मनी लॉन्ड्रिंग मामला: न्यायिक हिरासत में भेजी गईं निलंबित IAS पूजा सिंघल, ED की जांच जारी

प्रवर्तन निदेशालय ने सिंघल (44) को इस महीने की शुरुआत में गिरफ्तार किया था. उन्हें झारखंड के खूंटी जिले में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) निधि के कथित गबन और अन्य वित्तीय अनियमितताओं से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया गया था.

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पूजा को 12 मई को झारखंड सरकार ने निलंबित कर दिया था.
नई दिल्ली:

झारखंड में चल रही मनी लॉन्ड्रिंग जांच के मद्देनजर, एक विशेष प्रवर्तन निदेशालय अदालत ने बुधवार को निलंबित आईएएस अधिकारी पूजा सिंघल को 8 जून तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया है. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मंगलवार को झारखंड के निलंबित खनन सचिव पूजा सिंघल के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग जांच के सिलसिले में रांची में छह स्थानों और बिहार के मुजफ्फरपुर में एक स्थान पर छापेमारी की.

पूजा सिंघल, खान और भूविज्ञान विभाग की सचिव और झारखंड राज्य खनिज विकास निगम लिमिटेड (जेएसएमडीसी) की प्रबंध निदेशक थी. उन्होंने 2009 और 2010 के बीच राज्य के खूंटी जिले के उपायुक्त के रूप में कार्य भी किया था.

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पूजा को ईडी ने 11 मई को गिरफ्तार किया था और 12 मई को झारखंड सरकार ने उन्होंने निलंबित कर दिया था. गिरफ्तारी के बाद, रांची की एक विशेष धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) अदालत ने उन्हें ईडी के रिमांड पर भेज दिया था. 

इसी महीने आईएएस को किया गिरफ्तार

प्रवर्तन निदेशालय ने सिंघल (44) को इस महीने की शुरुआत में गिरफ्तार किया था. उन्हें झारखंड के खूंटी जिले में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) निधि के कथित गबन और अन्य वित्तीय अनियमितताओं से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया गया था. इस महीने की शुरुआत में ईडी ने उनके पति अभिषेक झा के रांची के पल्स अस्पताल में छापेमारी की थी.

शेल कंपनियों के जरिए मनी लॉन्ड्रिंग

मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में बीते दिनों प्रवर्तन निदेशालय ने झारखंड हाई कोर्ट को बताया था कि एजेंसी की ओर से झारखंड खनन सचिव पूजा सिंघल और अन्य के खिलाफ जारी जांच में ये बात सामने आई है कि मनी लॉन्ड्रिंग कई शेल कंपनियों (ऐसी कंपनियां जो एक्टिव नहीं होती हैं, लेकिन उन्हें दूसरे उद्देश्यों- जैसे कि टैक्स बचाने या भविष्य में किसी दूसरे मतलब से इस्तेमाल के लिए बनाया जाता है) की मदद से की गई है. 

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ईडी ने कहा था, " खूंटी जिले में हुए मनरेगा घोटाला समेत सभी अन्य भ्रष्टाचार के मुकदमों की जांच को सीबीआई को सौंपा जा सकता है. चूंकि हमारे पास पर्याप्त सबूत इकट्ठे हो गए हैं." (भाषा इनपुट के साथ)

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