काम नहीं आया BJP का 'प्रेशर'? समझिए अजित पवार ने आखिरी पल में नवाब मलिक को क्यों पहनाई NCP की 'घड़ी'

अणु शक्तिनगर से विधायक नवाब मलिक को टिकट नहीं देने का लगातार BJP दबाव बना रही थी. इस दबाव की वजह से अजित ने शुरू में इस सीट से उनका टिकट काट उनकी बेटी सना मलिक को सिंबल दे दिया था. इसके बाद नवाब मलिक को लेकर ये सस्पेंस बरकरार था कि वो अजित पवार गुट की पार्टी NCP से चुनाव लड़ेंगे या फिर निर्दलीय मैदान में उतरेंगे.

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नवाब मलिक अणु शक्तिनगर सीट से पांच बार विधायक चुने जा चुके हैं.
मुंबई:

महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव (Maharashtra Assembly Elections 2024) की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आती जा रही है. नेताओं के बीच मनमुटाव भी उजागर होने लगे हैं. महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी (BJP), एकनाथ शिंदे की शिवसेना और अजित पवार (Ajit Pawar) की NCP महायुति गठबंधन का हिस्सा है. मंगलवार की दोपहर 3 बजे तक सभी उम्मीदवारों का नामांकन भी खत्म हो चुकी है. वहीं, NCP नेता नवाब मलिक को लेकर भी सस्पेंस खत्म हो गया. नवाब मलिक ने आज दो पर्चे भरे. एक NCP की तरफ से और दूसरा पर्चा निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर भरा गया है. नवाब मलिक फिलहाल PMLA केस में मेडिकल ग्राउंड पर जमानत पर हैं.

दरअसल, ऐसी चर्चाएं थीं कि BJP नहीं चाहती कि नवाब मलिक को टिकट दिया जाए. उनके हालिया बयानों और उनकी इमेज की वजह से BJP ने ये फैसला किया था. इसके लिए अजित पवार पर प्रेशर भी बनाया गया था. टिकट को लेकर अजित पवार काफी समय तक चुप रहे. आखिरकार उन्होंने नवाब मलिक को मानखुर्द विधानसभा सीट से उम्मीदवार बना दिया. नामांकन के आखिरी दिन नवाब मलिक को अजित गुट की तरफ से मानखुर्द सीट के लिए NCP का A और B फॉर्म सौंपा गया है. नामांकन दाखिल करने के बाद नवाब मलिक ने कहा, "मैंने निर्दलीय और NCP के पर्चे पर नाम दाखिल किया है. NCP का पर्चा वापस होता है, तो मैं निर्दलीय चुनाव लड़ूंगा."

आइए समझते हैं आखिर BJP को नवाब मलिक से क्या है दिक्कत? NCP के कद्दावर नेता रहे नवाब मलिक के साथ ऐसा क्या हुआ, जो उन्हें निर्दलीय के तौर पर भी पर्चा भरना पड़ा. अजित पवार ने आखिरी घड़ी में कैसे नवाब मलिक का साथ दिया:-

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दरअसल, अणु शक्तिनगर से विधायक नवाब मलिक को टिकट नहीं देने का लगातार BJP दबाव बना रही थी. इस दबाव की वजह से अजित ने शुरू में इस सीट से उनका टिकट काट उनकी बेटी सना मलिक को सिंबल दे दिया था. इसके बाद नवाब मलिक को लेकर ये सस्पेंस बरकरार था कि वो अजित पवार गुट की पार्टी NCP से चुनाव लड़ेंगे या फिर निर्दलीय मैदान में उतरेंगे. क्योंकि नामांकन के आखिरी दिन यानी मंगलवार सुबह तक उन्हें पार्टी की ओर से A और B फॉर्म नहीं मिला था. इससे अटकलें लगाई जा रही थीं कि वो निर्दलीय भी चुनाव लड़ सकते हैं. हालांकि, बाद में NCP की ओर से उन्हें AB फॉर्म मिला. उन्होंने अजित पवार गुट के उम्मीदवार के तौर पर नामांकन दाखिल किया.

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आखिर अजित पवार के लिए खास क्यों हैं नवाब मलिक?
नवाब मलिक NCP के पूर्व नेता और अजित पवार के करीबी रहे हैं. उनकी अहमियत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब मलिक जेल से जमानत पर बाहर आएं, तो अजित पवार और शरद पवार दोनों गुट उन्हें अपने पाले में शामिल करने को आतुर दिखे. तब छगन भुजबल और अजित पवार नवाब मलिक के घर पहुंचे थे. जबकि शरद पवार गुट के नेता अनिल देशमुख भी उनसे मिलने गए थे. हालांकि, नवाब मलिक ने अजित पवार का साथ चुना.

