इस साल एक दिसंबर से माचिस की डिब्बी की कीमत मौजूदा एक रुपये से बढ़कर दो रुपये हो जाएगी. इसकी वजह निर्माण लागत बढ़ने और कच्चे माल की कीमतों में वृद्धि होना है. उद्योग निकाय ने रविवार को यह जानकारी दी. हालांकि, उपभोक्ताओं को दो रुपये में मिलने वाली डिब्बी में 36 की जगह 50 तीलियां होंगी. ''नेशनल स्मॉल मैचबॉक्स मैनुफैक्चरर्स एसोसिएशन'' के सचिव वी एस सेतुरतिनम ने कहा कि प्रस्तावित मूल्य वृद्धि 14 साल के अंतराल के बाद होने जा रही है. उन्होंने कहा कि कच्चे माल की कीमत में वृद्धि हुई है, जिससे उत्पादन की लागत तेजी से बढ़ी है.
सेतुरतिमन ने कहा, 'हमारे पास बिक्री (अधिकतम खुदरा मूल्य) मूल्य बढ़ाने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं है. सभी 14 प्रमुख कच्चे माल की कीमत में वृद्धि हुई है. एक किलो रेड फॉस्फोरस 410 रुपये से बढ़कर 850 रुपये, वैक्स 72 रुपये से 85 रुपये, पोटाशियम क्लोरेट 68 रुपये से 80 रुपये, स्प्लिंट्स 42 रुपये से बढ़कर 48 रुपये हो गया है. बाहरी बॉक्स 42 रुपये से 55 रुपये और इनर बॉक्स 38 रुपये से बढ़कर 48 रुपये का हो गया है. इस तरह सभी कच्चे माल की कीमत कई गुना बढ़ गई है.'
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उन्होंने कहा, 'ईंधन की कीमतों में वृद्धि भी एक कारक है. इससे परिवहन लागत में वृद्धि हुई है. इसलिए, 1 दिसंबर से एक माचिस की कीमत मौजूदा 1 रुपये से बढ़ाकर 2 रुपये (अधिकतम खुदरा मूल्य) कर दी जाएगी. लगभग छह महीने के बाद हम स्थिति की समीक्षा कर सकते हैं. 2007 में, कीमत पचास पैसे से बढ़ाकर 1 रुपये प्रति माचिस की गई थी.'
हालांकि, सेतुरतिनम ने कहा कि जब कीमत दो रुपये हो जाएगी तो माचिस की तीलियों की संख्या वर्तमान 36 से बढ़ाकर 50 कर दी जाएगी. उन्होंने कहा कि मूल्य वृद्धि से उत्पादन लागत में वृद्धि के कारण पैदा हुई स्थिति से निपटने में मदद मिलेगी और सभी संघों के साथ विचार-विमर्श के बाद बढ़ोतरी का फैसला किया गया है. उन्होंने कहा कि करीब पांच लाख लोग प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से माचिस उद्योग पर निर्भर हैं और कार्यबल में 90 फीसदी महिलाएं हैं.
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तमिलनाडु माचिस की डिब्बियों का एक प्रमुख निर्माता है और कोविलपट्टी, सत्तूर, शिवकाशी, थिउरथंगल, एट्टायापुरम, कज़ुगुमलाई, शंकरनकोइल, गुडियाट्टम और कावेरीपक्कम प्रमुख उत्पादन केंद्र हैं. राज्य में लगभग 1,000 माचिस इकाइयां हैं, जिनमें छोटे और मध्यम माचिस निर्माता भी शामिल हैं.
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