महाराणा प्रताप या अकबर, हल्‍दीघाटी युद्ध किसने जीता? सुर्खियों में राजस्‍थान की डिप्‍टी CM का बयान

राजस्‍थान की उप मुख्‍यमंत्री और जयपुर के पूर्व राजघराने की सदस्‍य दिया कुमारी ने 16वीं शताब्‍दी में लड़े गए हल्‍दीघाटी के युद्ध को लेकर अपने बयान से एक बार फिर विवादों को हवा दे दी है. दिया कुमारी ने कहा है कि हल्‍दीघाटी का युद्ध महाराणा प्रताप ने जीता था. 

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नई दिल्‍ली:

हल्‍दीघाटी का युद्ध किसने जीता था?  इस सवाल के जवाब को ढूंढते-ढूंढते बहुत से लोग पिछले कुछ सालों में दो खेमों में बंटे दिखाई देते हैं. एक महाराणा प्रताप की जीत बताते हैं तो दूसरों का दावा है कि अकबर इस युद्ध में जीता था. हालांकि राजस्‍थान की उप मुख्‍यमंत्री और जयपुर के पूर्व राजघराने की सदस्‍य दिया कुमारी ने 16वीं शताब्‍दी में लड़े गए इस युद्ध को लेकर अपने बयान से एक बार फिर विवादों को हवा दे दी है. दिया कुमारी ने कहा है कि हल्‍दीघाटी का युद्ध महाराणा प्रताप ने जीता था. 

हल्दीघाटी की पट्टिका पर लिखा था कि महाराणा प्रताप हार गए और अकबर ने युद्ध जीता. 2021 में मैं वहां (राजसमंद) से सांसद थी और यह एक एएसआई स्मारक है - हमने (इसे बदलने के लिए) प्रयास किए, जिसमें दिल्ली में संस्कृति राज्‍य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल भी शामिल थे क्योंकि यह विभाग उनके अधीन था. पट्टिका पर लिखे शब्दों को बदल दिया गया और अगर आप आज हल्दीघाटी जाते हैं, तो आप पढ़ेंगे कि महाराणा प्रताप ने युद्ध जीता. मैं कहना चाहूंगी कि यह मेरे कार्यकाल (एक सांसद के रूप में) की सबसे बड़ी उपलब्धि थी.

दिया कुमारी

उप मुख्‍यमंत्री, राजस्‍थान

महाराणा प्रताप की जयंती पर दिया बयान

दिया कुमारी ने महाराणा प्रताप की 29 मई को 485वीं जयंती के मौके पर वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप संस्‍था की ओर से आयोजित कार्यक्रम में यह कहा था. 

उन्होंने कहा कि इस बदलाव से बहुत से लोग अनजान थे, इसलिए उन्होंने जानकारी को सार्वजनिक रूप से साझा करने का फैसला किया.     उन्होंने कहा, "लोग अक्सर गलत सूचना फैलाते हैं और अब समय आ गया है कि सच्चाई बताई जाए. मैं भले ही कम बोलूं, लेकिन जब बोलती हूं तो मेरे शब्दों का वजन होता है."

मुगलों ने भी अपनाई फूट डालो, राज करो की नीति: दिया कुमारी

उपमुख्यमंत्री ने मुख्यधारा के ऐतिहासिक विवरणों पर भी सवाल उठाया. उन्होंने कहा कि "राजस्थान का सच्चा और सही इतिहास" सामने लाया जाना चाहिए, जो मुगल या औपनिवेशिक इतिहासकारों से प्रभावित न हो. 

उन्होंने कहा, "मुगलों ने अंग्रेजों की तरह ही फूट डालो और राज करो की रणनीति अपनाई. उन्होंने राजपूतों को राजपूतों के खिलाफ और हिंदुओं को हिंदुओं के खिलाफ भड़काया. दुख की बात है कि सालों से कुछ राजनीतिक दलों ने भी इतिहास के ऐसे संस्करणों को बढ़ावा दिया है."

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जानिए पहले लगी पट्टिकाओं पर क्‍या लिखा था?

एएसआई ने 2021 में उक्त पट्टिकाओं को बदल दिया था. एएसआई के तत्कालीन जोधपुर सर्कल अधीक्षक बिपिन चंद्र नेगी ने एक अखबार को बताया था कि राज्य सरकार ने 1975 में चेतक समाधि, बादशाही बाग, रक्त तलाई और हल्दीघाटी में ये पट्टिकाएं लगाई थीं, जब इंदिरा गांधी ने इस क्षेत्र का दौरा किया था. उस समय यह केंद्रीय संरक्षित स्मारक नहीं थे. इन स्थलों को 2003 में राष्ट्रीय महत्व के स्मारकों के रूप में घोषित किया गया था, लेकिन पट्टिकाओं पर यह जानकारी नहीं थी. समय के साथ वे खराब हो गए और तारीख और कुछ अन्य सूचनाओं को लेकर विवाद भी हुआ.

उन्होंने कहा था कि उन्हें पट्टिकाओं को हटाने के लिए विद्वानों और जनप्रतिनिधियों से आवेदन मिले थे. पुरानी पट्टिकाओं में एएसआई का नाम भी नहीं था. संस्कृति मंत्रालय ने भी हमारे मुख्यालय के समक्ष इस मुद्दे को उठाया था.

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रक्त तलाई पर लगी पट्टिका को हटा दिया गया था , जिस पर लिखा था कि लड़ाई इतनी घातक थी कि पूरा मैदान लाशों से पट गया था. हालांकि परिस्थितियों ने राजपूतों को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया और 21 जून 1576 ई की दोपहर को संघर्ष समाप्त हो गया. 

अकबर के विवाह की ऐतिहासिकता पर उठा था सवाल  

दिया कुमारी की टिप्पणी राजस्थान के राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े के एक बयान के बाद आई है, जिसमें उन्‍होंने जोधाबाई और अकबर के बीच विवाह की ऐतिहासिकता पर सवाल उठाया था. 

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उदयपुर में एक कार्यक्रम में बागड़े ने कहा कि आमतौर पर बताई जाने वाली कहानी "झूठ" है, इसके बजाय उन्होंने दावा किया कि राजा भारमल ने एक दासी की बेटी की शादी अकबर से करवाई थी. 

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