केरल में मानसूनी बारिश का कहर, तीन लोगों की मौत, हजारों विस्थापित

विजयन ने एक फेसबुक पोस्ट में कहा कि पथानमथिट्टा, अलाप्पुझा, कोट्टायम, एर्नाकुलम, मलप्पुरम और कासरगोड जिलों में कुल 47 राहत शिविर स्थापित किए गए हैं और 879 लोगों को वहां स्थानांतरित किया गया है.

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प्रतीकात्मक तस्वीर

तिरुवनंतपुरम: केरल में संक्षिप्त अंतराल के बाद बृहस्पतिवार को दक्षिण पश्चिम मानसून की भारी वर्षा हुई तथा दो जिलों के लिए रेड अलर्ट जारी किया गया, जहां हजारों लोग अपने घरों से विस्थापित हो गये हैं. वर्षा जनित घटनाओं में तीन लोगों की जान भी चली गई. भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने आज के लिए कन्नौर और कसारगोड जिलों के लिए ‘रेड अलर्ट' तथा सात अन्य जिलों के लिए ‘ऑरेंज अलर्ट' जारी किया. वैसे उसने यह भी संकेत दिया कि अगले कुछ दिनों में वर्षा की तीव्रता कम हो सकती है.

रेड अलर्ट इस बात का संकेत होता है कि 24 घंटे में भारी से भीषणतम वर्षा यानी 20 सेंटीमीटर से अधिक वर्षा हो सकती है. ऑरेंज अलर्ट छह सेंटीमीटर से 20 सेंटीमीटर तक वर्षा होने का संकेत देता है .खराब मौसम के मद्देनजर मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने लोगों से चौकन्ना रहने की अपील की क्योंकि राज्य के विभिन्न भागों में आकस्मिक बाढ़ आने , भूस्खलन होने तथा आंधी-तूफान चलने की आशंका है.

विजयन ने एक फेसबुक पोस्ट में कहा कि पथानमथिट्टा, अलाप्पुझा, कोट्टायम, एर्नाकुलम, मलप्पुरम और कासरगोड जिलों में कुल 47 राहत शिविर स्थापित किए गए हैं और 879 लोगों को वहां स्थानांतरित किया गया है. मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि भारी बारिश जारी रहने के कारण अचानक बाढ़ आने, भूस्खलन होने और निचले इलाकों में जलभराव की संभावना है और इसलिए लोगों और सरकारी एजेंसियों को सतर्क रहना चाहिए और सावधानी बरतनी चाहिए.

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बारिश की वजह से पेड़ उखड़ने के कारण कई मकान क्षतिग्रस्त हो गए या नदी में जलस्तर बढ़ने से आई बाढ़ में बह गये जिससे बेघर हुए लोगों को राहत शिविरों में शरण लेनी पड़ी. पिछली रात से लगातार हो रही बारिश की वजह से राज्य के विभिन्न जिलों में कई मकानों को नुकसान पहुंचा है. भारी बारिश के बाद इडुक्की जिले में मलंकारा बांध तथा कुछ अन्य बांधों के द्वार अतिरिक्त पानी छोड़ने के लिए खोल दिए गए. अन्य कई बांधों में जल स्तर में गिरावट देखी गई .

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पिछले कुछ दिनों में पूरे केरल में लगातार भारी बारिश होने से सामान्य जनजीवन प्रभावित हुआ है. जगह जगह सड़कें पानी में डूबी हैं, नदियों और बांधों में जल स्तर बढ़ गया है, पेड़ उखड़ने से घर क्षतिग्रस्त हो गए हैं और तटीय इलाकों में भी समुद्री लहरों के कारण मकानों को नुकसान हुआ है.

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