मॉडर्ना के कोविड-19 रोधी टीके की दो खुराक सार्स-सीओवी-2 के खिलाफ अत्यधिक प्रभावी हैं, लेकिन समय के साथ डेल्टा संक्रमण से सुरक्षा कम हो जाती है. अमेरिका में किए गए एक अध्ययन में यह जानकारी सामने आई है. शोधकर्ताओं ने कहा कि अध्ययन के समय, दक्षिणी कैलिफोर्निया क्षेत्र में ओमीक्रोन स्वरूप का तब तक पता नहीं चला था. बुधवार को ‘द ब्रिटिश मेडिकल जर्नल' में प्रकाशित अध्ययन से पता चला कि टीका डेल्टा स्वरूप से जुड़े मरीजों के मामले में उस हद तक प्रभावी था कि उन्हें कोविड-19 अस्पताल में भर्ती नहीं होना पड़े. हालांकि, टीकाकरण के बाद बढ़ते समय के साथ स्वरूप के खिलाफ टीके की प्रभावशीलता में मामूली गिरावट आई है.
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अमेरिका के कैसेर परमानेंट संस्थान के कैटिया ब्रुक्सवोर्ट ने कहा, ‘‘इस अध्ययन ने अध्ययन अवधि के दौरान वायरस के सभी स्वरूपों के खिलाफ प्रभावशीलता की पुष्टि की, हालांकि हमने डेल्टा स्वरूप के खिलाफ समय के साथ प्रभावशीलता में गिरावट देखी.टीकाकरण के बाद पहले दो महीनों में 94 प्रतिशत प्रभावशीलता थी जो छह महीने के बाद यह 80 प्रतिशत तक रह गई.'' अध्ययन के प्रमुख लेखक ब्रुक्सवोर्ट ने कहा, ‘‘डेल्टा स्वरूप के कारण अस्पताल में भर्ती होने से सुरक्षा 98 प्रतिशत प्रभावशीलता पर उच्च स्तर पर रही.''
मार्च 2021 से, दक्षिणी कैलिफोर्निया में कैसेर परमानेंट ने पूरे जीनोम अनुक्रमण के लिए एक अनुबंधित प्रयोगशाला में सार्स-सीओवी-2 के सकारात्मक नमूने भेजना शुरू किया. मॉडर्ना द्वारा वित्त पोषित इस अध्ययन में 8,153 लोग शामिल थे, जो एक मार्च से 27 जुलाई, 2021 तक एकत्र किए गए नमूनों की जांच में सार्स-सीओवी-2 से संक्रमित पाये गये थे. उनमें से, 91.3 प्रतिशत लोगों का टीकाकरण नहीं हुआ था, 1.4 प्रतिशत ने मॉडर्ना कोविड-19 टीके की एक खुराक ली थी और 7.3 प्रतिशत ने दो खुराक प्राप्त की थी.
शोधकर्ताओं ने जांच में सकारात्मक और नकारात्मक पाये गये लोगों के बीच तुलना की.उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने दो-खुराक वाला मॉडर्ना का टीका लगवाया हुआ था, उन्हें डेल्टा स्वरूप के कारण अस्पताल में भर्ती नहीं होना पड़ा. शोधकर्ताओं के अनुसार, जिन लोगों को मॉडर्ना का दो खुराक वाला टीका लगा था, उनके बीच अस्पताल में भर्ती होने पर मौत का कोई मामला सामने नहीं आया.
उन्होंने कहा कि डेल्टा वैरिएंट के खिलाफ मॉडर्ना के दो खुराक वाले कोविड-19 टीके की प्रभावशीलता 18 से 64 वर्ष की आयु के लोगों में 87.9 प्रतिशत और 65 वर्ष और उससे अधिक उम्र के लोगों में 75.2 प्रतिशत थी.
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