- मोदी सरकार के प्रयासों से नक्सल प्रभावित जिलों की संख्या घटकर केवल तीन जिलों तक सीमित रह गई है
- इस वर्ष नक्सल विरोधी अभियानों में तीन सौ बारह वामपंथी कैडर मारे गए और आठ केंद्रीय समिति सदस्य शामिल थे
- राष्ट्रीय कार्य योजना में जनहितैषी अभियान, बुनियादी ढांचा विकास और वित्तीय संसाधनों की रोकथाम प्रमुख हैं
मोदी सरकार के संकल्प "नक्सल मुक्त भारत" की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रगति दर्ज की गई है. देश में नक्सलवाद से सबसे अधिक प्रभावित जिलों की संख्या अब 6 से घटकर सिर्फ 3 तक रह गई है. अब केवल छत्तीसगढ़ के बीजापुर, सुकमा और नारायणपुर ही वामपंथी उग्रवाद (LWE) से सबसे अधिक प्रभावित जिलों में शामिल हैं. वर्षों से नक्सल हिंसा से जूझ रहे भारत में अब वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित जिलों की संख्या 18 से घटकर केवल 11 रह गई है. यह गिरावट दर्शाती है कि सरकार की रणनीति और अभियान ज़मीन पर असर दिखा रहे हैं.
नक्सल विरोधी अभियानों में ऐतिहासिक सफलता
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व और केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह के मार्गदर्शन में इस वर्ष नक्सल विरोधी अभियानों ने सभी पुराने रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं:
- 312 वामपंथी कैडर मारे गए, जिनमें CPI (माओवादी) महासचिव और केंद्रीय समिति के 8 सदस्य शामिल हैं
- 836 कैडर गिरफ्तार किए गए
- 1639 कैडर ने आत्मसमर्पण किया, जिनमें एक पोलित ब्यूरो सदस्य और एक केंद्रीय समिति सदस्य भी शामिल हैं
राष्ट्रीय कार्य योजना और नीति का प्रभाव
मोदी सरकार ने बहुआयामी दृष्टिकोण पर आधारित राष्ट्रीय कार्य योजना और नीति को सख्ती से लागू किया है, जिससे नक्सल खतरे से निपटने में अभूतपूर्व सफलता मिली है। इस नीति में शामिल हैं:-
- सटीक आसूचना पर आधारित जन-हितैषी अभियान
- सुरक्षा वेक्यूम वाले क्षेत्रों में त्वरित डॉमिनेशन
- शीर्ष नेताओं और ओवर ग्राउंड कार्यकर्ताओं को निशाना बनाना
- कुटिल विचारधारा का मुकाबला
- बुनियादी ढांचे का तीव्र विकास
- कल्याणकारी योजनाओं का पूर्ण क्रियान्वयन
- वित्तीय संसाधनों को बंद करना
- राज्य और केंद्र सरकारों के बीच बेहतर समन्वय
- माओवादी मामलों की त्वरित जांच और अभियोजन
नक्सलवाद अब पीछे हट रहा है
साल 2010 में तत्कालीन प्रधानमंत्री द्वारा जिसे भारत की "सबसे बड़ी आंतरिक सुरक्षा चुनौती" कहा गया था, वह नक्सलवाद अब स्पष्ट रूप से पीछे हट रहा है. नक्सलियों की नेपाल से आंध्र प्रदेश तक "लाल कोरिडोर" बनाने की योजना अब विफल हो चुकी है. साल 2013 में 126 जिलों में नक्सल हिंसा की घटनाएं दर्ज की गई थीं, जबकि मार्च 2025 तक यह संख्या घटकर केवल 18 जिलों तक सीमित रह गई थी. इनमें से भी केवल 6 जिले 'सबसे अधिक प्रभावित' की श्रेणी में थे, जो अब घटकर 3 रह गए हैं.
2026 तक नक्सलवाद समाप्त करने का लक्ष्य
मोदी सरकार ने स्पष्ट रूप से घोषणा की है कि वह 31 मार्च 2026 तक नक्सलवाद की समस्या को पूरी तरह समाप्त करने के लिए कटिबद्ध है. सरकार की रणनीति, सुरक्षा बलों की कार्रवाई और जनसहभागिता के साथ यह लक्ष्य अब पहले से कहीं अधिक करीब नजर आ रहा है.