रजाकारों पर मल्लिकार्जुन खरगे को योगी आदित्यनाथ ने क्यों दी नसीहत, क्या है मराठा आरक्षण कनेक्शन

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्किकार्जुन खरगे पर लगातार हमले कर रहे हैं. योगी आदित्यनाथ का कहना है कि खरगे जी वोट बैंक खिसकने के डर से यह नहीं बता पा रहे हैं कि उनके मां और बहनों की हत्या किसने की थी.

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नई दिल्ली:

योगी आदित्यनाथ मंगलवार को चुनाव प्रचार करने के लिए महाराष्ट्र गए थे. इस दौरान उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे पर निशाना साधा.उन्होंने कहा कि मल्लिकार्जुन खरगे मुझ पर बेवजह गुस्सा कर रहे हैं. उन्हें गुस्सा करना है तो हैदराबाद के निजाम पर करें, जिनके रजाकारों ने आपका गांव जला दिया,हिंदुओं को बेरहमी से मारा. आपकी आदरणीय मां, बहन, आपके परिवार के सदस्यों को जला दिया.यह सच्चाई देश के सामने रखिए. दरअसल खरगे ने झारखंड में चुनाव प्रचार के दौरान योगी आदित्यनाथ पर निशाना साधा था.उन्होंने कहा था कि कई साधु अब राजनेता बन गए हैं. वे गेरुआ कपड़े पहनकर समाज में नफरत फैला रहे हैं और लोगों को बांटने की कोशिश कर रहे हैं.आइए हम जानते हैं कि रजाकार कौन थे, जिन पर योगी आदित्यनाथ खरगे के परिजनों को जलाकर मारने का आरोप लगा रहे हैं. 

कौन थे रजाकार जिन पर निशाना साध रहे हैं योगी आदित्यनाथ

आजादी मिलने के समय हैदराबाद पर निजाम का शासन था. हैदराबाद हिंदू बहुल राज्य था. वहां के हिंदू चाहते थे कि हैदराबाद का भारत में विलय हो जाए.लेकिन निजाम इसके खिलाफ थे. निजाम की सेना को रजाकार के नाम से जाना जाता था. यह मजलिस-ए-इत्तेहादुल-मुस्लिमीन का हथियारबंद दस्ता था. इसे हैदराबाद के भारत में विलय के समर्थकों को शांत करने का काम दिया गया था.जवाहर लाल नेहरू की सरकार ने हैदराबाद के मामलों में दखल न देने का वादा किया था. लेकिन भारतीय सेना ने तीन दिन तक 'ऑपरेशन पोलो' चलाकर हैदराबाद को भारत में मिला दिया.  

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इस दौरान खबरें आईं कि निजाम की सरकार ने लोगों के साथ ज्यादती की. इसकी जांच के लिए जवाहर लाल नेहरू की सरकार ने एक जांच आयोग का गठन किया. लेकिन उसकी रिपोर्ट कभी सार्वजनिक नहीं की गई. 

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योगी आदित्यनाथ ने क्या आरोप लगाए थे 

योगी आदित्यनाथ ने आरोप लगाया था कि खरगे सच्चाई को बताना नहीं चाहते हैं,क्योंकि इससे निजाम नाराज हो जाएगा और मुस्लिम वोट बैंक कांग्रेस के हाथ से खिसक जाएगा. उन्होंने कहा था कि कांग्रेस इतिहास को मिटा रही है. निजाम के रजाकारों ने हैदराबाद में हिंदुओं का बेरहमी से कत्लेआम किया था. खरगे इस सच्चाई को स्वीकार नहीं करना चाहते हैं और वोट के खातिर अपने परिवार के बलिदान को भूल जाना चाहते हैं. उन्होंने यह भी कहा था कि डॉक्टर बीआर आंबेडकर ने हिंदुओं और अनुसूचित जाति के लोगों को सलाह दी थी कि वो सुरक्षा के लिए महाराष्ट्र चले जाएं.

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आदित्यनाथ के दावों में कितनी सच्चाई है?

