लुइमावी: भले ही एक दशक से अधिक समय पहले हुए जातीय दंगों के बाद 35,000 से अधिक ब्रू लोग त्रिपुरा में चले गए हैं, लेकिन लगभग 5,000 आदिवासियों के साथ-साथ अन्य छोटी अल्पसंख्यक जनजातियां चुनावी नतीजों को प्रभावित करने की ताकत रखती हैं. मिजोरम के मामित जिले में हाछेक विधानसभा क्षेत्र में उम्मीदवारों की हार-जीत की कुंजी इन्हीं आदिवासी और अल्पसंख्यक मतदाताओं के पास है, जहां सात नवंबर को मतदान होगा.
सत्तारूढ़ मिज़ो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ), मुख्य विपक्षी ज़ोरम पीपुल्स मूवमेंट (जेडपीएम), कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा ब्रू मतदाताओं का विश्वास अर्जित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है जो केंद्र, मिजोरम और त्रिपुरा की सरकारों और आदिवासी नेताओं के बीच हुए चतुर्पक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर करने के बावजूद विधानसभा क्षेत्र में अपने पैतृक गांवों में रुके हुए हैं. समझौते के तहत अनेक ब्रू लोगों का पड़ोसी राज्य में स्थायी रूप से पुनर्वास किया जा चुका है.
पार्टी की विचारधारा से इतर नेताओं का कहना है कि 23,600 पात्र मतदाताओं में से 5,000 से अधिक ब्रू मतदाता 'आगामी चुनाव में चकमा और त्रिपुरी जनजातियों के लगभग 2,000 मतदाताओं की तरह महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं.' कांग्रेस उम्मीदवार लालरिंदिका रिलेटे इस सीट से फिर से चुनाव लड़ रहे हैं, जबकि एमएनएफ ने राज्य के खेल मंत्री रॉबर्ट आर रॉयटे को मैदान में उतारा है और जेडपीएम के उम्मीदवार के रूप में जोनाथन राल्टे मैदान में हैं.
भाजपा ने हाछेक निर्वाचन क्षेत्र में माल्सावमत्लुआंगा को उम्मीदवार बनाया है. पार्टी मामित जिले में पैठ बनाने की पुरजोर कोशिश कर रही है. कांग्रेस उम्मीदवार रिलेटे ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘चुनाव में मेरी लड़ाई एमएनएफ उम्मीदवार के साथ होगी और मुझे दूसरी बार सीट जीतने की उम्मीद है. मुझे लगता है कि दो अन्य दल-भाजपा और जेडपीएम परिदृश्य में नहीं हैं.'' लालरिंदिका ने 2018 के चुनाव में 366 मतों के मामूली अंतर से सीट जीती थी, जबकि एमएनएफ दूसरे स्थान पर रही थी.
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