मैरिटल रेप को अपराध के दायरे में लाए जाने की मांग के खिलाफ पुरुष आयोग ट्रस्ट पहुंचा सुप्रीम कोर्ट

भारतीय कानून में मैरिटल रेप कानूनी अपराध नहीं है. इसे अपराध घोषित करने की मांग को लेकर कई संगठनों की ओर से लंबे वक्त से मांग उठ रही है. अब इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक हस्तक्षेप याचिका दाखिल की गई है.

विज्ञापन
Read Time: 6 mins
वैवाहिक बलात्‍कार को अपराध के दायरे में लाया जाए या नहीं, इस सवाल पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को 15 फरवरी तक जवाब दाखिल करने को कहा है

नई दिल्‍ली. वैवाहिक बलात्‍कार (Marital Rape) को अपराध के दायरे में लाए जाने की मांग के खिलाफ पुरुष आयोग ट्रस्ट सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. सुप्रीम कोर्ट में एक हस्तक्षेप याचिका दाखिल की गई है. इस याचिका में मैरिटल रेप के अपराधीकरण की मांग वाली दलीलों का विरोध किया गया है. याचिका में कहा गया है कि लिंग आधारित विशिष्ट कानूनों का दुरुपयोग चिंता का विषय है. मैरिटल रेप का अपराधीकरण भारत में विवाह और परिवार की संस्था को अस्थिर कर देगा. इसलिए ऐसा बिल्‍कु नहीं होना चाहिए. 

हस्‍तक्षेप याचिका में लिंग आधारित कई क़ानूनों का हवाला दिया गया है और बताया गया है कि कैसे इन कानूनों का व्यापक स्तर पर दुरुपयोग किया जा रहा है. साथ ही याचिका में मैरिटल रेप को अपराध की श्रेणी में लाए जाने की मांग वाली याचिकाओं को खारिज किए जाने की मांग की गई है. याचिकाकर्ता पुरुष आयोग ने अपने बारे में सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि वो संबंधित नागरिकों का संगठन है, जो पुरुषों के मुद्दों को लेकर आवाज उठाता है. उनके वैध अधिकारों के लिए लड़ता है. इसका उद्देश्य लिंग-तटस्थ नीतियों और कानून के लिए काम करना है. लिंग-पक्षपाती नीतियों के खिलाफ उनकी चिंताएं हैं. यह पुरुषों और महिलाओं के बीच सहयोग, समन्वय और की संस्कृति को बढ़ावा देता है. खास बात ये है कि पुरुष आयोग ट्रस्ट आयोग की प्रेसिडेंट एक महिला बरखा त्रेहन हैं. 

वैवाहिक बलात्‍कार को अपराध के दायरे में लाया जाए या नहीं, इस सवाल पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को 15 फरवरी तक जवाब दाखिल करने को कहा है. कोर्ट 14 मार्च से इस मामले पर अंतिम सुनवाई करेगा. मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सभी पक्ष तीन मार्च तक लिखित दलीलें दाखिल करें. सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इस मामले का बड़ा असर होगा. हमने कुछ महीने पहले सभी हितधारकों से विचार मांगे थे. हम इस मामले में जवाब दाखिल करना चाहते हैं. 

भारतीय कानून में मैरिटल रेप कानूनी अपराध नहीं है. इसे अपराध घोषित करने की मांग को लेकर कई संगठनों की ओर से लंबे वक्त से मांग उठ रही है. 11  मई को मैरिटल रेप अपराध है या नहीं, इस पर दिल्ली हाईकोर्ट की दो जजों की बेंच का बंटा हुआ फैसला सामने आया था. इसके बाद ये मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा.

Featured Video Of The Day
Bihar Election Breaking News: BJP ने दूसरी लिस्ट की जारी, Maithili Thakur को अलीनगर से मिला टिकट