महाराष्ट्र सरकार में मंत्री छगन भुजबल शनिवार को मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली अपनी ही सरकार पर निशाना साधा और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) समुदाय में मराठों के 'पिछले दरवाजे से प्रवेश' देने पर सवाल उठाया. उन्होंने सभी मराठों को कुनबी प्रमाण पत्र प्रदान करने वाली राज्य सरकार द्वारा जारी मसौदा अधिसूचना को भी महज 'दिखावा' करार दिया और कहा कि जाति जन्म से निर्धारित होती है, न कि हलफनामे से. सामाजिक कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने शनिवार सुबह राज्य सरकार द्वारा उनकी आरक्षण की मांग स्वीकारे जाने के बाद नवी मुंबई में अपना अनिश्चितकालीन अनशन समाप्त कर दिया, जिसके बाद दिग्गज ओबीसी नेता यहां संवाददाताओं को संबोधित कर रहे थे.
खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री भुजबल ने कहा, ''राज्य सरकार ने सभी मराठों को कुनबी प्रमाण पत्र प्रदान करने वाली जो मसौदा अधिसूचना जारी की है, वो सिर्फ दिखावा है. यह अध्ययन का विषय है कि क्या यह ओबीसी के साथ अन्याय या फिर मराठों को धोखा तो नहीं दिया जा रहा.'' उन्होंने कहा, ''मराठा समुदाय के बुद्धिजीवियों को भी इसके बारे में सोचना चाहिए.'' भुजबल ने कहा कि मराठा समुदाय को ओबीसी आरक्षण में पिछले दरवाजे से प्रवेश दिया जा रहा है.
भुजबल, मराठों को आरक्षण मिलने तक ओबीसी के लाभ मिलने की मुख्यमंत्री शिंदे की घोषणा के सवालों पर जवाब दे रहे थे. अजित पवार नीत गुट वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेता भुजबल ने कहा, ''जाति जन्म से तय होती है, हलफनामे से नहीं. क्या होगा अगर दलित और आदिवासी भी इसी तरह की मांग करें कि सभी रक्त संबंधियों को जाति प्रमाण पत्र दिया जाए.'' भुजबल ने मराठों के लिए नौकरियों में रिक्तियां आरक्षित करने और समुदाय के सदस्यों के लिए 100 प्रतिशत मुफ्त शिक्षा की मांग को लेकर जरांगे पर भी हमला बोला. उन्होंने कहा, ''केवल मराठा ही क्यों? ब्राह्मण समेत सभी जातियों को मुफ्त शिक्षा दी जानी चाहिए.'' भुजबल ने कहा कि इस मुद्दे पर चर्चा के लिए उन्होंने सभी ओबीसी नेताओं को रविवार को बातचीत के लिए आमंत्रित किया है.
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