महाराष्ट्र चुनाव : नतीजों ने चौंकाया, BJP ने रिकॉर्ड बनाया तो MNS सहित कई पार्टियों का हुआ सफाया

एक तरफ MVA की बल्ले-बल्ले है, वहीं दूसरी तरफ महयुति को काफी नुकसान झेलना पड़ा है. कांग्रेस ने सिर्फ 16 सीटों पर जीत हासिल की है. शिवसेना (UBT) ने महज 20 सीटों पर सिमट गई है. NCP (शरद पवार) की पार्टी का भी बुरा हाल है. एनसीपी को महज 10 सीटें ही मिली हैं.

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मुंबई:

इस महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में कई अप्रत्याशित परिणाम देखने को मिले हैं. एक तरफ महायुति को अप्रत्याशित जीत मिली है, वहीं कुछ ऐसी पार्टियां भी हैं, जो 1 सीट भी हासिल नहीं कर पाई है. 2024 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा राज्य में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है, वहीं एकनाथ शिंदे की शिवसेना ने 57 सीटों पर जीत हासिल कर अपनी दावेदारी मजबूत कर दी है. अजित पवार की भी इस चुनाव में एक बेहतरीन खिलाड़ी के तौर पर उभरे हैं. उनकी पार्टी ने 41 सीटें जीती हैं.

MVA का हाल बेहाल

एक तरफ MVA की बल्ले-बल्ले है, वहीं दूसरी तरफ महयुति को काफी नुकसान झेलना पड़ा है. कांग्रेस ने सिर्फ 16 सीटों पर जीत हासिल की है. शिवसेना (UBT) ने महज 20 सीटों पर सिमट गई है. NCP (शरद पवार) की पार्टी का भी बुरा हाल है. एनसीपी को महज 10 सीटें ही मिली हैं.

क्षेत्रीय पार्टियों का सूपड़ा साफ

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में सबसे बुरा हाल क्षेत्रीय पार्टियों का है. पालघर जिले के वसई विरार में 35 साल से एकछत्र राज करने वाली बहुजन विकास अघाड़ी इस बार साफ हो गई. बहुजन विकास अघाड़ी के अध्यक्ष हितेंद्र ठाकुर और उनके बेटे क्षितिज ठाकुर दोनो ही हार गए. हालांकि चुनाव के समय पिता-पुत्र ने कई रणनीतियां कीं, मगर उन्हें सफलता नहीं मिली. क्षितिज ठाकुर ने ही अपने कार्यकर्ताओं के साथ विरार के होटल में पंहुचकर बीजेपी के राष्ट्रीय सचिव विनोद तावड़े पर पैसे बांटने का आरोप लगाते हुए घेराव किया था. उनकी कार को भी पंचर कर दिया गया था. वहां से निकलने के लिए विनोद तावड़े को क्षितिज के पिता हितेंद्र ठाकुर को फोन कर बुलाना पड़ा. इस घटना का वीडियो भी सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ, मगर तमाम स्टंटबाजी होने के बावजूद दोनों अपनी सीट से हार गए.

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प्रहार जनशक्ति पार्टी का खाता नहीं खुला

ऐसा ही हाल राज्य के एक और क्षेत्रीय पार्टी का हुआ. प्रहार जनशक्ति पार्टी का अचलपुर इलाके में जबर्दस्त पकड़ है. बच्चू कडू 4 बार विधायक रह चुके हैं. उद्वव ठाकरे की सरकार में शामिल थे. हालांकि बच्चू कडू शिवसेना से बगावत कर शिंदे गुट में शामिल हो गए थे. लेकिन मंत्री पद नहीं मिलने के कारण वे नाराज हो गए और महायुति के खिलाफ चुनाव भी लड़ा. चुनाव में जनता ने उन्हें ठुकरा दिया और वे चुनाव हार गए.

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स्वाभिमानी पक्ष का हाल बेहाल

स्वाभिमानी पक्ष के राजू शेट्टी ने इस चुनाव में 19 उम्मीदवार उतारे थे लेकिन एक भी सीट नही जीत पाए. इसी तरह वंचित बहुजन आघाडी के प्रकाश अंबेडकर की पार्टी जो 35 सीटों पर कड़ी टक्कर देने का दावा कर रही थी वो खाता भी खोल नही पाई.

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मनसे का भी खाता नहीं खुला

राज ठाकरे की मनसे को भी इस चुनाव के बड़ा झटका लगा है. बेटे अमित ठाकरे के साथ उनके पार्टी के बड़े नेता बाला नांदगांवकर, संदीप देशपांडे और अविनाश जाधव चुनाव हार गये. 2019 के चुनाव में जीत कर आये एकमात्र विधायक राजू पाटिल भी को घर बैठना पड़ा है.

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अप्रत्याशित परिणाम देखने को मिले

इस विधानसभा चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण हार गए. अगर महाविकास आघाडी को बहुमत मिलती तो वे सीएम पद के दावेदार थे. इन सबके बावजूद जनता ने उन्हें नकार दिया. इसी तरह विदर्भ में कांग्रेस की बड़ी और आक्रामक नेता यशोमति ठाकुर भी हार गईं.

यहां तक कि कांग्रेस विधयाक दल के नेता बाला साहेब थोरात को हार का सामना करना पड़ा जबकि वो सात बार विधायक रह चुके है और इस बार MVA की सरकार आने पर मुख्यमंत्री के दावेदारों में से एक थे.

एमआइएम के इम्तियाज़ जलील भी हार गए

पहले लोकसभा और फिर विधानसभा में हारने से महाराष्ट्र में एमआईएम को बड़ा झटका लगा है. हालांकि मालेगांव की सीट जीतकर एमआईएम ने विधानसभा में अपनी उपस्थिति बरकार रखी है.

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