लोकल से ग्लोबल हुआ मिथिला मखान, अब अमेरिका वाले भी चखेंगे बिहार सुपर फूड का स्वाद

मखाना को प्रमोट करने के लिए राज्य सरकार मखाना महोत्सव भी आयोजित कर रही है. इसके साथ ही किसानों को भंडारण गृह निर्माण और तकनीकी सहायता भी दी जा रही है.

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देश के कुल मखाना उत्पादन का 85 प्रतिशत बिहार में ही होता है.
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  • अमेरिका तक पहुंचा बिहार का मखाना, मिथिला की पहचान बनी वैश्विक
  • मखाना उत्पादन 10 वर्षों में हुई दोगुनी वृद्धि, सरकार बनाया "मखाना बोर्ड"
  • 10 जिलों से बढ़कर 16 जिलों तक पहुंची मिथिला के मखाना की खेती, किसानों को हो रही अच्छी आय
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पटना:

बिहार के मखाना ने एक और बड़ी छलांग लगाई है. पारंपरिक स्वाद और पोषण का प्रतीक मिथिला मखान की पहुंच अब अमेरिका तक पहुंच हो चुकी है. ये बिहार सरकार की कोशिशों और किसानों की मेहनत का नतीजा है. बिहार के मिथिलांचल का पारंपरिक खाद्य मखान वैश्विक रूप से “मिथिला सुपरफूड” के रूप से पहचान बना रहा है. साल 2012 तक बिहार में मखाना की खेती जहां सिर्फ 13 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में होती थी, लेकिन अब यह बढ़कर 35,224 हेक्टेयर तक पहुंच गई है. यही नहीं, उत्पादकता भी 16 क्विंटल प्रति हेक्टेयर से बढ़कर 28 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हो गई है. मखाना विकास योजना और मुख्यमंत्री बागवानी मिशन के तहत उपज क्षेत्र विस्तार के साथ उच्च गुणवत्ता वाले बीजों ने इस क्रांति में अहम भूमिका निभाई है.

मिथिला मखाना को मिला GI टैग 

20 अगस्त, 2022 को मिथिला मखाना को भौगोलिक संकेतक (GI टैग) मिला. इससे मखाना को वैश्विक बाजार में नई पहचान मिली. बिहार का मखाना अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ब्रांडेड उत्पाद के रूप में पहचाना जा रहा है.

कॉम्फेड और सुधा के जरिये अमेरिका तक पहुंच 

बिहार स्टेट मिल्क को-ऑपरेटिव फेडरेशन (कॉम्फेड) के ब्रांड 'सुधा' ने हाल ही में मखाना को अमेरिका भेजा है. जो मखाना के वैश्विक विस्तार की दिशा में ऐतिहासिक कदम है. भारत के बाहर के देशों में मिथिला का यह पारंपरिक मखाना सुपर फूड के नाम से जाना जा रहा है.

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10 जिलों से 16 जिलों तक का विस्तार 

फिलहाल मखाना का उत्पादन दरभंगा, मधुबनी, कटिहार, अररिया, लोकल से ग्लोबल हुआ मिथिला मखान, अब अमेरिका वाले भी चखेंगे बिहार सुपर फूड का स्वाद पूर्णियां, किशनगंज, सुपौल, मधेपुरा, सहरसा और खगड़िया जैसे जिलों में मुख्य रूप से हो रहा है. मगर अब मांग को देखते हुए इसका विस्तार राज्य के 16 जिलों तक किया गया है. बताते चलें, देश के कुल मखाना उत्पादन का 85 प्रतिशत बिहार में ही होता है.

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राजस्व में भी जबरदस्त उछाल 

जहां 2005 से पहले मखाना और मत्स्य जलकरों से राज्य को केवल 3.83 करोड़ रुपये का राजस्व मिलता था, वहीं 2023-24 में यह बढ़कर 17.52 करोड़ रुपये हो गया. यानी 4.57 गुना की वृद्धि दर्ज की गई है.

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मखाना बोर्ड का गठन 

सरकार अब मखाना के समेकित विकास के लिए "मखाना बोर्ड" का गठन कर रही है, जो क्षेत्र विस्तार, यांत्रिकरण, प्रसंस्करण, विपणन और निर्यात की दिशा में काम करेगा. यह बोर्ड किसानों, निर्यातकों और उपभोक्ताओं के बीच सेतु का कार्य करेगा. मखाना को प्रमोट करने के लिए राज्य सरकार मखाना महोत्सव भी आयोजित कर रही है. इसके साथ ही किसानों को भंडारण गृह निर्माण और तकनीकी सहायता भी दी जा रही है.

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लोकल से ग्लोबल हुआ मिथिला मखान 

बिहार के मखाना की यह सफलता केवल कृषि उत्पाद की कहानी नहीं, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था, महिला सशक्तिकरण और पारंपरिक ज्ञान की वैश्विक मान्यता की कहानी है. बिहार के लिए गर्व की बात ये है कि मिथिला का मखाना अब सिर्फ तालाबों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि इसने अपनी पहुंच दुनिया की रसोइयों तक बना ली है.

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