मणिपुर मंत्रिमंडल ने राज्यपाल से 21 अगस्त को विधानसभा सत्र बुलाने की सिफारिश की

कांग्रेस ने भी राज्यपाल उइके से राज्य ‘‘जारी अभूतपूर्व उथल-पुथल’’ पर चर्चा के लिए विधानसभा का आपातकालीन सत्र बुलाने का अनुरोध किया था

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मणिपुर की राज्यपाल अनसुइया उइके (फाइल फोटो).
इंफाल:

मणिपुर मंत्रिमंडल ने राज्यपाल अनुसूइया उइके से राज्य विधानसभा का अगला सत्र 21 अगस्त को बुलाने की सिफारिश की है. एक आधिकारिक विज्ञप्ति में शुक्रवार को यह जानकारी दी गई. विधानसभा का पिछला सत्र मार्च में आयोजित हुआ था.

इस संबंध में एक संक्षिप्त अधिसूचना में कहा गया, ‘‘राज्य मंत्रिमंडल ने 21 अगस्त, 2023 को 12वीं मणिपुर विधानसभा का चौथा सत्र बुलाने के लिए मणिपुर की माननीय राज्यपाल से सिफारिश की है.''

इसके अलावा, कांग्रेस ने भी राज्यपाल उइके से राज्य ‘‘जारी अभूतपूर्व उथल-पुथल'' पर चर्चा के लिए विधानसभा का आपातकालीन सत्र बुलाने का अनुरोध किया था.

कांग्रेस विधायक दल (सीएलपी) के नेता ओकराम इबोबी सिंह सहित पांच कांग्रेस विधायकों ने पिछले महीने राज्यपाल को लिखे एक पत्र में कहा, ‘‘मई की शुरुआत से जातीय संघर्ष से प्रभावित राज्य में शांति बहाल करने के तरीके और मौजूदा स्थिति पर चर्चा करने एवं सुझाव प्राप्त करने के लिए विधानसभा सबसे उपयुक्त मंच है.''

मणिपुर का दौरा करने वाले विपक्षी सांसदों के एक प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा रहीं तृणमूल कांग्रेस नेता सुष्मिता देव ने हाल में कहा था, ‘‘लोकतंत्र जवाबदेही के बारे में है... हमें लगता है कि स्थिति को नियंत्रित करने में विफलता के लिए मुख्यमंत्री के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आना चाहिए.''

इस साल मई में पूर्वोत्तर राज्य में भड़की जातीय हिंसा पिछले तीन महीनों से छिटपुट रूप से मणिपुर में जारी है और इसमें 160 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है.

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मणिपुर में अब भी कर्फ्यू लगा है. राज्य में जारी जातीय दंगों के दौरान मारे गए जनजातीय लोगों को सार्वजनिक एवं सामूहिक रूप से दफनाने की हालिया घोषणा के बाद दो समुदायों - मेइती और कुकी-जोमी जनजातियों के बीच हिंसा को भड़कते देखा गया.

पूर्व कुकी उग्रवादी संगठनों और केंद्र सरकार के बीच फिर से बातचीत शुरू होने के बाद दोनों समुदायों के बीच तनाव भी बढ़ गया.

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मणिपुर की आबादी में मेइती समुदाय के लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं. जनजातीय नगा और कुकी की आबादी 40 प्रतिशत से कुछ अधिक है और वे पर्वतीय जिलों में रहते हैं.

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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