- मुंबई पुलिस बच्चों समेत 17 लोगों को बंधक बनाए जाने के मामले में पूर्व मंत्री दीपक केसरकर से पूछताछ करेगी.
- दीपक केसरकर ने कहा कि मंत्री न होने के कारण उन्होंने आरोपी से बात करने से इनकार किया था.
- केसरकर ने पुलिस को सलाह दी कि ठोस आश्वासन केवल विभाग के मंत्री या अधिकारी ही दे सकते हैं.
मुंबई में बच्चों समेत 17 लोगों को बंधक बनाए के मामले में मुंबई पुलिस पूर्व शिक्षा मंत्री दीपक केसरकर से पूछताछ करेगी. मुंबई क्राइम ब्रांच उनका बयान दर्ज करने की तैयारी कर रही है. दरअसल मुंबई पुलिस ने दीपक केसरकर को फोन कर हालात को संभालने के लिए उनसे आरोपी रोहित आर्या से बात करने की अपील की थी, लेकिन उन्होंने बात करने से इनकार कर दिया था. इस मामले पर अब उनकी सफाई सामने आई है.
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मेरे पास अधिकार नहीं था, इसलिए नहीं की बात
दीपक केसरकर का कहना है कि उनको पुलिस ने फोन किया था, लेकिन उनके पास को आश्वासन दे पाने का अधिकार ही नहीं था. इसीलिए उन्होंने आरोपी से बात करने से इनकार किया था. क्यों कि अब वह मंत्री नहीं हैं. उन्होंने कहा कि आरोपी रोहित आर्या का एनकाउंटर हो जाएगा यह किसी को नहीं पता था. उसने बच्चों को बंधक बना रखा था. बच्चों का जीवन महत्वपूर्ण था.
दीपक केसरकर ने कहा कि पुलिस को ठोस आश्वासन चाहिए था. यह आश्वासन मंत्री न होने की वजह से वह दे ही नहीं सकते थे. हालांकि उन्होंने पुलिस को सह सलाह दी थी कि वे मंत्री या किसी अथॉरिटी से कॉन्टेक्ट करें, जो उनको ठोस आश्वासन दे सके. कोई भी आश्वासन तो विभाग के मंत्री ही दे सकते थे.
मुझे बात करने में कोई आपत्ति नहीं थी
केसरकर ने कहा कि उन्होंने पुलिस से कहा था कि वह कोई मंत्री या अधिकारी नहीं हैं, जो कि मंत्रियों से संपर्क साधें.यह काम तो पुलिस का है. लेकिन बच्चों को बंधक बनाए जाना उनको बिल्कुल भी मंजूर नहीं था. अगर पुलिस उनसे केवल बात करने का आग्रह करती तो वह उस पर जरूर विचार करते. आरोपी से सिर्फ बात करने में उनको कोई आपत्ति नहीं थी.
केसरकर का कहना है कि रोहित आर्या ने जिस वजह से बच्चों को बंधक बनाया था, उस केस में ठोस आश्वासन देने का अधिकार उस विभाग के मंत्री या अधिकारियों के पास ही हो सकता था, उनके पास नहीं. पुलिस का जब फोन आया तो उन्होंने कहा कि वह अथॉरिटी से बात करें. लेकिन जब उनको पता चला कि बच्चों को बंधक बनाया गया है और वहां ज्वलनशील पदार्थ हैं. अगर कोई ठोस आश्वासन नहीं मिला तो वह बच्चों को कुछ भी कर सकता है, जो कि गलत होगा. इसलिए, ऐसे फैसले परिस्थिति के हिसाब से ही लेने पड़ते हैं.
पुलिस ने पूरी बात नहीं बताई थी
दीपक केसरकर ने कहा कि उन्होंने उस समय पुलिस को ये बात बताई थी कि वह आश्वासन देने की परिस्थिति में नहीं है, तब पुलिस ने उनको बताया कि वे मंत्रियों से संपर्क कर रहे हैं. पूर्व शिक्षा मंत्री ने कहा कि अगर पुलिस ने उनको यह बताया होता कि मंत्री से संपर्क नहीं हो पाया है और वह खुद उनसे बात करें तो यह एक अलग बात होती. वह ये जरूर करते.
उन्होंने कहा कि यहां मुख्य विषय बच्चों की रिहाई था,जिसके बीच में किसी को भी यह नहीं लगा था कि आरोपी का एनकाउंटर हो जाएगा. पूर्व मंत्री ने कहा कि पुलिस ने उनसे सिर्फ एक बार ही संपर्क किया था, जो कि ऑन रिकॉर्ड है. पुलिस को आश्वासन की जगह सिर्फ मदद चाहिए होती और उनको फ़ोन पर यह बताया गया होता तो वह अलग बात थी. उस समय उसे ठोस आश्वासन देना ज़रूरी था, लेकिन वह अधिकार उनके पास नहीं था.














