महाराष्ट्र (Maharashtra) में शिव संग्राम पार्टी (Shiv Sangram Party) के नेता और विधान परिषद सदस्य विनायक मेटे (Vinayak Mete) ने आज कोरोना वायरस के कारण जारी प्रतिबंधों का उल्लंघन करते हुए बीड जिले में मराठा आरक्षण (Maratha reservation) के समर्थन में एक मार्च और रैली का आयोजन किया. उन्होंने मराठा आरक्षण लागू करने के लिए सरकार को एक माह का अल्टीमेटम देते हुए कहा है कि उसके बाद आंदोलन होगा और विधानसभा सत्र नहीं चलने दिया जाएगा.
महाराष्ट्र विधान परिषद के सदस्य विनायक मेटे ने शनिवार को महाराष्ट्र के मराठवाड़ा क्षेत्र के बीड़ जिले में मार्च आयोजित किया. इस विरोध प्रदर्शन में भीड़ जुटी और कोरोना वायरस के मद्देनजर जारी प्रतिबंधों का खुलकर उल्लंघन किया गया. मेटे ने कहा कि अगर नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण की मराठा समुदाय की मांगें पूरी नहीं की जाती हैं तो पांच जुलाई को यह समुदाय आंदोलन करेगा और राज्य विधानसभा का मानसून सत्र चलने नहीं देगा.
बीड़ में मार्च के बाद एक रैली को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि पूर्व की बीजेपी सरकार ने मराठा समुदाय को सामाजिक एवं शैक्षणिक रूप से पिछड़ा वर्ग (SEC) श्रेणी के तहत दिया गया आरक्षण मजबूत था लेकिन राज्य सरकार की लापरवाही की वजह से सुप्रीम कोर्ट में आरक्षण का यह मामला हार गए.
विनायक मेटे ने इसके लिए कांग्रेस नेता अशोक चव्हाण को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि चव्हाण को उद्धव ठाकरे सरकार से बाहर का रास्ता दिखाया जाना चाहिए. कांग्रेस नेता अशोक चव्हाण मराठा आरक्षण पर राज्य मंत्रिमंडल की उप समिति का नेतृत्व करते हैं. वे भी मराठवाड़ा के ही नेता हैं.