फैक्ट-चेकर मोहम्मद जुबैर की जमानत अर्जी पर आज पटियाला हाउस कोर्ट में सुनवाई हो रही है. जुबैर की तरफ से वृंदा ग्रोवर पैरवी कर रही हैं. उन्होंने कोर्ट में कहा कि मैं एक फ़ैक्ट चैकर हूं , मैं पत्रकार हूं . मेरा काम है झूठी ख़बरों को फ़ैक्ट चेक करना. मेरे काम कुछ लोगों को बुरे लग सकता हैं . मैंने 2018 में ट्वीट किया है और मैंने ये ट्वीट किया है इस बात से मैं पीछे नहीं हट रहा. आप ये ट्वीट देखिए ये एक फ़िल्म के सीन के बारे में है. ये ट्वीट 1983 में बनाई गई ऋषिकेश मुखर्जी की एक फ़िल्म से लिया गया है. ये फ़िल्म आज भी देखी जा सकती है, उस पर रोक नहीं. उस फ़िल्म को देखने पर रोक नहीं है पर मुझे जेल में डाल दिया गया. ये इमेज बहुत बार ट्वीट की गई है. ये इमेज एक बार इंडियन एक्सप्रेस में भी छपी है. बहुत लोगों ने यही इमेज कई बार अपने ट्विटर हैंडल से ट्वीट की है.
उन्होंने कोर्ट में आगे दलील दी कि 1983 से 2022 से अब तक 38 साल तक ये फ़िल्म देखी गई, पर कोई दंगा नहीं हुआ. 2018 में ट्वीट किया गया पर चार साल में दंगा नहीं हुआ, जिस अज्ञात हैंडल से शिकायत हुई है वो हैंडल नवंबर 2021 में बनाया गया. 19 जून 2022 को इस हैंडल से ट्वीट किया गया और उसके कुछ घंटों बाद दिल्ली पुलिस केस दर्ज कर लेती है और ये इस अज्ञात हैंडल का पहला ट्वीट था और सिर्फ़ एक फॉलोअर था. सरकार के पास शक्ति है कि ट्विटर से शिकायत करके ज़ुबैर का ट्वीट हटवा देती , लेकिन आज तक वो ट्वीट पब्लिक डोमेन में है. इससे दंगा भड़क सकता है तो क्यों सरकार ये ट्वीट ट्विटर से शिकायत करके नहीं हटवाया ? मुझे किसी और केस में पूछताछ में बुलाया जाता है और इस नए केस में गिरफ़्तार कर लिया जाता है.
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