कलकत्ता हाईकोर्ट (Calcutta High Court) ने पुलिस में दर्ज एक मामले को गुरुवार को रद्द कर दिया, जिसमें आरोप लगाया गया था कि अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती (Mithun Chakraborty) के एक जनसभा में अपनी फिल्मों के संवाद बोलने के कारण पश्चिम बंगाल (West Bengal) में विधानसभा चुनाव के दौरान राजनीतिक हिंसा हुई. दरअसल, मिथुन चक्रवर्ती ने इस साल सात मार्च को आयोजित जनसभा में अपनी लोकप्रिय बंगाली फिल्मों के संवाद दोहराते हुए कहा था ‘‘मारबो खाने, लाश पोरबे शोशाने'' (मैं तुम्हें यहां मारूंगा और तुम्हारा शरीर श्मशान में गिरेगा) और ‘‘एक छोबोले छोबी''(एक बार सांप काटेगा और तुम तस्वीर बन जाओगे). उसी दिन मिथुन चक्रवर्ती भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हुए थे.
अदालत ने कहा कि चूंकि चक्रवर्ती ने इस बात से इनकार नहीं किया कि उन्होंने उक्त संवाद कहे थे, इसलिए वर्तमान मामले की कोई और पुलिस जांच अनावश्यक और परेशान करने वाली कवायद होगी. न्यायमूर्ति कौशिक चंदा ने सत्तारूढ़ दल तृणमूल कांग्रेस के एक कार्यकर्ता द्वारा फिल्म अभिनेता के खिलाफ यहां मानिकतला थाने में दर्ज और सियालदह में अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में लंबित मामले को खारिज कर दिया.
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याचिकाकर्ता को लोकप्रिय कलाकार बताते हुए न्यायाधीश ने कहा कि देश में राजनीति में फिल्मी सितारों की भागीदारी कोई नयी बात नहीं है. न्यायाधीश ने कहा, ‘‘यह भी जगजाहिर है कि फिल्मी सितारे राजनीतिक रैलियों में सिनेमा के संवाद बोलकर मतदाताओं का मनोरंजन करने और उन्हें आकर्षित करने की कोशिश करते हैं. यह मामला कोई अपवाद नहीं है.'' चक्रवर्ती ने जून में उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर कर मामले को रद्द करने का अनुरोध किया था.
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