अध्यात्म और विज्ञान में कोई विरोध नहीं : RSS चीफ मोहन भागवत

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मोहन भागवत ने कहा कि गत 2000 वर्षों से विश्व अहंकार के प्रभाव में चला है. मैं अपने ज्ञानेन्द्रिय से जो ज्ञान प्राप्त करता हूं वही सही है उसके पर एक कुछ भी नहीं है, इस सोच के साथ मानव तब से चला है जब से विज्ञान का अदुर्भाव हुआ है. लेकिन यही सब कुछ नहीं है. विज्ञान का भी एक दायरा है, एक मर्यादा है. उसके आगे कुछ नहीं, यह मानना गलत है.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि अध्यात्म एवं विज्ञान में कोई विरोध नहीं है. विज्ञान में भी और अध्यात्म में भी श्रद्धायुक्त व्यक्ति को ही न्याय मिलता है. अपने साधन और ज्ञान का अहंकार जिसके पास होता है, उसे नहीं मिलता है. श्रद्धा में अंधत्व का कोई स्थान नहीं है. जानो और मानो यही श्रद्धा है.

मोहन भागवत ने नई दिल्ली में मुकुल कानिटकर द्वारा लिखित और आई व्यू एंटरप्रायजेस द्वारा प्रकाशित जीवन मूल्यों पर आधारित पुस्तक ‘बनाएं जीवन प्राणवान' के विमोचन के अवसर पर बोल रहे थे. दिल्ली विश्वविद्यालय के उत्तरी परिसर में आयोजित इस पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में पंचदशनाम जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर पू स्वामी अवधेशानंद गिरि जी महाराज और दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. योगेश सिंह विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थे.

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मोहन भागवत ने कहा कि गत 2000 वर्षों से विश्व अहंकार के प्रभाव में चला है. मैं अपने ज्ञानेन्द्रिय से जो ज्ञान प्राप्त करता हूं वही सही है उसके पर एक कुछ भी नहीं है, इस सोच के साथ मानव तब से चला है जब से विज्ञान का अदुर्भाव हुआ है. लेकिन यही सब कुछ नहीं है. विज्ञान का भी एक दायरा है, एक मर्यादा है. उसके आगे कुछ नहीं, यह मानना गलत है.

उन्होंने कहा कि यह भारतीय सनातन संस्कृति की विशेषता है कि हमने बाहर देखने के साथ-साथ अंदर देखना भी प्रारंभ किया. हमने अंदर तह तक जाकर जीवन के सत्य को जान लिया. इसका और विज्ञान का विरोध होने का कोई कारण नहीं है. जानो तब मानो. अध्यात्म में भी यही पद्धति है. साधन अलग है. अध्यात्म में साधन मन है. मन की ऊर्जा प्राण से आती है. यह प्राण की शक्ति जितनी प्रबल होती है उतना ही उसे पथ पर आगे जाने के लिए आदमी समर्थ होता है.

'बनाएं जीवन प्राणवान' नाम की किताब के विमोचन पर मोहन भागवत ने कहा कि विश्व में भारत अपना कर्तव्य पूरा करें, ये किताब हमें समझाती है. हेडगेवार जी से श्यामप्रसाद मिलने गए. श्यामा प्रसाद ने कहा कि राजनीति के बारे में संघ की क्या भूमिका है? हेडगेवार ने कहा कि संघ चालू राजनीति में नहीं आती है. भारत के पास प्राण शक्ति है. विश्व की ताकत बनने की. लेकिन हम पर 500 साल का प्रभाव है. हम देख नहीं पा रहे हैं.

Featured Video Of The Day
Russia Volcano: रूस के कामचटका में पहले आया भूकंप और अब फटा ज्वालामुखी, देखिए तबाही का मंजर
Topics mentioned in this article