"ट्वीट के लिए मिले थे 2 करोड़ रुपये"- SC में मोहम्मद जुबैर की याचिका का यूपी सरकार ने किया विरोध

सरकार ने कहा कि जुबैर को हर महीने 12 लाख रुपये मिलते हैं और "ट्वीट के लिए खुद जुबैर ने माना है कि उसे 2 करोड़ रुपये मिले." कोर्ट में कहा गया कि "यूपी पुलिस को सूचित करने के बजाय वह उन वीडियो और भाषणों का लाभ उठाता है जो सांप्रदायिक विभाजन पैदा कर सकते हैं."

विज्ञापन
Read Time: 21 mins
नई दिल्ली:

उत्तर प्रदेश सरकार ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने Alt-News के फैक्ट-चेकर मोहम्मद जुबैर की याचिका का विरोध किया है. यूपी सरकार ने आज अपनी दलील में कहा कि "आरोपी पत्रकार नहीं है. वह खुद को फैक्ट चेकर कहते हैं. फैक्ट-चेकिंग के बारे में ट्वीट वायरल नहीं होते हैं. इनके ट्वीट ज़हर फैला रहे हैं. उन्हें इन ट्वीट्स के लिए पैसे मिलते हैं. उन्हें दुर्भावनापूर्ण ट्वीट्स के लिए अधिक पैसा मिलता है." सरकार ने कहा कि जुबैर को हर महीने 12 लाख रुपये मिलते हैं और "ट्वीट के लिए खुद जुबैर ने माना है कि उन्हें 2 करोड़ रुपये मिले." कोर्ट में कहा गया कि "यूपी पुलिस को सूचित करने के बजाय वह उन वीडियो और भाषणों का लाभ उठाते हैं जो सांप्रदायिक विभाजन पैदा कर सकते हैं."

सरकार ने कहा कि "गाजियाबाद की घटना में कोई सांप्रदायिक एंगल नहीं था, लेकिन उसने अपने ट्वीट्स में ऐसे शब्द जोड़े जो भावनाओं को भड़काते हैं. यह एक स्थानीय मुद्दा है लेकिन वह अपने ट्वीट्स में पूरे देश के बारे में बात करना शुरू कर देते हैं. उन्होंने ट्वीट किया और बाद में स्थिति गंभीर हो गई. जुबैर ने स्वीकार किया कि यह कोई सांप्रदायिक मुद्दा नहीं था."

यूपी सरकार ने कहा कि "वह बहुत चालाक हैं. उन्होंने एक 10 साल की बच्ची के बारे में भी ट्वीट किया. उस मामले में उनके खिलाफ POCSO FIR हुई. खैराबाद मामले में किसी के आपत्तिजनक बयान को लेकर एक और ट्वीट किया. पुलिस को सूचना देने के बजाय ट्वीट पोस्ट कर वायरल कर दिया. स्थिति इतनी तनावपूर्ण हो गई कि भारी पुलिस बल की जरूरत पड़ी."

Advertisement

यूपी सरकार की ओर से गरिमा प्रसाद ने कहा कि "अब तक कई बार इनके पोस्ट पढ़ या देखकर ही हिंसा को बढ़ावा मिला है. राज्य के गाजियाबाद और लोनी में ऐसी कई घटनाएं इस दावे की पुष्टि भी करती हैं. एक बुजुर्ग आदमी की पिटाई के वीडियो को इसने किस तरह से रिपोर्ट किया गया है उसे अदालत खुद देख लें. मैं उसे खुली अदालत के सामने पढ़ना नहीं चाहती." वकील ने शीर्ष अदालत से कहा कि इस मामले की जांच के लिए SIT का गठन किया गया है क्योंकि स्थानीय पुलिस सारे मुद्दों को नहीं देख सकती.

Advertisement

सरकार ने कोर्ट में कहा कि जुबैर के खिलाफ कोई दुर्भावना नहीं है. यूपी सरकार का एकमात्र इरादा शांति और सद्भाव बनाए रखना है. यूपी एक निश्चित जनसांख्यिकी वाला राज्य है. राज्य को यह सुनिश्चित करना होगा कि सांप्रदायिक सौहार्द बना रहे. लोगों को इस तरह नफरत को बढ़ावा नहीं देना चाहिए. पुलिस को सूचित करना चाहिए. उनके ट्विटर फॉलोअर्स 2 लाख से 7 लाख से ज्यादा हो गए हैं. इस तरह वह अपना प्रभाव बढ़ा रहे हैं. उन्हें केवल उन्हीं जगहों पर ले जाया जाएगा जहां उनके खिलाफ मामले दर्ज हैं. उन्होंने एक टीवी डिबेट का ट्वीट करते हुए कहा कि यह बजरंग मुनि के बारे में है, तब भी जब इसका बजरंग मुनि से कोई लेना-देना नहीं था.

Advertisement

Video : देस की बात- सुप्रीम कोर्ट से मोहम्मद जुबैर को मिली बड़ी राहत

Featured Video Of The Day
Mahakumbh 2025: सुरक्षा, ड्रोन, स्पेशल ट्रेन....जानें क्या हैं सरकार की खास तैयारियां
Topics mentioned in this article