मॉनसून सत्र में विपक्ष के हमलों के लिए सरकार ने की तैयारी, सरकार के तरकश में हैं कई तीर

सरकार को इस बात से भी राहत है कि विपक्ष में एकजुटता नहीं है. ऑपरेशन सिंदूर पर कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल विशेष सत्र की मांग कर रहे थे. लेकिन एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार इससे सहमत नहीं थे. सरकार ने यही भांप कर 41 दिन पहले ही मॉनसून सत्र की घोषणा कर दी थी, ताकि विशेष सत्र की मांग खारिज हो सके.

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मॉनसून सत्र में सरकार की रणनीति...
नई दिल्‍ली:

ऑपरेशन सिंदूर, राष्ट्रपति ट्रंप के मध्यस्थता वाले बयान और बिहार में मतदाता सूची जैसे मुद्दों पर विपक्ष सरकार को सोमवार से शुरू होने वाले मॉनसून सत्र में घेरने की तैयारी कर रहा है. विपक्ष राष्ट्रपति ट्रंप के बयानों के मद्देनजर मोदी सरकार की विदेश नीति पर भी सवाल उठा रहा है और इस पर खुद पीएम मोदी से सफाई देने की मांग कर सकता है. जबकि ऑपरेशन सिंदूर पर भारत को हुए नुकसान को लेकर स्थिति स्पष्ट करने से पहलगाम आतंकी हमले के पीछे सुरक्षा एजेंसियों की चूक जैसे मुद्दे उठाए जा सकते हैं. बिहार में सीधे-सीधे चुनाव आयोग पर बीजेपी से मिलीभगत का आरोप लगाया जा रहा है और विपक्ष इस पर सरकार से सफाई मांग सकता है. सरकार भी विपक्ष के इन हमलों की काट ढूंढने की रणनीति पर काम कर रही है.

राजनाथ संभाल सकते हैं मोर्चा

कैबिनेट की संसदीय मामलों की समिति की कल रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के घर बैठक हुई. इसमें मॉनसून सत्र में सरकार की रणनीति पर विचार किया गया. महत्वपूर्ण बात यह है कि तीनों सेनाओं के प्रमुख और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल भी राजनाथ सिंह के यहां पहुंचे. सूत्रों के अनुसार, ऑपरेशन सिंदूर पर वरिष्ठ मंत्रियों को ब्रीफ किया गया. बताया गया है कि इस मुद्दे पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह दोनों सदनों में बयान दे सकते हैं. रविवार को सरकार ने सर्वदलीय बैठक बुलाई है. इस बैठक में विपक्ष के ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा का मुद्दा उठाने पर सरकार बता सकती है कि रक्षा मंत्री बयान देंगे और उसके बाद चर्चा हो सकती है. दरअसल, कई बार सरकार और विपक्ष में इस बात पर भी टकराव होता है कि चर्चा किस नियम के तहत कराई जाए. विपक्ष चाहता है कि चर्चा के बाद वोटिंग हो जबकि सरकार ऐसा नहीं चाहती है. ऐसे में रक्षा मंत्री के बयान के बाद शॉर्ट ड्यूरेशन चर्चा हो सकती है. इस तरह सरकार ऑपरेशन सिंदूर को लेकर विपक्ष के तमाम मुद्दों का जवाब देने की तैयारी कर रही है. सरकार यह भी बताएगी कि कैसे विदेश में इस ऑपरेशन के बारे में जानकारी देने के लिए सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों के सांसद साथ आए और अलग-अलग प्रतिनिधिमंडलों का हिस्सा रहे. ऐसे में राष्ट्रीय सुरक्षा के मसले पर दिखी आम राय संसद में भी दिखनी चाहिए.
 