मल्लिकार्जुन खरगे का जन्म बीडर के एक दलित परिवार में हुआ था. बीडर अब कर्नाटक में है. उस पर रजाकारों ने हमला किया था.रजाकार हैदाराबाद राज्य के खिलाफ शुरू हुए विद्रोह को दबा रहे थे. 

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खरगे ने कई बार मीडिया को दिए इंटरव्यू में बता चुके हैं कि घटना वाले दिन वो अपने घर के बाहर खेल रहे थे और उनके पिता खेत में काम कर रहे थे.इस दौरान उनके घर में आग लगा दी गई. इस आग में जलकर उनकी मां, बहन और अन्य परिजनों की मौत हो गई. 

क्या रजाकार का मामला किसी और नेता ने भी उठाया था

महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी चुनाव प्रचार के दौरान रजाकार का मामला उठाया था. दरअसल हैदाराबाद के सांसद और एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने बीजेपी की ओर से लगाए जा रहे 'लव जिहाद' और 'वोट जिहाद' जैसे आरोपों की आलोचना करते हुए कहा था कि उनके पूर्वजों ने अंग्रेजों के खिलाफ वास्तविक जिहाद किया था.इसके जवाब में फडणवीस ने कहा था,"वे रजाकारों के वंशज हैं, जिन्होंने मराठवाड़ा के लोगों पर अत्याचार किया, उनकी जमीनें लूटीं, महिलाओं से बलात्कार की कोशिश की और परिवारों को नष्ट कर दिया. वे हमसे कैसे बात कर सकते हैं?

क्या पहले भी उठा है रजाकारों का मुद्दा

पिछले साल तेलंगाना में विधानसभा के चुनाव कराए गए थे. उस दौरान एक फिल्म रीलीज हुई थी, 'रजाकार'. इसके निर्माता थे बीजेपी के एक नेता. इस फिल्म ने राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया था. इसकी एआईएमआईएम और भारत राष्ट्र समिति ने आलोचना की थी.  

उस समय ओवैसी ने कहा था कि रजाकार बहुत पहले चले गए,अब 'गोडसे के बच्चों' को भगाने का समय आ गया है. वहीं उस समय बीआरएस के कार्यकारी अध्यक्ष रहे केटी रामा राव ने कहा था,"बीजेपी के कुछ बौद्धिक रूप से दिवालिया जोकर अपने राजनीतिक प्रचार सांप्रदायिक हिंसा भड़काने की कोशिश कर रहे हैं. हम इस मामले को सेंसर बोर्ड और तेलंगाना पुलिस के समक्ष उठाएंगे ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि तेलंगाना की कानून व्यवस्था प्रभावित न हो.''


हैदराबाद राज्य का इतिहास महाराष्ट्र में क्यों गूंजता है?

महाराष्ट्र के मराठवाड़ा में औरंगाबाद, बीड, हिंगोली, जालना, लातूर, नांदेड़, उस्मानाबाद और परभणी जिले आते हैं. यह इलाका पहले हैदराबाद राज्य में आता था. कर्नाटक में खरगे का गांव वरावत्ती भी कलबुर्गी, यादगीर, रायचूर, कोप्पल और बेल्लारी के साथ हैदराबाद में ही आता था.महाराष्ट्र का मराठवाडा ही मराठा आरक्षण के लिए चल रहे आंदोलन का मुख्य केंद्र भी है.रजाकार का मुद्दा सांप्रदायिकता के साथ-साथ आरक्षण से भी जुड़ा है. दरअसल निजाम ने गजट जारी कर मराठों को कुनबी के रूप में मान्यता दी थी.मराठा आरक्षण के लिए मनोज जारंगे के आंदोलन के बाद महाराष्ट्र सरकार ने कुनबियों को ओबीसी श्रेणी में आरक्षण दिया था. वहीं गैर-कुनबी मराठों को नौकरियों और शिक्षा में अतिरिक्त 10 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था की गई थी. कुनबी के रूप में आरक्षण हासिल करने के लिए महाराष्ट्र के लोगों को निजाम के शासनकाल के कागजात पेश करने पड़ते हैं. 

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