मालेगांव बम धमाका केस : 14 साल, 3 जांच एजेंसियां और 4 जज बदले गए, फिर भी जारी है मुकदमा

बीते इतने वर्षों में इस मामले की सुनवाई के दौरान 3 एजेंसियां और यहां तक की 4 जज भी बदले जा चुके हैं, बावजूद इसके इस मामले में अभी तक 195 के करीब गवाहों का बयान दर्ज होना बाकी है.

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मालेगांव धमाके को लेकर अभी भी है फैसले का इंतजार
मुंबई:

मालेगांव में हुए बम धमाके को अब 14 साल पूरे हो गए हैं, लेकिन अभी तक इस मामले में किसी को दोषी नहीं साबित किया जा सका है. यही वजह है कि इस मामले में पीड़ित और आरोपी दोनों को बीते 14 साल से इंसाफ का इंतजार है. ये इंतजार औऱ कितना लंबा चलेगा इसका जवाब किसी के पास नहीं है. हालांकि, बीते इतने वर्षों में इस मामले की सुनवाई के दौरान 3 एजेंसियां और यहां तक की 4 जज भी बदले जा चुके हैं, बावजूद इसके इस मामले में अभी तक 195 के करीब गवाहों का बयान दर्ज होना बाकी है. इस धमाके को लेकर पुलिस ने समीर कुलकर्णी को आरोपी बनाया है.

समीर बीते 14 साल से इस मामले में गवाही के लिए कोर्ट द्वारा तय की गई हर तारीख पर पुणे से मुंबई जाते हैं. लेकिन इतने साल बीतने के बाद भी उन्हें आज तक कोर्ट से यह पता नहीं चल पाया है कि क्या वो दोषी हैं भी या नहीं. इस मामले में 29 सितंबर 2022 को फिर एक बार तारीख मिली क्योंकि जिन दो गवाहों का बयान होना था वो आए ही नहीं. व्यवस्था से निराश और नाराज समीर कुलकर्णी ने अदालत के बाहर काली पट्टी लगाकर अपना विरोध दर्ज किया है. 

बता दें कि मालेगांव 2008 बम धमाके में 6 लोगों की मौत हुई थी और 101 जख्मी हुए थे. एटीएस ने जांच के बाद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर और सेना के लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित सहित 12 आरोपियों को गिरफ्तार किया था. मालेगांव बम धमाके के बाद ही देश में भगवा आतंकवाद का आरोप लगा था.

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मामले की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी ( NIA) को दे दी गई थी. एनआईए ने साध्वी प्रज्ञा ठाकुर सहित 6 को क्लीन चिट दे दी थी, लेकिन अदालत ने साध्वी को बरी करने से इंकार कर आरोपी बनाए रखा. साध्वी अब भोपाल से सांसद बन चुकी हैं, लेकिन मुकदमा अभी भी जारी है. इस मुकदमा जल्द खत्म करने को लेकर बॉम्बे हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट दोनों का आदेश है. लेकिन गवाहों के ना मिलने या नही आने से अक्सर सुनवाई टलती रहती है.

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