"गति वापस आ रही": सीमा पर तनाव के बीच भारत के साथ संबंधों पर बोले चीनी राजनयिक

चीनी दूतावास के उप वाणिज्य दूत चेन जियानजुन ने कहा- भारत-चीन सीमा अब स्थिर, 'आपातकालीन नियंत्रण' की स्थिति खत्म हुई

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चीन ने कहा है कि वह भारत के साथ राजनयिक और सैन्य चैनलों के जरिए संचार बनाए रखता है.
कोलकाता:

वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर तनाव के बीच चीन ने कहा है कि भारत के साथ उसके "व्यापक द्विपक्षीय संबंध" पटरी पर आ रहे हैं. भारत में चीनी दूतावास के मिनिस्टर काउंसलर चेन जियानजुन ने कोलकाता में आयोजित एक सभा में यह बात कही. उन्होंने कहा कि, "चीन और भारत कुछ बहु-राष्ट्रीय अवसरों पर एक साथ काफी अच्छी तरह से काम कर रहे हैं."

शंघाई सहयोग संगठन और जी20 का समूह का संदर्भ देते हुए उन्होंने कहा, "चाहे वह एससीओ हो या जी20 सम्मेलन, राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री बाली शिखर सम्मेलन के मौके पर भी मिले. मेरा मानना है कि उनके बीच शानदार बातचीत हुई. गति वापस आते देख हम बहुत खुश हैं." 

वरिष्ठ चीनी राजनयिक ने कहा कि भारत-चीन सीमा पर पहले के 'आपातकालीन नियंत्रण' की स्थिति अतीत की बात हो गई है और कुल मिलाकर फिलहाल यह स्थिर है. चीनी दूतावास के उप वाणिज्य दूत चेन जियानजुन ने पत्रकारों से कहा कि दो एशियाई दिग्गज कूटनीतिक और सैन्य माध्यमों से सम्पर्क बनाए हुए हैं और सीमा की स्थिति को 'सामान्य प्रबंधन और नियंत्रण' में बदलने को बढ़ावा दे रहे हैं. उन्होंने कहा, 'मौजूदा सीमा स्थिति समग्र रूप से स्थिर है.'

भारतीय और चीनी सैनिक गत नौ दिसंबर को अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पास भिड़ गए थे, जिसके परिणामस्वरूप दोनों पक्षों के कुछ कर्मियों को मामूली चोटें आई थीं. पूर्वी लद्दाख में दोनों पक्षों के बीच सीमा गतिरोध के मध्य संवेदनशील सेक्टर के यांग्त्से के पास झड़प हुई.

जून 2020 में गालवान घाटी में भयंकर संघर्ष के बाद भारत और चीन के बीच संबंधों में काफी गिरावट आई थी, जिसने दशकों में दोनों पड़ोसी देशों के बीच सबसे गंभीर सैन्य संघर्ष का सामना किया था.

जियानजुन ने कहा, 'चीनी पक्ष ने हमेशा रणनीतिक और दीर्घकालिक दृष्टिकोण से चीन-भारत संबंधों पर विचार किया है और इसे निभाया है. यद्यपि रिश्ते में कुछ कठिनाइयां आती हैं, लेकिन चीन की स्थिति कभी भी डगमगाने वाली नहीं है और हम इसे स्वस्थ और स्थिर विकास के रास्ते पर वापस ले जाने के लिए प्रतिबद्ध हैं.'

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उन्होंने कहा कि दोनों देश अपनी प्राचीन सभ्यताओं से ताकत हासिल कर सकते हैं और दुनिया के साथ प्राच्य ज्ञान साझा कर सकते हैं, ताकि अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था की स्थिरता को संयुक्त रूप से बनाए रखा जा सके.

उन्होंने कहा, 'परिवर्तन और अराजकता से जुड़ी इस दुनिया में, चीन और भारत विकासशील देशों के अधिक संस्थागत अधिकारों के लिए आवाज बुलंद कर सकते हैं. दोनों देशों का मिलकर काम करना एशिया के भविष्य और उससे आगे की चीजों को प्रभावित करेंगे.'

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जियानजुन ने कहा कि जी20 और शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के अध्यक्ष के तौर पर भारत की सफलता में चीन का भरपूर समर्थन है. उन्होंने कहा, 'हम मानते हैं कि चीन और भारत पड़ोसी देशों के लिए शांति और एक साथ विकास का रास्ता खोज सकते हैं, ताकि 'एशियाई सदी' को साकार किया जा सके.'

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