वीकृत कराये बिना, ड्यूटी से अनुपस्थिति को स्वेच्छा से अनुपस्थिति मानते हुए उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही की जायेगी. इसी तरह सभी विभागाध्यक्षों को निर्देशित किया गया है कि रेजिडेन्ट चिकित्सकों द्वारा किसी भी प्रकार की कर्तव्य के प्रति लापरवाही, राजकीय सम्पत्ति को नुकसान, मरीजों एवं परिजनों से दुर्व्यवहार किये जाने पर उनका पंजीयन रद्द करने की कार्रवाई प्रारंभ करें.
आपातकालीन सेवाएं प्रभावित नहीं
ऑल राजस्थान इन सर्विस डॉक्टर्स एसोसिएशन ने मंगलवार को आंदोलनरत डॉक्टरों के समर्थन में बुधवार को एक दिवसीय हड़ताल की घोषणा की. एसोसिएशन के महासचिव डॉ. शंकर बामनिया ने कहा कि आरटीएच विधेयक के खिलाफ निजी चिकित्सकों के आंदोलन के समर्थन में 15,000 से अधिक कार्यरत (सरकारी) डॉक्टर एक दिन के सामूहिक अवकाश पर रहकर काम का बहिष्कार करेंगे. इनके साथ ही मेडिकल कॉलेज के रेजिडेंट डॉक्टर भी काम का बहिष्कार करेंगे. उन्होंने कहा, 'आंदोलन के समर्थन में सभी डॉक्टर सामूहिक अवकाश पर रहेंगे.' उन्होंने कहा कि आपातकालीन सेवाएं इससे प्रभावित नहीं होंगी.
चिकित्सा महाविद्यालयों से ले रहे सहयोग
सरकारी डॉक्टरों के बंद के आह्वान के बाद चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने निर्देश जारी कर कहा है कि चिकित्सा महाविद्यालय के प्रधानाचार्य दैनिक रूप से चिकित्सक शिक्षकों, चिकित्सकों, रेजिडेंट, पैरामेडिकल एवं नर्सिंग स्टाफ की उपस्थिति निर्धारित प्रपत्र में प्रात: 09:30 बजे तक विभाग को भिजवायेंगे. विभाग के संयुक्त सचिव इकबाल खान ने आदेश जारी करते हुए कहा कि समस्त चिकित्सक शिक्षकों, चिकित्सकों, रेजिडेंट, पैरामेडिकल एवं नर्सिंग स्टाफ का अवकाश केवल विशेष परिस्थितियों में प्रधानाचार्य / अधीक्षक द्वारा स्वीकृत किया जा सकेगा एवं इसकी सूचना भी विभाग को अविलम्ब उपलब्ध कराई जाए.
सीधे बात करे सरकार
निजी चिकित्सकों का कहना है कि आरटीएच विधेयक से निजी अस्पताल के कामकाज में नौकरशाही का दखल बढ़ेगा. विधेयक के अनुसार, राज्य के प्रत्येक निवासी को किसी भी 'सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्थान, स्वास्थ्य देखभाल प्रतिष्ठान और नामित स्वास्थ्य देखभाल केंद्रों' में 'बिना पूर्व भुगतान' के आपातकालीन उपचार और देखभाल का अधिकार होगा. निजी अस्पताल एवं नर्सिंग होम सोसायटी के सचिव डॉ विजय कपूर ने बताया कि निजी चिकित्सकों का आंदोलन आज 11वें दिन भी जारी रहा. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने अभी तक डॉक्टरों को बातचीत के लिए नहीं बुलाया है. डॉ. कपूर ने कहा कि विज्ञापनों पर लाखों रुपये खर्च करने के बजाय सरकार को आंदोलनकारी डॉक्टरों से सीधे बात करनी चाहिए.
दोनों पक्ष अड़े
मुख्य सचिव उषा शर्मा और राज्य सरकार के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने रविवार को आंदोलनरत निजी अस्पतालों के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ बैठक की और उन्हें विधेयक के संबंध में उनके सुझावों पर चर्चा करने का आश्वासन दिया. हालांकि, निजी चिकित्सक इस विधेयक को वापस लेने की मांग पर अड़े हैं और कहा कि विधेयक वापस लेने के बाद ही कोई चर्चा संभव है. विधेयक को प्रवर समिति की सिफारिशों के अनुसार पारित किया गया था. डॉक्टरों का कहना है कि उनकी एक सूत्री मांग विधेयक को वापस लेना है और सरकार द्वारा मांग पूरी किए जाने के बाद ही इसके बिंदुओं पर कोई चर्चा होगी. स्वास्थ्य मंत्री परसादी लाल पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि विधेयक वापस नहीं लिया जाएगा क्योंकि डॉक्टरों द्वारा दिए गए सभी सुझावों को पहले ही विधेयक में शामिल कर लिया गया है और इसलिए यह मांग अनुचित है.
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