मथुरा श्रीकृष्ण जन्मभूमि- शाही ईदगाह मस्जिद विवाद: हिंदू पक्ष की याचिकाओं पर आज होगी सुनवाई

हिंदू वादकारियों की ओर से दायर इन 17 मुकदमों में श्री कृष्ण जन्मभूमि मंदिर से सटी शाही ईदगाह मस्जिद हटाने की मांग की गई है. याचिकाकर्ताओं का दावा है कि औरंगजेब के जमाने में इस मस्जिद का निर्माण, एक मंदिर को ध्वस्त करने के बाद किया गया था.

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इलाहाबाद HC ने कहा था कि श्री कृष्ण जन्मभूमि एवं शाही ईदगाह विवाद मामला सुनवाई योग्य है.
लखनऊ:

मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद विवाद में आज से ट्रायल शुरू होगा. जस्टिस मयंक कुमार जैन की सिंगल बेंच याचिकाओं पर सुनवाई करेगी. हिंदू पक्ष की याचिकाओं पर दोपहर 2 बजे से सुनवाई शुरू होगी. इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मथुरा स्थित श्री कृष्ण जन्मभूमि एवं शाही ईदगाह मस्जिद विवाद मामले में एक अगस्त को कहा था कि यह वाद सुनवाई योग्य है. अदालत ने इस वाद में मुद्दे तय करने के लिए 12 अगस्त की तिथि निर्धारित की थी. वाद की पोषणीयता को लेकर मुस्लिम पक्ष की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन ने मुकदमे की पोषणीयता के संबंध में मुस्लिम पक्ष की दलीलें खारिज कर दीं थी. इससे पूर्व अदालत ने छह जून को निर्णय सुरक्षित रख लिया था.

हिंदू वादकारियों की ओर से दायर इन 17 मुकदमों में श्री कृष्ण जन्मभूमि मंदिर से सटी शाही ईदगाह मस्जिद हटाने की मांग की गई है. याचिकाकर्ताओं का दावा है कि औरंगजेब के जमाने में इस मस्जिद का निर्माण, एक मंदिर को ध्वस्त करने के बाद किया गया था. हालांकि, मस्जिद प्रबंधन कमेटी और उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की दलील थी कि ये वाद, पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम 1991 के तहत बाधित हैं. यह अधिनियम किसी भी पूजा स्थल का चरित्र बदलने से रोकता है.

उच्च न्यायालय के निर्णय के बाद हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने न्यायालय परिसर के बाहर संवाददाताओं से कहा था कि इन वादों की पोषणीयता को चुनौती देते हुए मुस्लिम पक्ष की ओर से जो भी दलीलें दी गई थीं, वे अदालत द्वारा खारिज कर दी गई हैं. इस निर्णय के बाद इलाहाबाद उच्च न्यायालय सभी 17 मामलों पर सुनवाई जारी रखेगा. 

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हिंदू पक्षकारों ने उच्चतम न्यायालय में कैविएट दायर कर अनुरोध किया था कि यदि मुस्लिम पक्ष इलाहाबाद उच्च न्यायालय के हालिया आदेश को चुनौती देते हुए न्यायालय का दरवाजा खटखटाता है तो उनका भी पक्ष सुना जाए. कैविएट आवेदन किसी वादी द्वारा यह सुनिश्चित करने के लिए दायर किया जाता है कि उसका पक्ष सुने बिना उसके विरुद्ध कोई प्रतिकूल आदेश पारित न किया जाए.

उल्लेखनीय है कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने छह अक्टूबर, 2023 के एक आदेश के तहत मथुरा की अदालत में लंबित इन मुकदमों को इस पीठ के लिए नामित किया था. अदालत ने कहा था, “जैसा कि पूजा स्थल अधनियम के तहत धार्मिक चरित्र परिभाषित नहीं किया गया है और उस स्थान का एक ही समय दोहरा चरित्र नहीं हो सकता. इसलिए विवादित स्थल का धार्मिक चरित्र दस्तावेजों और साक्ष्यों से निर्धारित करना होगा.”

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उच्चतम न्यायालय पहुंचा मुस्लिम पक्ष

अदालत ने 14 दिसंबर, 2023 के आदेश के तहत सर्वेक्षण के लिए आयोग की नियुक्ति का आवेदन स्वीकार कर लिया था और कहा था कि आयोग का स्वरूप सुनवाई के बाद तय किया जाएगा. इस आदेश से व्यथित होकर मस्जिद प्रबंधन कमेटी ने उच्चतम न्यायालय में एक विशेष अवकाश याचिका दायर की थी और उच्चतम न्यायालय ने कहा था, “उच्च न्यायालय के समक्ष सुनवाई जारी रहेगी. हालांकि, सुनवाई की अगली तिथि तक आयोग के निर्णय को क्रियान्वित नहीं किया जाएगा.” वहीं उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार (9 अगस्त) को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के उस आदेश के क्रियान्वयन पर अपनी रोक नवंबर तक बढ़ा दी, जिसमें मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि मंदिर से सटे शाही ईदगाह मस्जिद परिसर की अदालत की निगरानी में सर्वेक्षण करने की अनुमति दी गई थी.

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