बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र के मामले में ममता का रुख राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरनाक: राज्यपाल धनखड़

पश्चिम बंगाल (West Bengal) के राज्यपाल जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhar) ने गुरुवार को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए '‘संभावित खतरा’’ बताया है. मुख्यमंत्री को एक पत्र लिखकर धनखड़ ने बनर्जी से अपील की कि वे त्वरित उपयुक्त कदम उठाएं और जनहित और राष्ट्रीय हित में इस मुद्दे का समाधान करें.

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कोलकाता:

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) के राज्य पुलिस को यह सुनिश्चित करने के कथित निर्देश कि बीएसएफ अंतरराष्ट्रीय सीमा से 15 किलोमीटर के अधिकार क्षेत्र का उल्लंघन नहीं कर पाए, को पश्चिम बंगाल (West Bengal) के राज्यपाल जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhar) ने गुरुवार को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए '‘संभावित खतरा'' बताया है. मुख्यमंत्री को एक पत्र लिखकर धनखड़ ने बनर्जी से अपील की कि वे त्वरित उपयुक्त कदम उठाएं और जनहित और राष्ट्रीय हित में इस मुद्दे का समाधान करें. अपने पत्र में राज्यपाल धनखड़ ने लिखा - ‘‘सात दिसंबर को गंगा रामपुर में प्रशासनिक बैठक के दौरान बीएसएफ को लेकर दिए गए आपके निर्देश से काफी चिंतित हूं जिसमें आपने बीएसएफ को 15 किलोमीटर के दायरे में दी गयी अनुमति को लेकर राज्य पुलिस को निर्देश दिए हैं.

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अपने पत्र को राज्यपाल ने ट्विटर पर भी साझा किया है. राज्यपाल ने ट्ववीट में लिखा है कि ‘‘यह (मुख्यमंत्री का निर्देश) कानून के अनुरूप नहीं है और हाल में केंद्रीय गृह मंत्रालय की अधिसूचना का पालन करता नहीं दिखता जिसमें बीएसएफ का राज्य में अधिकार क्षेत्र 15 किलोमीटर से बढ़ाकर 50 किलोमीटर की दूरी तक किया गया है. आपके रुख से खराब संकेत गए हैं और संघीय राजनीति और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए यह संभावित खतरा है.''

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उत्तर दिनाजपुर जिले के रानीगंज में सात नवंबर को प्रशासनिक बैठक के दौरान बनर्जी ने पुलिस प्रशासन को निर्देश दिए थे कि बीएसएफ को उसके अधिकार क्षेत्र का उल्लंघन नहीं करने दें और राज्य के कानून-व्यवस्था में उसे संलिप्त नहीं होने दें.  उन्होंने यही आदेश गुरुवार को नादिया जिले में इसी तरह की एक बैठक में दिए. उधर धनखड़ ने पत्र में कहा - ‘‘बांग्लादेश, नेपाल और भूटान के साथ लगती सीमाओं वाले राज्यों में बीएसएएफ और केंद्रीय सशस्त्र बल राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और अपराधियों पर लगाम कस अवैध गतिविधियों को रोकते हैं.'' बीएसएफ जहां भारत-बांग्लादेश की सीमा पर तैनात है, वहीं सशस्त्र सीमा बल के जवान नेपाल और भूटान के साथ लगती सीमाओं पर तैनात हैं.
 

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याद रहे केंद्र ने हाल में बीएसएफ कानून में संशोधन कर पंजाब, पश्चिम बंगाल और असम में अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगते 15 किलोमीटर के दायरे के बजाए 50 किलोमीटर के दायरे में सुरक्षा बलों को तलाशी, जब्ती और गिरफ्तारी का अधिकार दिया था. मुख्यमंत्री बनर्जी ने इस निर्णय की आलोचना की थी और कहा था कि यह देश के संघीय ढांचे में हस्तक्षेप करने का प्रयास है. उन्होंने पिछले महीने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी नयी दिल्ली में मुलाकात कर इस निर्णय को वापस लेने की मांग की थी. बनर्जी ने गुरुवार को कृष्णनगर में प्रशासनिक बैठक के दौरान कहा - ''मैं प्रभारी निरीक्षकों से कहूंगी कि अपनी निगरानी बढ़ाएं और नाका जांच करें. करीमपुर से बांग्लादेश के साथ लगती सीमाएं हैं. आपको उन पर भी नजर रखनी होगी.''

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मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘आपको यह भी देखना होगा कि बीएसएफ आपकी अनुमति के बगैर गांवों में नहीं घुस पाए और हस्तक्षेप नहीं कर पाए. बीएसएफ अपना काम करेगा और आप अपना काम कीजिए. याद रखिए कानून-व्यवस्था आपका विषय है.'' पिछले कुछ दिन में बनर्जी ने चार अन्य जिलों में भी प्रशासनिक समीक्षा बैठकों को संबोधित किया और पुलिस प्रशासन को निर्देश दिया है कि बीएसएफ को उसके अधिकार क्षेत्र का उल्लंघन नहीं करने दें और राज्य के कानून-व्यवस्था के मामलों में उसे संलिप्त नहीं होने दें. याद रहे धनखड़ के जुलाई 2019 में राज्य का राज्यपाल बनने के बाद से बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस सरकार से कई मुद्दों को लेकर विरोध रहा है.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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