'साधु' बनकर आने वाला 'बेटा' निकला ठग, 10 लाख रुपये की मांग के बाद ऐसे खुला राज

रतिपाल सिंह ने शिकायत की है कि उनके परिवार ने एक व्यक्ति को यह कहकर अनाज दिया कि साधु के वेश में एक व्यक्ति उनका बेटा है. उन्होंने कहा कि वह व्यक्ति अब उन्हें फोन कर रहा है और उन्हें धोखा देने की कोशिश कर रहा है.

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लंबे समय से खोया हुआ 'बेटा' एक धोखेबाज निकला
लखनऊ:

एक मां के लंबे समय से खोए हुए बेटे के 22 साल बाद साधु के रूप में लौटने की दिल छू लेने वाली कहानी, दो सप्‍ताह से भी कम समय में एक परिवार के साथ धोखाधड़ी होने की दिल दहला देने वाली घटना में बदल गई है. दिल्ली में रहने वालीं भानुमति सिंह की खुशी का तब ठिकाना नहीं रहा, जब वह पिछले महीने अपने बेटे पिंकू से मिलीं, जो 11 साल की उम्र में घर छोड़कर चला गया था. उन्होंने पिंकू को बहुत ज्यादा खेलने के लिए डांटा था और गुस्से में आकर वह 2002 में अपने दिल्ली स्थित घर से दूर भाग गया था.

भावुक करने वाला था मां का बेटे से मिलने का दृश्‍य

पिछले महीने भानुमती और उनके पति रतिपाल सिंह को जानकारी मिली कि एक साधु रतिपाल के पैतृक गांव, अमेठी के खरौली में आया है और उसके शरीर पर पिंकू जैसा ही निशान है. उनके रिश्तेदारों (जिनमें उनकी बहन भी शामिल है, जो गांव में रहती हैं) ने रतिपाल और भानुमती को खरौली आने के लिए कहा और जब वे 27 जनवरी को वहां पहुंचे, तो साधु ने उन्हें बताया कि वह वास्तव में उनका बेटा है. भानुमती का अपने खोए हुए 'बेटे' से मिलने का यह दृश्‍य काफी भावुक करने वाला था. इस घटना का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था. इस वीडियो में भानुमती से भिक्षा मांगते हुए एक साधु, राजा के बारे में लोक गीत गा रहा है, जो अपना राज्य छोड़कर भिक्षु बन गया था. वीडियो में भानुमति के गालों पर खुशी के आंसू छलकते देखे जा सकते हैं.

13 क्विंटल अनाज, मोबाइल फोन और नगद रुपयों की भिक्षा 

हालांकि, कहानी में इसके बाद एक बड़ा मोड़ आना अभी बाकी था. पिंकू ने उन्हें बताया कि उसने संन्यास ले लिया है (सांसारिक सुखों का त्याग) और उसे झारखंड में अपने पारसनाथ मठ में वापस लौटना होगा. उन्होंने कहा कि उनके गुरु ने उनसे कहा था कि उनकी दीक्षा तभी पूरी होगी, जब वह अयोध्या जाएंगे और फिर अपने परिवार के सदस्यों से भिक्षा लेंगे. माता-पिता ने शुरू में पिंकू को जाने से मना कर दिया, लेकिन यह महसूस करते हुए कि उसका दिल उस रास्ते पर चलने के लिए तैयार था, जिस पर वह चल रहा था, आखिरकार उन्होंने हार मान ली. ग्रामीणों ने मिलकर 13 क्विंटल अनाज भिक्षा के रूप में दिया और रतिपाल की बहन ने भी उसे 11,000 रुपये दिए. रतिपाल ने पिंकू को फोन खरीदकर दिया और संपर्क में रहने को कहा. एक फरवरी को पिंकू गांव से चला गया.

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10 लाख रुपये ठगने की थी प्‍लानिंग

पिंकू ने जाने के बाद रतिपाल को फोन करना शुरू कर दिया और कहा कि वह उनके पास वापस लौटना चाहता है, लेकिन उसने दावा किया कि मठ के लोगों ने उससे कहा था कि वह ऐसा तब तक नहीं कर सकता जब तक वह उन्हें 10 लाख रुपये नहीं देता. उन्होंने रतिपाल से कहा, यह वह कीमत है, जो एक भिक्षु को पारिवारिक जीवन में लौटने के लिए चुकानी पड़ती है. बेटे को परिवार के पास वापस लाने के लिए बेचैन रतिपाल ने गांव में अपनी जमीन 11.2 लाख रुपये में बेच दी और फिर पिंकू से कहा कि वह मठ को पैसे देने के लिए झारखंड आएगा. 

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पिंकू निकला नफीस... ऐसे खुला राज 

एक पुलिस अधिकारी के अनुसार, रतिपाल को मठ में क्यों नहीं आना चाहिए, इसके लिए पिंकू ने कई कारण बताए, लेकिन इनमें से कोई भी बहुत विश्वसनीय नहीं था. वह यह भी आग्रह करने लगा कि रतिपाल उसे बैंक हस्तांतरण या यूपीआई ऐप का उपयोग करके पैसे भेजे. इससे रतिपाल को संदेह हुआ और उसने पूछताछ शुरू की, लेकिन पता चला कि झारखंड में पारसनाथ मठ के नाम से कोई हिंदू मठ नहीं था. तिलोई सर्कल अधिकारी अजय कुमार सिंह ने कहा, "शनिवार को रतिपाल ने जायस पुलिस स्टेशन (अमेठी जिले में) में शिकायत दर्ज कराई." पुलिस को तब पता चला कि पिंकू के रूप में दिखावा करने वाला व्यक्ति वास्तव में गोंडा गांव का नफीस नामक व्यक्ति था, जो परिवार को धोखा देने की कोशिश कर रहा था.

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नफीस के भाई ने भी 2021 में रची थी ऐसी ही कहानी 

एक अधिकारी ने कहा कि आगे की पूछताछ से पता चला कि नफीस के भाई राशिद ने खुद को एक साधु के रूप में पेश किया था और जुलाई 2021 में लगभग उसी प्लेबुक का उपयोग करके एक परिवार से लाखों की ठगी की थी. बुधिराम विश्वकर्मा नाम के एक व्यक्ति का बेटा रवि सहसपुरा गांव 14 से लापता हो गया था. वर्षों पहले और रशीद एक तपस्वी बनकर गांव पहुंचा था. उसने दावा किया कि वह रवि है और उसने बुधिराम की पत्नी से भिक्षा मांगी. परिवार ने रशीद को रवि समझकर अपने पास रुकवा लिया और फिर वह लाखों की नकदी लेकर गायब हो गया. बाद में जब उसे गिरफ्तार किया गया, तो उसकी असली पहचान सामने आई. राशिद के सहसपुरा गांव पहुंचने से कुछ दिन पहले नफीस का एक रिश्तेदार वाराणसी के हाजीपुर गांव में कल्लू राजभर के घर आया था. साधु की वेशभूषा में उसने खुद को कल्लू का बेटा बताया, जो 15 साल पहले लापता हो गया था.

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सर्कल अधिकारी अजय कुमार सिंह ने बताया कि रतिपाल सिंह ने शिकायत की है कि उनके परिवार ने एक व्यक्ति को यह कहकर अनाज दिया कि साधु के वेश में एक व्यक्ति उनका बेटा है. उन्होंने कहा कि वह व्यक्ति अब उन्हें फोन कर रहा है और उन्हें धोखा देने की कोशिश कर रहा है. जांच जारी है.

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