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NCP के लिए क्यों जरूरी हैं नवाब मलिक? 
नवाब मलिक इसलिए NCP के दोनों गुट के लिए जरूरी हैं, क्योंकि अल्पसंख्यकों के बीच उनकी बहुत अच्छी छवि है. नवाब मलिक ही ऐसे नेता हैं, जिनकी बदौलत NCP ने कांग्रेस के मुस्लिम वोटबैंक में अच्छी-खासी सेंधमारी की थी. नवाब मलिक अणु शक्तिनगर से विधायक हैं. वो पांच बार विधायक चुने जा चुके हैं. महाराष्ट्र में जब महागठबंधन यानी महा विकास अघाड़ी की सरकार थी, तब उन्हें NCP के कोटे से मंत्री बनाया गया था.

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शरद पवार और उद्धव ठाकरे से भी करीबी 
NCP में टूट से पहले नवाब मलिक के शरद पवार और उद्धव ठाकरे से भी अच्छे रिश्ते रहे. वो आज भी दोनों नेताओं का बखूबी सम्मान करते हैं. एक इंटरव्यू में उनसे सवाल पूछा गया था कि चाचा शरद पवार से इतनी नजदीकियां थीं तो उन्होंने भतीजे का साथ क्यों चुना? इसके जवाब में नवाब मलिक ने कहा था, "मुश्किल समय में अजित पवार मेरे साथ खड़े रहे. परिवार का साथ दिया. अब मेरा दायित्व है कि मैं अजित पवार का साथ दूं." 

नवाब मलिक ने कहा, "शरद पवार और उद्धव ठाकरे से मेरे रिश्ते अच्छे हैं. मुझपर आरोप लगने के बाद भी उद्धव ठाकरे ने मुझे मंत्री पद से नहीं हटाया. यह मैं कभी भूल नहीं सकता, लेकिन संकट में अजित पवार ने मेरा साथ दिया था."

अजित पवार को बताया था किंगमेकर
इससे पहले नवाब मलिक ने अजित पवार को महाराष्ट्र चुनाव का किंगमेकर बताया था. उन्होंने कहा था कि अजित पवार किंगमेकर साबित होंगे.

फडणवीस और BJP को नवाब मलिक से क्या है दिक्कत?
महाराष्ट्र के डिप्टी CM देवेंद्र फडणवीस लंबे समय से नवाब मलिक का विरोध करते आए हैं. जब महाराष्ट्र में महा विकास अघाड़ी की सरकार थी, तब देवेंद्र फणडवीस नेता प्रतिपक्ष थे. फडणवीस ने उस समय नवाब मलिक पर भारत के घोषित आतंकी दाऊद इब्राहिम की डी कंपनी से जुड़े होने के आरोप लगाए थे. नवाब मलिक ने एक मामले में फडणवीस की पत्नी अमृता पर भी निशाना साधा था. मलिक ने सोशल मीडिया पर एक फोटो शेयर करते हुए लिखा था कि आखिर BJP और ड्रग पेडलर का क्या कनेक्शन है? इसके बाद फडणवीस ने D कंपनी को लेकर नवाब मलिक पर कई आरोपों की झड़ी लगा दी थी.

NCP के विभाजन के बाद सहयोगी BJP की आपत्तियों के बावजूद डिप्टी CM अजित पवार के नेतृत्व वाले गुट ने विधायक मलिक को अपने पाले में कर लिया था. इसे लेकर BJP लगातार NCP पर दवाब बना रही थी. बीते दिनों BJP मुंबई यूनिट के अध्यक्ष शेलार ने हाल ही में एक न्यूज चैनल से कहा था,‘‘हम अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम से जुड़े किसी व्यक्ति को टिकट देना स्वीकार नहीं करेंगे.'' उन्होंने कहा था, ‘‘हम मलिक का समर्थन नहीं करेंगे और अपना अलग रुख रखेंगे.'' हालांकि, अजित पवार पर BJP का प्रेशर काम नहीं आया. आखिरी वक्त में उन्होंने नवाब मलिक का ही साथ दिया. 

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नवाब मलिक का किससे होगा मुकाबला?
मानखुर्द शिवाजीनगर सीट से नवाब मलिक का मुकाबला समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अबु आजमी से होना है. ये सीट समाजवादी पार्टी की गढ़ मानी जाती है. सपा के प्रदेश अध्यक्ष अबु आजमी इस सीट से तीन बार से चुनाव में जीत दर्ज कर रहे हैं. मानखुर्द शिवाजी नगर विधानसभा क्षेत्र उत्तर पूर्व मुंबई लोकसभा क्षेत्र के तहत आता है. 

बता दें कि महाराष्ट्र में विधानसभा की सभी 288 सीटों पर एक ही फेज में 20 नवंबर को वोटिंग है. चुनाव के नतीजे 23 नवंबर को घोषित किए जाएंगे.


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