विपक्ष में एकजुटता नहीं 

सरकार को इस बात से भी राहत है कि विपक्ष में एकजुटता नहीं है. ऑपरेशन सिंदूर पर कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल विशेष सत्र की मांग कर रहे थे. लेकिन एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार इससे सहमत नहीं थे. सरकार ने यही भांप कर 41 दिन पहले ही मॉनसून सत्र की घोषणा कर दी थी, ताकि विशेष सत्र की मांग खारिज हो सके. अमूमन सत्र की तारीख तीन हफ्ते पहले ही घोषित की जाती है. इसी तरह इंडिया गठबंधन की बैठक एक साल बाद बुलाई गई है, लेकिन आम आदमी पार्टी ने इससे अलग होने का फैसला किया है. विपक्ष में पड़ी यह फूट भी सरकार को राहत दे रही है.

राष्ट्रपति ट्रंप दो दर्जन से भी अधिक बार कह चुके हैं कि भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर उन्होंने कराया और ट्रेड डील को लेकर धमकी दी थी. भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड डील पर भी चर्चा जारी है और किसान संगठन खेती से जुड़े मुद्दों पर सरकार से स्पष्टता की मांग कर रहे हैं. इसी तरह विपक्ष का कहना है कि पहलगाम हमले के बाद भारत को आतंकवाद के मुद्दे पर खुल कर वैश्विक समर्थन नहीं मिला. इन सभी मुद्दों को लेकर वह मोदी सरकार की विदेश नीति पर सवाल उठा रहा है. संभावना है कि विपक्ष इस पर सीधे प्रधानमंत्री मोदी के बयान की मांग करे. सरकार इसे मानने को तैयार नहीं होगी. ऐसे में यह मुद्दा संसद में गतिरोध का कारण बन सकता है.
 

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मतदाता सूची मुद्दे पर पलटवार की तैयारी

बिहार में मतदाता सूची के मुद्दे पर सरकार यह कहने की तैयारी में है कि मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है. सुप्रीम कोर्ट ने भी इस पर स्टे नहीं लगाया, बल्कि अपनी ओर से आधार कार्ड और राशन कार्ड आदि को वैध दस्तावेज मानकर उन्हें संज्ञान में लेने का सुझाव दिया है. यह चुनाव आयोग को तय करना है कि वह सुझाव माने या न माने. इसी तरह, आयोग की अब तक की कवायद से यह भी बात सामने आई है कि बड़ी संख्या में ऐसे लोगों के नाम मतदाता सूची में हैं जो या तो वर्षों से वहां नहीं रहते या फिर जिनकी मृत्यु हो चुकी है. इसके अलावा बांग्लादेशी घुसपैठियों के नाम होने का भी दावा किया जा रहा है. ऐसे में सरकार विपक्ष पर पलटवार को तैयार रहेगी.
 

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पक्ष-विपक्ष इस मुद्दे पर एक साथ

जस्टिस यशवंत वर्मा को हटाने का प्रस्ताव एक ऐसा मामला है जिस पर सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों एक राय हैं. सरकार इसके लिए लोक सभा में प्रस्ताव लाना चाह रही है जिस पर विपक्ष साथ देने को तैयार है. इस प्रस्ताव के बाद पीठासीन अधिकारी एक जांच समिति का गठन करेंगे जिसकी रिपोर्ट आने के बाद वर्मा को हटाने के प्रस्ताव पर मतदान होगा. हालांकि इस प्रक्रिया में समय लगेगा. उधर, विपक्ष इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज शेखर यादव का मामला भी उठा रहा है और सरकार को याद दिला रहा है कि कथित तौर पर हेट स्पीच देने वाले जस्टिस यादव के खिलाफ भी उसने प्रस्ताव दिया है जिस पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई.
 

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सरकार आठ नए बिल ला रही

इस सत्र में सरकार आठ नए बिल ला रही है और आठ पेंडिंग बिलों को पारित कराने का प्रयास होगा. इनकम टैक्स बिल प्रमुख है. हालांकि, जिस तरह सरकार ने मॉनसून सत्र की मियाद को बढ़ाया है उससे यह सस्पेंस भी है कि क्या सरकार ऐन वक्त पर कोई चौंकाने वाले बिल भी ला सकती है. इसीलिए कहा जा रहा है कि मॉनसून सत्र में सरकार के तरकश में कई तीर हैं.

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