महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने शिवसेना के दो गुटों में टूटने और ठाकरे गुट के 16 विधायकों व शिंदे गुट के 14 विधायकों पर कार्रवाई को लेकर याचिकाओं पर अपने फैसले में आज कहा कि उद्धव ठाकरे का एकनाथ शिंदे को पार्टी से निकालना गलत था. स्पीकर ने शिंदे गुट के पक्ष में फैसला दिया. उद्धव गुट की मांग खारिज कर दी. उन्होंने कहा कि, एकनाथ शिंदे गुट को 55 में से 37 विधायकों का समर्थन प्राप्त है. विधानसभा में शिंदे गुट ही असली शिवसेना पार्टी है.
उद्धव ठाकरे गुट का दावा था कि पक्ष (पार्टी) प्रमुख का फैसला अंतिम होता है. इसे स्पीकर ने खारिज कर दिया. विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि, एकनाथ शिंदे का समूह ही असली शिवसेना है. स्पीकर ने कहा कि, एकनाथ शिंदे खेमे के विधायकों को अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता.
विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि ठाकरे गुट के विधायक भी योग्य हैं. शिन्दे गुट ने, ठाकरे गुट के 14 विधायको को अयोग्य करार करने की मांग को थी, जिसे स्पीकर ने खारिज कर दिया है.
महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने कहा कि 21 जून, 2022 को जब प्रतिद्वंद्वी गुटों का उदय हुआ तो शिवसेना का एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाला गुट ही ‘असली राजनीतिक दल' (असली शिवसेना) था.
शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना और उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले प्रतिद्वंद्वी गुट द्वारा एक-दूसरे के विधायकों के खिलाफ दायर अयोग्यता याचिकाओं पर अपना फैसला पढ़ते हुए नार्वेकर ने यह भी कहा कि शिवसेना (यूबीटी) के सुनील प्रभु 21 जून, 2022 से सचेतक नहीं रहे.
उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग के सामने पेश किया गया शिवसेना का 1999 का संविधान ही मान्य होगा. विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि, हमने चुनाव आयोग से पार्टी के संविधान की कॉपी मांगी. उन्होंने हमें उनके पास मौजूद संविधान की कॉपी मुहैया करवाई. सिर्फ यही संविधान चुनाव आयोग के पास मौजूद है.
चुनाव आयोग ने अपने फैसले में कहा कि 2018 में संशोधित किया गया संविधान उनके रिकॉर्ड में मौजूद नहीं है. इसलिए ठाकरे गुट की मांग कि 2018 के संशोधित संविधान को सही माना जाएगा, स्वीकार नहीं किया जा सकता. स्पीकर के पास भी पार्टी ने कभी कोई संविधान की कॉपी जमा नहीं की. इसलिए असली पार्टी कौन? यह तय करने के लिए चुनाव आयोग के पास मौजूद 1999 का संविधान ही योग्य माना जाए.
एकनाथ शिंदे गुट ने विश्वास जताया कि 1999 का शिव सेना का संविधान ही पार्टी का संविधान है. सन 2018 में अकेले शिव सेना के लीडरशिप स्ट्रक्चर को स्वीकार किया गया. रिकॉर्ड के अनुसार 21.6.2022 को शिवसेना विभाजित हो गई. साल 2018 में शिवसेना में कोई चुनाव नहीं कराया गया था.
विधानसभा स्पीकर राहुल नार्वेकर ने कहा कि, इलेक्शन कमीशन के रिकॉर्ड में शिंदे गुट ही असली शिवसेना है. चुनाव आयोग की वेबसाइट पर मौजूद 2018 के लीडरशिप स्ट्रेचर को ही आधार माना जाएगा.
नार्वेकर ने कहा कि, मेरे पास 22 जून को पहली बार शिवसेना में बगावत का मामला सामने आया. 21 जून को शिवसेना का बंटवारा हुआ था. शिवसेना की राष्ट्रीय कार्यकारिणी का फैसला आखिरी है. शिवसेना का संशोधित संविधान (2018) रिकॉर्ड पर नहीं है.
महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष का मानना है कि शिवसेना अध्यक्ष के पास निर्णय लेने की शक्ति नहीं बल्कि राष्ट्रीय कार्यकारिणी की शक्ति है. उद्धव ठाकरे एकनाथ शिंदे को पार्टी से नहीं निकाल सकते थे. पार्टी के संविधान के मुताबिक पक्ष प्रमुख के पास सारे अधिकार नहीं हैं. उन्हें फैसले लेने के लिए राष्ट्रीय कार्यकारिणी से इजाजत लेनी होगी.
उन्होंने कहा कि, बालासाहब की वसीयत को पार्टी की वसीयत नहीं माना जा सकता है. सिर्फ ठाकरे को पसंद नही, इसलिए शिंदे को हटा नहीं सकते थे. पार्टी के संविधान में इसका कोई प्रावधान नहीं है.
स्पीकर राहुल नार्वेकर ने शिंदे गुट के पक्ष में फैसला दिया. उद्धव गुट की मांग खारिज कर दी. उन्होंने कहा कि, एकनाथ शिंदे गुट को 55 में से 37 विधायकों का समर्थन प्राप्त है. विधानसभा में शिंदे गुट ही असली शिवसेना पार्टी है. सुनील प्रभु पार्टी के सचेतक नहीं रहे. भरत गोगावले 22 जून 2022 से सचेतक हैं
ठाकरे गुट का दावा था कि पक्ष (पार्टी) प्रमुख का फैसला अंतिम होता है. इसे स्पीकर ने खारिज कर दिया. विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि, एकनाथ शिंदे का समूह ही असली शिवसेना है. स्पीकर ने कहा कि, एकनाथ शिंदे खेमे के विधायकों को अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता.
विधानसभा अध्यक्ष ने अपने फैसले में कहा-
1. विधानसभा में शिंदे गुट ही असली शिवसेना है.
2. एकनाथ शिंदे को विधानसभा में शिवसेना के नेता के रूप में वैध रूप से नियुक्त किया गया था.
3. भरत गोगावले जी को वैध रूप से पार्टी का मुख्य सचेतक नियुक्त किया गया..