चीन सीमा से सटे गांवों में रुकेगा पलायन, सरपंचों ने केंद्रीय मंत्री को बताई अपनी समस्याएं

Vibrant Border Villages: पिछले साल ही सरकार ने वायब्रेंट बॉर्डर विलेज के तहत 665 गांवों को चयनित किया है. जहां 4800 करोड़ रुपये की मदद से इन गांवों के आधारभूत ढ़ांचे और लोगों के जीवनयापन के साधन को मुहैया कराने का काम होगा.

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प्रतीकात्मक फोटो.
नई दिल्ली:

स्वतंत्रता दिवस के मौके पर भारत-चीन बॉर्डर के गांवों से 350 सरपंच दिल्ली पहुंचे. 'वायब्रेंट बॉर्डर वीलेज' योजना के तहत इन सरपंचों ने सूचना प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर से सीधे बातचीत करके अपनी समस्या और गांव के बारे में बताया. भारत-चीन सीमा पर स्थित गांवों के सरपंचों का मानना है कि मोदी सरकार के ‘वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम' से उनके क्षेत्र में विकास का इंतजार खत्म होगा. उन्हें भी बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और आजीविका के अवसर मिल सकेंगे.

NDTV ने  भारत-चीन बॉर्डर के गांवों से आए कुछ सरपंचों से बात की और उनकी समस्याएं जानी. इनमें से कई सरपंच पहली बार दिल्ली आए हैं. अरुणाचल प्रदेश के माथो गांव की सरपंच सुनीता खिंजीजू मोबाइल में अपने गांव की तस्वीर दिखाते हुए कहती हैं, "चीन से मेरे गांव में सड़क, स्कूल और मोबाइल नेटवर्क न होने से 30 से 40 फीसदी लोग पलायन कर गए थे. लेकिन अब वायब्रेंड बॉर्डर विलेज योजना के तहत कुछ काम शुरू हुआ है." सुनीता आगे कहती हैं, "काम अभी कुछ कुछ शुरू हुआ है. सड़क बनी है. मोबाइल टावर के लिए भी सर्वे हुआ है. लेकिन अभी बहुत कुछ करना बाकी है."

यहीं हमें चीन से सटे तवांग जिले के झेमाथांग गांव के सरपंच ए दोरजी मिले. उनका गांव बिल्कुल चीन बॉर्डर से सटा है. कई बार उनका आमना सामना चीन के सैनिकों से भी हो चुका है. दोरजी बताते हैं कि बीते कुछ महीनों से मोबाइल टावर और सड़क बनाने के काम में तेजी आई है. तवांग में जेमीथांग गांव के सरपंच दोरजी कहते हैं, "चीन का इंफ्रा काफी मजबूत है. अच्छे मोबाइल नेटवर्क हैं. अभी इधर हमारे तरफ भी सब बनना शुरू हुआ है."

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665 गांवों को किया गया चयनित
दिल्ली आने वाले ज्यादातर सरपंच पहली बार इस तरह के कार्यक्रम में विस्तार से केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर के सामने सीमांत गांव की मुश्किलें बता रहे हैं. पिछले साल ही सरकार ने वायब्रेंट बॉर्डर विलेज के तहत 665 गांवों को चयनित किया है. जहां 4800 करोड़ रुपये की मदद से इन गांवों के आधारभूत ढ़ांचे और लोगों के जीवनयापन के साधन को मुहैया कराने का काम होगा.

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क्या कहते हैं केंद्रीय मंत्री?
सूचना प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर कहते हैं, "हम वायब्रेट वीलेज के तहत इन गांवों के विकास के लिए वचनबद्ध हैं. सभी सांसद और मंत्रियों से कहा गया है कि वो सीमांत गांवों में कम से कम एक रात और दो दिन जरूर बिताए, ताकि इन गांवों के विकास की ओर लोगों का ध्यान जाए."

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सालों से बॉर्डर के इन गांवों में बिजली,पानी, सड़क और स्कूल न होने से लोगों का तेजी से पलायन हो रहा है. इसे रोकने के लिए सरकार ने अब इन लोगों को विकास का भरोसा दिया है, ताकि सीमा के इन गांवों को मजबूत किया जा सके.

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