इंफाल/नई दिल्ली: मणिपुर में दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाने की घटना को लेकर शुक्रवार को विरोध प्रदर्शन तेज होने के बीच इस मामले में गिरफ्तार चारों आरोपियों को 11 दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है. संसद के मानसून सत्र में लगातार दूसरे दिन भी मणिपुर हिंसा की प्रतिध्वनि सुनाई दी और इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बयान और चर्चा कराने की मांग को लेकर विपक्षी सदस्यों के भारी हंगामे के कारण लोकसभा और राज्यसभा में कोई विधायी कामकाज नहीं हो सका. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने हालांकि कहा कि सरकार इस मामले पर चर्चा के लिए तैयार है.
मणिपुर में लगभग एक हजार लोगों की हथियारबंद भीड़ ने कांगपोकपी जिले के एक गांव पर हमला किया और मकानों में लूटपाट की, उनमें आग लगायी, हत्या की तथा दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाया. इन महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाने का वीडियो सामने आने के बाद पूरा देश आक्रोशित है और घटना के विरोध में जगह जगह प्रदर्शन किए जा रहे हैं.
इस मामले में 21 जून को एक प्राथमिकी दर्ज की गयी थी जिसकी एक प्रति ‘पीटीआई-भाषा' ने देखी. इसमें आदिवासी महिलाओं के अपहरण और उनसे शर्मनाक बर्ताव से पहले हुए जुल्म की दास्तां का उल्लेख है. विपक्षी दलों ने मणिपुर मुद्दे पर केंद्र पर अपना हमला तेज कर दिया है. कांग्रेस ने मांग की कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू राज्य सरकार को बर्खास्त करने के लिए अपनी शक्तियों का प्रयोग करें.
मणिपुर में भीड़ द्वारा निर्वस्त्र कर घुमाई गई दो महिलाओं में से एक के पति एवं करगिल युद्ध में हिस्सा ले चुके पूर्व सैन्यकर्मी ने घटना पर दुख व्यक्त किया है. उन्होंने अफसोस जताते हुए कहा कि उन्होंने देश की रक्षा की, लेकिन वह अपनी पत्नी को अपमानित होने से नहीं बचा सके.
पीड़िता के पति ने एक समाचार चैनल को बताया, ‘‘मैंने करगिल युद्ध में देश के लिए लड़ाई लड़ी और भारतीय शांति सेना के हिस्से के रूप में श्रीलंका में भी तैनात रहा था. मैंने देश की रक्षा की, लेकिन मैं निराश हूं कि अपनी सेवानिवृत्ति के बाद, मैं अपने घर, अपनी पत्नी और साथी ग्रामीणों की रक्षा नहीं कर सका... मैं दुखी और उदास हूं.''
पुलिस ने बताया कि थोउबल जिले की एक अदालत ने चारों आरोपियों को 31 जुलाई तक के लिए पुलिस हिरासत में भेज दिया है. दो आदिवासी महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाने और छेड़छाड़ का यह वीडियो बुधवार को सामने आया था जिसकी देशभर में निंदा की गई. इस मामले में चार आरोपियों को बृहस्पतिवार को गिरफ्तार किया गया था. पुलिस ने बताया कि आक्रोशित भीड़ ने शुक्रवार दोपहर एक अन्य संदिग्ध के थोउबल जिले में वांगजिंग स्थित घर को जला दिया जिसे अभी तक गिरफ्तार नहीं किया जा सका है.
इस संबंध में एक अधिकारी ने कहा, ‘‘संदिग्ध को अभी गिरफ्तार नहीं किया जा सका है. यह पता चलने पर कि पुलिस उसकी तलाश कर रही है, वह फरार हो गया.'' मामले के मुख्य आरोपी को पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए जाने के कुछ घंटों बाद बृहस्पतिवार को उसका मकान आग के हवाले कर दिया गया था. पुलिस ने बताया कि वीडियो में वह बी फाइनोम गांव में भीड़ को निर्देश देते हुए स्पष्ट रूप से दिखाई देता है.
राज्य के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने शुक्रवार को कहा कि राज्य के लोग महिलाओं का सम्मान करते हैं और उन्हें ‘माता के समान' मानते हैं, लेकिन जिन उपद्रवियों ने मई में आदिवासी महिलाओं पर हमला कर उन्हें निर्वस्त्र किया, उन्होंने राज्य की ‘छवि को धूमिल' किया है. सिंह ने कहा, ‘‘मणिपुर के लोग महिलाओं को माता के समान मानते हैं, लेकिन कुछ बदमाशों ने यह हरकत की तथा हमारी छवि को धूमिल किया. हमने इस घटना की निंदा करने के लिए राज्यभर में घाटी एवं पहाड़ी दोनों ही क्षेत्रों में विरोध का आह्वान किया हैं.''
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने शुक्रवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को मणिपुर की घटना और राज्य में 80 दिन की हिंसा के विषय पर संसद के भीतर बयान देना चाहिए. उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि मणिपुर की हिंसा को लेकर केंद्र और प्रदेश सरकार पूरी तरह से असहाय नजर आई हैं.
कांग्रेस के मीडिया विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री ने मणिपुर की घटना पर बोलते हुए अपनी मंशा स्पष्ट कर दी. अपने 'ट्रोल्स' को इशारा कर दिया कि अब राजस्थान और छत्तीसगढ़ की बात करें. प्रधानमंत्री जी को बोलने से पहले अपनी सरकार के आंकड़े देखने चाहिए, फिर ऐसी कायराना बातें करनी चाहिए.''
भाजपा की पश्चिम बंगाल इकाई के अध्यक्ष सुकांत मजूमदार के साथ यहां पार्टी मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते पश्चिम बंगाल में इसी प्रकार दो महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार का दावा किया. इस घटना का ब्यौरा देते हुए पार्टी की सांसद लॉकेट चटर्जी रो पड़ी.
चटर्जी ने दावा किया कि जैसी स्थिति मणिपुर की है वैसी ही स्थित आज बंगाल की है.मणिपुर संकट को लेकर केन्द्र सरकार के खिलाफ हमला जारी रखते हुए तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की ‘बेटी बचाओ' योजना अब ‘बेटी जलाओ' में बदल गई है. बनर्जी ने जानना चाहा कि मणिपुर में जातीय हिंसा में 160 से ज्यादा लोगों की मौत होने के बावजूद केन्द्र सरकार ने वहां केन्द्रीय दलों को क्यों नहीं भेजा है.
मणिपुर के प्रतिष्ठित फिल्म निर्माता, संगीतकार, शिक्षाविद और उद्यमी ने इस घटना की निंदा की है. उन्होंने इसे ‘‘बर्बर, शर्मनाक और मानव जाति के खिलाफ'' बताया और दोषियों के लिए कठोरतम सजा की मांग की. मणिपुर में अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में पर्वतीय जिलों में तीन मई को आयोजित ‘ट्राइबल सॉलिडारिटी मार्च' (आदिवासी एकजुटता मार्च) के दौरान हिंसा भड़कने के बाद से राज्य में अब तक 160 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं तथा कई अन्य घायल हुए हैं.
राज्य में मेइती समुदाय की आबादी करीब 53 प्रतिशत है और वे मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहते हैं. वहीं, नगा और कुकी समुदाय के आदिवासियों की आबादी 40 प्रतिशत है और वे पर्वतीय जिलों में रहते हैं.