बीजेपी नेता मोहन चरण माझी (BJP leader Mohan Charan Majhi) ओडिशा के नए मुख्यमंत्री होंगे. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को इसकी घोषणा की. उन्होंने कहा कि के.वी. सिंह देव और प्रभाती परिदा को राज्य का उपमुख्यमंत्री बनाया जाएगा. राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) और भूपेंद्र यादव को पर्यवेक्षक के तौर पर ओडिशा भेजा गया था. मोहन चरण माझी ओडिशा की क्योंझर सीट से 4 बार के विधायक हैं. आदिवासी समाज से आने वाले माझी जन मुद्दों को लेकर लगातार आंदोलन करते रहे हैं. साल 2000 में पहली बार विधायक बनने के बाद से लेकर अब तक वो बीजेपी के संगठन में काम करते रहे थे.
स्पीकर पर फेंक दी थी दाल
मोहन माझी की गिनती बीजेपी के फायरब्रांड नेता के तौर पर होती रही है. साल 2023 में माझी तब सुर्खियों में आए थे जब उन्होंने विधानसभा में विरोध का अनोखा तरीका अपनाया था. मोहन माझी ने तब उबली हुई एक कटोरी दाल स्पीकर की तरफ फेंक दी थी. उनके इस हरकत के कारण उन्हें और उनके एक सहयोगी विधायक को विधानसभा से सस्पेंड कर दिया गया था. हालांकि मोहन माझी ने स्पीकर की तरफ दाल फेंकने के आरोप को गलत बताया था उन्होंने कहा था कि वो अध्यक्ष के सामने इसे पेश करना चाहते थे.
क्योंझर सीट से चौथी बार बने हैं विधायक
हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में मोहन माझी ने बीजद उम्मीदवार मीना माझी को चुनाव में हराया है. मोहन माझी क्योंझर सीट से चौथी बार विधायक बने हैं. गौरतलब है कि इस चुनाव में बीजेपी को आदिवासी मतों का एक बड़ा हिस्सा ओडिशा में मिला है. ओडिशा में बीजेपी ने पहली बार अपने दम पर विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज की है. ओडिशा की 147 सीटों वाली विधानसभा में बीजेपी को 78 सीटों पर जीत मिली है. गुरुवार को मोहन माझी अपने सहयोगी मंत्रियो के साथ शपथ लेंगे.
- मोहन माझी चौथी बार क्योंझर सीट से चुनाव जीते हैं.
- चुनाव आयोग को दिए गए शपथपत्र के अनुसार उनके ऊपर 2 केस लंबित हैं.
- सरपंच के तौर पर राजनीति में हुई थी एंट्री.
- पहली बार साल 2000 में बने थे विधायक.
- बीजेपी के मजबूत आदिवासी चेहरे के तौर पर है पहचान.
सरपंच पद से की थी राजनीति की शुरुआत
मोहन चरण माझी बीजेपी के पुराने कार्यकर्ता रहे हैं. साल 2000 में विधायक बनने से पहले वो गांव के सरपंच थे. साल 1997 से 2000 तक उन्होंने सरपंच का पद संभाला था. उन्हें एक कुशल संगठन कर्ता के तौर पर जाना जाता है. 2009 और 2014 में चुनाव हारने के बाद भी वो अपने क्षेत्र में लगातार डटे रहे थे.
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