लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Elections 2024) में कांग्रेस (Congress) को 200 सीटों के आसपास चुनाव लड़ना चाहिए, जहां उसकी स्थिति मजबूत है और जिन राज्यों में क्षेत्रीय दल मजबूत हैं वहां कांग्रेस को उनका समर्थन करना चाहिए. ममता बनर्जी के इस फॉर्मूले पर विपक्षी खेमे में राजनीति तेज हो गई है. आरजेडी ने मंगलवार को कहा कि विपक्षी दलों को एक साझा रणनीति बनाकर यह कोशिश करनी चाहिए, जिससे 85 से 90 फीसदी सीटों पर बीजेपी और विपक्षी दलों के बीच सीधी चुनावी टक्कर हो.
कर्नाटक में कांग्रेस की जीत के बाद तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी के इस बयान से विपक्षी एकजुटता की संभावनाएं बढ़ रही हैं.
कर्नाटक में कांग्रेस को मिली जीत के बाद ममता बनर्जी ने सोमवार को राष्ट्रीय स्तर पर विपक्ष को एकजुट करने के लिए एक नया राजनीतिक फार्मूला कांग्रेस के सामने रखा. ममता ने कहा, "हमारा आकलन है कि जिन करीब 200 सीटों पर कांग्रेस मजबूत है, वहां वो बीजेपी से सीधे लड़े, हम उनका समर्थन करेंगे. हालांकि दूसरी जगहों पर कांग्रेस को अन्य राजनीतिक दलों का भी समर्थन करना होगा. अगर मैं कर्नाटक में आपका समर्थन करती हूं, लेकिन आप बंगाल में मेरे खिलाफ लड़ें, यह नीति नहीं होनी चाहिए. यदि आप कुछ अच्छा हासिल करना चाहते हैं तो आपको कुछ क्षेत्रों में त्याग करना होगा.”
ममता के फॉर्मूले से अखिलेश सहमत
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ममता के फॉर्मूले का समर्थन किया है. मंगलवार को अखिलेश ने कहा, "जहां जो क्षेत्रीय दल मजबूत है, वहां उसके समर्थन में चुनाव लड़ा जाए." वहीं आरजेडी ने कहा कि लोकसभा की 85 से 90 फीसदी सीटों पर विपक्षी दलों और बीजेपी के बीच सीधी टक्कर सुनिश्चित हो, इसकी रणनीति बननी चाहिए.
'विपक्षी दल सहयात्री की तरह होने चाहिए'
आरजेडी नेता मनोज झा मानते हैं कि सभी विपक्षी दल सहयात्री की तरह होने चाहिए, कभी एक मजबूत पक्ष ड्राइविंग सीट पर होगा और बाकी पिलियन राइडर (पीछे बैठने वाले यात्री) हो सकते हैं. मनोज झा ने NDTV से कहा, "कांग्रेस विपक्ष में नेशनल फुटप्रिंट की एकमात्र पार्टी है. कर्नाटक के नतीजों से लगता है कि अगर हम जन सरोकार के मुद्दों को अपनी चुनावी रणनीति का हिस्सा बनाते हैं तो जनता उसके पक्ष में खड़ी हो सकती है. नीतीश कुमार, तेजस्वी यादव और ममता बनर्जी के बयान को देखें तो कोशिश होनी चाहिए कि ज्यादा से ज्यादा 85 से 90 फीसदी सीटों पर वन टू वन फाइट को सुनिश्चित किया जाए".
सीपीआई महासचिव डी राजा कहते हैं, "जब चुनावों की बात आती है तो राज्य स्तर पर ठोस चुनावी रणनीति और सीटों के बंटवारे की व्यवस्था करनी होगी."
'कांग्रेस के बिना जीतना नामुमकिन'
उधर, पश्चिम बंगाल प्रदेश कांग्रेस की अपनी दलील हैं और शर्तें भी. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और लोकसभा सांसद अधीर रंजन चौधरी ने NDTV से कहा, "कांग्रेस के बिना बीजेपी के खिलाफ लड़ना और जीतना नामुमकिन है. इसलिए उनके (ममता बनर्जी के) तेवर ढ़ीले नजर आ रहा हैं. हम (ममता को) सपोर्ट करेंगे या नहीं, यह आलाकमान तय करेगा. बंगाल में ममता बनर्जी के साथ हमारा संघर्ष जारी है, हम उनके साथ पीछे नहीं हट रहे हैं. आप (ममता) यहां पर दिल्ली में आकर सोनिया गांधी, राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन से बात करें. उनसे कहिए कि हमसे जो गलती हुई थी, हम दोबारा वह गलती नहीं करेंगे."
कर्नाटक में कांग्रेस को मिली बड़ी जीत के बाद ममता बनर्जी के ऐलान से राष्ट्रीय स्तर पर विपक्षी एकजुटता की राजनीति में कई नई संभावनाएं पैदा हुई हैं. अब देखना होगा कि कांग्रेस ममता के प्रस्ताव पर आगे क्या रणनीति अख्तियार करती है.
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