- पुतिन ने भारत यात्रा के दौरान टोयोटा फॉर्च्यूनर कार का उपयोग किया, जो सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बना गया है.
- PM मोदी ने एयरपोर्ट पर पुतिन का गर्मजोशी से स्वागत किया. जिसके बाद दोनों नेता फॉर्च्यूनर कार से निकले.
- पुतिन की टोयोटा फॉर्च्यूनर में यात्रा करने पर सोशल मीडिया यूजर्स मजेदार प्रतिक्रिया दे रहे हैं.
जहां दुनिया के बड़े नेता रेंज रोवर और BMW जैसी लग्जरी कारों का इस्तेमाल करते हैं. वहीं भारत यात्रा पर आए रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन सफेद चमचमाती टोयोटा फॉर्च्यूनर कार में सवार होकर प्रधानमंत्री के आधिकारिक आवास पहुंचे. दरअसल रूस के राष्ट्रपति गुरुवार शाम दिल्ली पहुंचे और एयरपोर्ट पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया. जिसके बाद दोनों नेता हवाई अड्डे से टोयोटा फॉर्च्यूनर से निकले और सीधा प्रधानमंत्री के आधिकारिक आवास पहुंचे. पुतिन के टोयोटा फॉर्च्यूनर में बैठने को लेकर सोशल मीडिया पर अब फनी रिएक्शन आ रहे हैं. यूजर तरह-तरह के कमेंट कर रहे हैं. इन मजेदार रिएक्शन को पढ़कर आप भी ठहाके लगाने लगेंगे.
सोशल मीडिया पर आ रहे हैं गजब के रिएक्शन
एक यूजर ने पुतिन के टोयोटा फॉर्च्यूनर में बैठने की वीडियो पर रिएक्शन देते हुए लिखा, 'अरे उन्होंने पुतिन को टोयोटा फॉर्च्यूनर में बैठा दिया'. जबकि एक अन्य यूजर ने लिखा, टोयोटा फॉर्च्यूनर की बिक्री नए रिकॉर्ड बनाने जा रही है.
एक फॉर्च्यूनर कार के मालिक ने इसे एक गर्व का पल बताया. एक यूजर ने लिखा मेजर साहब अपनी फॉर्च्यूनर उधार पर दे दो...
इसी तरह से एक अन्य यूजर ने लिखा, मोदी जी और पुतिन जी टोयोटा फॉर्च्यूनर में यात्रा कर रहे हैं, कोई रेंजरओवर नहीं, कोई मर्सिडीज नहीं, जापानी कार का उपयोग करना भी एक संदेश है !!
बता दें कि दोनों नेताओं ने करीब तीन महीने पहले प्रोटोकॉल तोड़ते हुए शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन के बाद चीन के शहर तियानजिन में एक ही वाहन में साथ यात्रा की थी. जिसकी फोटो काफी वायरल हुई थी.
रूसी राष्ट्रपति की भारत यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब भारत-अमेरिका संबंध पिछले दो दशकों में संभवतः सबसे खराब दौर से गुजर रहे हैं ओर अमेरिका ने भारतीय सामान पर भारी 50 प्रतिशत शुल्क लगाया है, जिसमें रूस से कच्चे तेल की खरीद पर 25 प्रतिशत कर भी शामिल है. पुतिन की इस यात्रा का व्यापक उद्देश्य खासकर ऐसे समय में भारत-रूस सामरिक और आर्थिक साझेदारी को मजबूत करना है, जब भारत के अमेरिका के साथ संबंधों में तीव्र गिरावट आई है.














