महाराष्ट्र सरकार ने तीन भाषा नीति की रद्द, मराठी-अंग्रेजी के साथ तीसरी भाषा का था प्रस्ताव

महाराष्ट्र सरकार ने तीन भाषा नीति की रद्द, मराठी-अंग्रेजी के साथ तीसरी भाषा का था प्रस्ताव.

विज्ञापन
Read Time: 2 mins
फटाफट पढ़ें
Summary is AI-generated, newsroom-reviewed
  • महाराष्ट्र सरकार ने त्रिभाषा नीति को रद्द करने का निर्णय लिया है.
  • शिक्षाविदों और नागरिक संगठनों ने नीति के खिलाफ तीव्र विरोध किया था.
  • मुख्यमंत्री ने नरेंद्र जाधव की अध्यक्षता में समिति बनाने का ऐलान किया है.
  • राज्य मंत्रिमंडल ने कक्षा 1 से त्रिभाषा नीति के जीआर वापस लिए हैं.
क्या हमारी AI समरी आपके लिए उपयोगी रही? हमें बताएं।
मुंबई:

महाराष्‍ट्र सरकार की तीन भाषाओं को लागू करने की नीति रद्द हो गई है. राज्‍य सरकार को इस नीति की वजह से पिछले कुछ दिनों से शिक्षाविदों, राजनीतिक दलों और नागरिक समाज समूहों के कड़े विरोध का सामना करना पड़ रहा है. महाराष्‍ट्र सरकार की तरफ से पहले राज्य बोर्ड के स्कूलों में कक्षा 1 से हिंदी को डिफॉल्‍ट तीसरी भाषा बनाने का फैसला लिया गया था लेकिन इस पर जमकर विवाद हुआ जिसके बाद सरकार को अपना रुख नरम करना पड़ा है. 

सीएम ने बनाई समिति 

महाराष्‍ट्र के स्कूलों में भी इस फैसले का विरोध होने लगा था. बढ़ते विरोध के बीच ही राज्य मंत्रिमंडल ने रविवार को त्रिभाषा नीति को लागू करने से जुड़े दो जीआर (सरकारी आदेश) वापस लेने का फैसला किया. मुंबई में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शिक्षाविद् नरेंद्र जाधव के नेतृत्व में एक समिति के गठन की भी घोषणा की. यह समिति भाषा नीति के आगे के रास्ते और कार्यान्वयन का सुझाव देगी. 

आदेश वापस लेने का फैसला 

फडणवीस ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री के तौर पर उद्धव ठाकरे ने कक्षा 1 से 12 तक त्रिभाषा नीति शुरू करने के लिए डॉ. रघुनाथ माशेलकर समिति की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया था. साथ ही नीति लागू करने पर एक समिति गठित की थी. फडणवीस ने कहा, 'राज्य मंत्रिमंडल ने कक्षा एक से त्रिभाषा नीति के कार्यान्वयन के संबंध में अप्रैल और जून में जारी सरकारी संकल्प (जीआर) को वापस लेने का फैसला किया है. इसे लागू करने सिफारिश करने के लिए डॉ. नरेंद्र जाधव की अध्यक्षता में एक समिति बनाई जाएगी. 

Advertisement

16 अप्रैल को आया सरकारी आदेश 

फडणवीस सरकार की तरफ से 16 अप्रैल को एक जीआर जारी किया था. इसमें अंग्रेजी और मराठी मीडियम के स्कूलों में पढ़ने वाले कक्षा 1 से 5 तक के छात्रों के लिए हिंदी को अनिवार्य तीसरी भाषा बनाया गया था. विरोध के बीच, सरकार ने 17 जून को संशोधित जीआर जारी किया, जिसमें हिंदी को वैकल्पिक भाषा बनाया गया. 

Advertisement

Featured Video Of The Day
Top Headlines: Weather Update | 2006 Mumbai Local Train Blast Case | Parliament Monsoon Session