महाराष्ट्र : विदर्भ में पारा चरम पर बिजली गुल, किसानों पर पड़ रही दोहरी मार

देश के अधिकतर राज्य इस वक्त भीषण गर्मी में झुलस रहे हैं. इसी दौरान, महाराष्ट्र (Maharashtra) के विदर्भ (Vidarbha) के किसानों को दोहरी मार झेलना पड़ रही है क्यूँकि लगातार बिजली (Electricity) की कटौती से फ़सलों की सिंचाई ठीक से नहीं हो पा रही है.

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महाराष्ट्र के विदर्भ में तपती ज़मीन में दरारें पड़ रही हैं.  
मुंबई:

देश के अधिकतर राज्य इस वक्त भीषण गर्मी में झुलस रहे हैं. इसी दौरान, महाराष्ट्र (Maharashtra) के विदर्भ (Vidarbha) के किसानों को दोहरी मार झेलना पड़ रही है क्यूँकि एक तरफ गर्मी और दूसरी तरफ लगातार बिजली (Electricity) की कटौती से फ़सलों की सिंचाई ठीक से नहीं हो पा रही है. जिसके कारण सब्ज़ी की फ़सल बर्बाद हो रही है. साथ ही संतरे की खेती पर भी इसका बड़ा असर पड़ रहा है. बता दें, महाराष्ट्र के विदर्भ में पारा चरम पर है जो इस समय 42-45 डिग्री आका जा रहा है. जिसके कारण किसानों को सबसे ज्यादा परेशानी को सामना करना पड़ रहा है. महाराष्ट्र के विदर्भ में तपती ज़मीन में दरारें पड़ रही हैं. खेती सूख रहे है. जिसके बाद वॉटरपंप भी किसी काम के नहीं रहे. उपर से बिजली की कटौती का बोझ भी डबल झटका बना हुआ है. 

भंडारा ज़िले के किसान गौरीशंकर नेरकर और भूमेश्वर गोंदूले ने NDTV को बताया कि  सिर्फ़ दो घंटे बिजली आती है वो भी रात 11 से 1 बजे तक के लिये, ऐसे में खेती कोई कैसे करे?  महाराष्ट्र के किसान भुमेश्वर गोंदुळे ने बताया कि मेरे पास 4 एकड़ खेती है, दो में धान लगा है, दो में गन्ना. और दोनो में वॉटर पम्प लगे हैं. सरकारी आश्वासन था कि 8-10 घंटे बिजली मिलेगी. लेकिन सिर्फ़ 2 घंटे मिल रही है वो भी रात के 11 से 1 बजे तक. आस पास इंडस्ट्री को 24 घंटे बिजली मिल रही है. और हम किसानों को सिर्फ़ 2 घंटे. हमने मार्च में इधर उधर से क़र्ज़ा लेकर लोन भी भरा, सारा बिजली बिल भरा. अब क्या करेंगे''वही महाराष्ट्र के एक और किसान गौरीशंकर नेरकर ने बताया कि '6 एकड़ खेती है, धान,सब्ज़ी, करेला, गन्ना सब उगाता हूँ. सिर्फ़ 2 घंटे बिजली मिल रही है. 

वही अमरावती में संतरे की खेती को बड़ा नुक़सान हो रहा है. भीषण गर्मी में संतरे पेड़ से ख़राब होकर गिर रहे हैं. जिसके कारण किसानों को लाखों का नुक़सान हो रहा है. अमरावती के किसान पंकज जगताप, प्रवीण जुमले का कहना है कि "भीषण गर्मी से संतरे की खेती बर्बाद हो रही है. जहां एक पेड़ पर 2-3 हज़ार संतरे फलते थे अब 200-300 ही दिखते हैं. लाखों के नुक़सान का अनुमान है इसलिए हम सरकार से अभी से ही मुनासिब मुआवज़े की माँग कर रहे है." 

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गौरतलब है ताज्य में मार्च और अप्रैल में तीव्र गर्मी की लहरों का अनुभव करने के बाद मई में भी राहत नहीं है. साथ ही कोयले की किल्लत से राज्य पर लोड शेडिंग का संकट भी  बढ़ गया है. ऐसे में किसानों को अपनी फसल की देखभाल के लिए बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है.

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