जम्मू-कश्मीर के पहले मुस्लिम भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारी मोहम्मद शफी पंडित का बृहस्पतिवार को निधन हो गया. वह 80 वर्ष के थे. पंडित के परिवार के अनुसार उन्हें करीब एक महीने पहले कैंसर होने का पता चला था, जिसके बाद उनका दिल्ली के एक अस्पताल में उपचार किया जा रहा था. मोहम्मद शफी पंडित ने कई उच्च पदों पर अपनी सेवाएं दी थी. वो एक बहुत ईमानदार और नेक इंसान थे. हमेशा हर किसी की मदद करते थे.
जब तत्कालीन मुख्यमंत्री ने किया था स्वागत
पंडित 1969 में सिविल सेवा परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले जम्मू-कश्मीर के पहले मुस्लिम थे. कहा जाता है कि जब मोहम्मद शफी पंडित आईएएस प्रशिक्षण पूरा करके जम्मू और कश्मीर लौटे थे, तो उनका स्वागत तत्कालीन मुख्यमंत्री गुलाम मोहम्मद सादिक ने श्रीनगर हवाई अड्डे पर किया था.
मोहम्मद शफी पंडित का करियर
मोहम्मद शफी पंडित का जन्म 15 अगस्त, 1947 को एक साधारण परिवार में हुआ था. उन्होंने भूविज्ञान में एमएससी की पढ़ाई पूरी की थी. यहां से अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने अमर सिंह कॉलेज में बतौर लेक्चरर के रूप में काम शुरू किया था. छात्रों को पढ़ाने के साथ-साथ उन्होंने UPSC एग्जाम की तैयारी भी की. उन्हें सफलता भी मिली. आईएएस परीक्षा पास करते ही उनके करियर पूरी तरह से बदल गया और वे कश्मीरी युवाओं के लिए प्ररेणा बन गए.
मोहम्मद शफी पंडित द्वारा संभाले गए पद
अपने शानदार करियर के दौरान, वे जम्मू और कश्मीर के मुख्य सचिव रहे थे. बाद में उन्हें जम्मू और कश्मीर लोक सेवा आयोग (पीएससी) के अध्यक्ष का जिम्मा सौंपा गया. जिसे उन्होंने बाखूबी से निभाया. पीएससी अध्यक्ष के रूप में उन्होंने भर्ती प्रक्रिया में सुधार लाने और योग्यता आधारित चयन सुनिश्चित करने से जुड़े कई अहम फैसले लिए. इसके अलावा 1992 में भारत सरकार में संयुक्त सचिव के रूप में मंडल आयोग की रिपोर्ट को लागू करने में भी इनकी भूमिका अहम रही है. सरकार में उनकी अंतिम जिम्मेदारी स्वायत्त जम्मू कश्मीर लोक सेवा आयोग के प्रमुख के रूप में थी.