राष्ट्रपति पद के संयुक्त उम्मीदवार के लिए ममता बनर्जी ने जोर दिया था, अब वो क्या कह रही हैं

ममता बनर्जी ने कहा, "आदिवासियों के प्रति हमारी भावनाएं हैं. अगर भाजपा ने पहले कहा होता कि वे राष्ट्रपति पद के लिए एक आदिवासी को नामित करेंगे, तो सभी विपक्षी दल एक साथ बैठकर इस पर चर्चा कर सकते थे. लेकिन उन्होंने हमें केवल हमारे सुझाव मांगने के लिए बुलाया."

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ममता बनर्जी ने कहा, "यदि भाजपा ने उम्मीदवार के बारे में पहले बता दिया होता तो मैं जरूर सोचती.”
कोलकाता:

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सत्तारूढ़ भाजपा की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू के खिलाफ अपनी बयानबाजी की धार को थोड़ा कम कर दिया है. ऐसा इसलिए क्योंकि द्रौपदी मुर्मू के चुनाव जीतने की प्रबल संभावना है. ममता बनर्जी ने राष्ट्रपति पद के लिए एक संयुक्त विपक्षी उम्मीदवार को नामित करने के लिए काफी मेहनत की थी. एक संयुक्त उम्मीदवार के लिए समर्थन हासिल करने के लिए उन्होंने कांग्रेस सहित कई दलों के हस्ताक्षर भी ले लिए थे. काफी खोजबीन के बाद सभी पार्टियों ने तृणमूल कांग्रेस के नेता यशवंत सिन्हा पर अपनी सहमति जाहिर की थी.

लेकिन जैसे-जैसे राष्ट्रपति चुनाव नजदीक आता जा रहा है वैसे वैसे ममता बनर्जी को 18 जुलाई को होने वाले मतदान की तस्वीर साफ होते दिखाई दे रही है.

ममता बनर्जी ने कोलकाता के इस्कॉन मंदिर में रथ यात्रा का उद्घाटन करने के बाद कहा, "यदि भाजपा ने उम्मीदवार के बारे में पहले बता दिया होता तो मैं जरूर सोचती ...... वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में द्रौपदी मुर्मू के जीतने की अधिक संभावना है खासकर महाराष्ट्र में जो हुआ उसके बाद."

सत्ताधारी दल के पास अपने आप में लगभग 49 प्रतिशत निर्वाचक मंडल है और राष्ट्रपति का चुनाव जीतने के लिए 50 प्रतिशत अंक को पार करने की आवश्यकता है.

द्रौपदी मुर्मू झारखंड की पूर्व राज्यपाल हैं. वो ओडिशा की निवासी है और निर्वाचित होने पर 64 वर्षीय मुर्मू भारत की राष्ट्रपति बनने वाली पहली आदिवासी महिला होंगी.

बनर्जी ने कहा, "आदिवासियों के प्रति हमारी भावनाएं हैं. अगर भाजपा ने पहले कहा होता कि वे राष्ट्रपति पद के लिए एक आदिवासी को नामित करेंगे, तो सभी विपक्षी दल एक साथ बैठकर इस पर चर्चा कर सकते थे. लेकिन उन्होंने हमें केवल हमारे सुझाव मांगने के लिए बुलाया."

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"देश के लिए बेहतर होता अगर जनता के व्यापक हित में राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार होता. मैं अब अकेले कुछ नहीं कर सकती. यह निर्णय लेने वाली 17 पार्टियों द्वारा तय किया गया है. अब नामांकन जमा कर दिया गया है. अब कुछ भी नहीं किया जा सकता है.” बंगाल की मुख्यमंत्री ने कहा.

द्रौपदी मुर्मू 2017 के राष्ट्रपति चुनावों से पहले भी इस पद की प्रबल दावेदार थीं. लेकिन ऐन मौके पर बिहार के तत्कालीन राज्यपाल रामनाथ कोविंद, जो कि दलित थे, को इस पद के लिए सरकार की पसंद का नाम दिया गया.

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