"विधानपरिषद चुनाव में BJP के कई नेताओं ने की महाविकास आघाड़ी की मदद" , बोले नाना पटोले

पटोले ने कहा कि विदर्भ कांग्रेस के पास बरकरार है. हम गलत समन्वय और योजना से प्रभावित हुए थे. इस बार हर किसी ने एकजुटता से कार्य किया और यह लड़ाई लड़ी.

नई दिल्ली:

महाराष्ट्र कांग्रेस के प्रमुख नाना पटोले ने शुक्रवार को महाराष्ट्र विधानपरिषद चुनाव को लेकर एक बड़ा बयान दिया है. पटोले ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) के कई नेताओं ने विधानपरिषद चुनावों में महाविकास आघाडी (MVA) की जीत सुनिश्चित करने के लिए विदर्भ में उसकी मदद की. उन्होंने आगे कहा कि अगर ऐसा रहा तो आगे BJP में फूट पड़ जाएगी. 

राज्य में सत्तारूढ़ एकनाथ शिंदे-भाजपा गठजोड़ को झटका देते हुए MVA ने चुनाव में शिक्षक और स्नातक कोटे की पांच सीट में तीन पर जीत हासिल की. इन सीटों में नागपुर, औरंगाबाद और अमरावती शामिल हैं. वहीं, भाजपा और एक निर्दलीय उम्मीदवार सत्यजीत ताम्बे ने क्रमश: कोंकण और नासिक स्नातक सीट पर जीत दर्ज की।

पटोले ने कहा कि उनका अब भी यह मानना है कि ताम्बे पिता-पुत्र ने पार्टी के साथ विश्वासघात किया है. पार्टी के आधिकारिक उम्मीदवार सुधीर ताम्बे ने नामांकन दाखिल करने के अंतिम दिन खुद को इस दौड़ से बाहर कर लिया था, जबकि उनके बेटे सत्यजीत ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर अपना नामांकन दाखिल किया था. कांग्रेस ने बाद में उन दोनों को निलंबित कर दिया है.

पटोले ने आगे कहा कि कि चुनावों में भाजपा को यह भी दिखा दिया गया कि प्रभावशाली कौन है. उन्होंने कांग्रेस के लिए लोगों के बीच उत्साह का संचार करने का श्रेय कांग्रेस नेता राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा को दिया, जो विदर्भ से गुजरी थी.

MVA समर्थित उम्मीदवार सुधाकर अदबाले द्वारा भाजपा समर्थित उम्मीदवार नागोराव गनारा को हराने के बाद, पटोले ने गुरुवार को दावा किया था कि भाजपा के मातृ संगठन के गढ़ में मिली जीत उसके एक झटका है. 

पटोले ने कहा कि विदर्भ कांग्रेस के पास बरकरार है. हम गलत समन्वय और योजना से प्रभावित हुए थे. इस बार हर किसी ने एकजुटता से कार्य किया और यह लड़ाई लड़ी. चाहे यह अमरावती या नागपुर संभाग हो, भाजपा नेताओं द्वारा पैदा किये गए संकट के कारण भाजपा के कई नेताओं ने हमारी मदद की. उनमें फूट पड़ जाएगी, यह आपको देखने को मिलेगा. 

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पटोले ने ताम्बे की बगावत के लिए भाजपा को जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने कहा कि कांग्रेस में फूट डालने की भाजपा की कोशिश ने उसी को बुरी तरह से नुकसान पहुंचाया. बता दें कि भाजपा ने विधानपरिषद चुनावों के आखिरी क्षणों में ताम्बे का समर्थन किया था.