मणिपुर शांति समिति: कुकी समुदाय के लोग नाखुश, मैतेई समुदाय ने किया स्वागत

'कुकी इनपी मणिपुर' (केआईएम) ने एक बयान में कहा कि उसके अध्यक्ष को "बिना पूर्व जानकारी के और उचित विचार-विमर्श किए बगैर" सदस्यों की सूची में शामिल किया गया. 

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मणिपुर हिंसा में कम से कम 100 लोग मारे जा चुके हैं और 300 से अधिक घायल हुए हैं. 
इंफाल :

हिंसा प्रभावित मणिपुर में विभिन्न जातीय समुदायों के बीच शांति प्रक्रिया शुरू करने के लिए केंद्र द्वारा स्थापित समिति में शामिल कुकी समुदाय के सदस्यों ने नाखुशी जताते हुए दावा किया है कि समिति में उनका नाम शामिल करने से पहले उनसे विचार-विमर्श नहीं किया गया. कई कुकी संगठनों ने राज्यपाल अनुसुइया उइके की अगुवाई वाली 51 सदस्यीय समिति में मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह को शामिल करने पर आपत्ति जताई है. मैतेई समुदाय के सदस्यों ने शांति समिति के गठन का स्वागत किया है. 

'कुकी इनपी मणिपुर' (केआईएम) ने एक बयान में कहा कि उसके अध्यक्ष को "बिना पूर्व जानकारी के और उचित विचार-विमर्श किए बगैर" सदस्यों की सूची में शामिल किया गया. 

केआईएम ने कहा, "कुकी इनपी मणिपुर को केवल उन व्यक्तियों के साथ शांति कायम करने का कोई औचित्य नहीं दिखता, जिन्होंने अपने लोगों के साथ हिंसा की... शांति, केंद्रीय गृह मंत्रालय और प्रभावित समुदायों के ठोस प्रयासों का परिणाम होनी चाहिए. यह सामान्य स्थिति थोपने की शर्त नहीं हो सकती."

कुकी समुदाय से संबंधित नागरिक समाज संगठन 'इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम' (आईटीएलएफ) ने भी मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह को समिति में शामिल किए जाने की निंदा की है.

आईटीएलएफ ने एक बयान में कहा, "ऐसी शांति समिति का गठन... केंद्र सरकार द्वारा कुकी-आदिवासी गांवों के लिए सामान्य स्थिति और सुरक्षा सुनिश्चित करने के बाद ही किया जाना चाहिए."

एक अन्य संगठन 'कोऑर्डिनेटिंग कमेटी ऑन मणिपुर इंटीग्रिटी' (सीओसीओएमआई) ने कहा कि जब तक अवैध प्रवासियों और "मादक पदार्थ तस्करों -आतंकवादियों" के खिलाफ कदम उठाए जाने की लोगों की मांग पूरी नहीं हो जाती, तब तक शांति एवं सामान्य स्थिति बहाल नहीं हो सकेगी. 

उसके समन्वयक जितेंद्र निंगोम्बा ने बयान में कहा, "भारत सरकार ने इन मांगों को नजरअंदाज किया है, सीओसीओएमआई शांति समिति से दूर रहेगी."

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कुकी समुदाय के कई सूत्रों ने दावा किया है कि उनके सदस्यों के समिति की बैठकों में शामिल होने की संभावना नहीं है. 

इस बीच समिति में शामिल मैतेई समुदाय के कई सदस्यों ने इस कदम का स्वागत किया है. 

'बार काउंसिल ऑफ मणिपुर' के अध्यक्ष सारंगथेन ब्रजबिहारी ने कहा, "बहुत नुकसान हुआ है और कई लोगों की जान गई है. भाइयों के बीच लड़ाई जल्द से जल्द समाप्त होनी चाहिए. इसके समाधान के लिए एक-एक करके कदम उठाए जाने चाहिए और समिति का गठन शांति एवं सामान्य स्थिति बहाल करने की दिशा में पहला कदम है."

आकाशवाणी के सेवानिवृत्त समाचार संपादक बी बी शर्मा ने कहा कि सदस्यों को समिति के एजेंडा के बारे में सूचित नहीं किया गया है. 

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उन्होंने कहा, "मुझे बताया गया है कि पहली बैठक राज भवन में 15 जून को अपराह्न दो बजे होगी. मैं निश्चित ही जाऊंगा."

समिति में मैतेई समुदाय के 25 प्रतिनिधियों, कुकी समुदाय के 11 प्रतिनिधियों और नगा समुदाय के 10 प्रतिनिधियों को शामिल किया गया है तथा अध्यक्ष राज्यपाल अनुसुइया उइके इसकी अध्यक्ष हैं. समिति में मुस्लिम समुदाय के तीन और नेपाली समुदाय के दो लोगों भी शामिल किया गया है. 

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मणिपुर में अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मैतेई समुदाय की मांग के विरोध में तीन मई को पर्वतीय जिलों में 'आदिवासी एकजुटता मार्च' के आयोजन के बाद से राज्यभर में हिंसक झड़पें शुरू हुई थीं. इन झड़पों में कम से कम 100 लोग मारे जा चुके हैं और 300 से अधिक लोग घायल हुए हैं. 

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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