8 करोड़ के टमाटर बेचने वाले किसान का कृषि मंत्री ने लिया इंटरव्यू, कई ज़िलों में किसान सड़क पर फेंकने को मजबूर

किसान मधुसूदन धाकड़ पिछले 14 साल से खेती कर रहे हैं. उन्होंने अपने खेती के पैटर्न में बदलाव कर 1.40 की लागत से टमाटर उगाए और उन्हें बेच कर 7-8 करोड़ रुपए कमाए.

विज्ञापन
Read Time: 25 mins
उन्होंने अपने खेती के पैटर्न में बदलाव कर 1.40 की लागत से टमाटर उगाए.
भोपाल:

मध्य प्रदेश के हरदा के एक किसान ने दावा किया है कि उसने अब तक 8 करोड़ रुपये के टमाटर बेच दिए हैं. कृषि मंत्री कमल पटेल उसका साक्षात्कार लेने खुद उनके घर पहुंचे, लेकिन एक कड़वा सच यह भी है कि देश भर के कई जिलों में किसान टमाटर को कम कीमत के कारण सड़क किनारे फेंकने को मजबूर हैं. किसान मधुसूदन धाकड़ पिछले 14 साल से खेती कर रहे हैं. उन्होंने अपने खेती के पैटर्न में बदलाव कर 1.40 की लागत से टमाटर उगाए और उन्हें बेच कर 7-8 करोड़ रुपए कमाए. 150 एकड़ जमीन में धाकड़ टमाटर के अलावा मिर्च, अदरक और शिमला मिर्च भी उगाते हैं. वे देश के किसानों के लिए प्रेरणा हैं. कृषि मंत्री कमल पटेल सिरकाम्बा गांव पहुंचे और मधुसूदन का इंटरव्यू किया.

मधुसूदन ने 60 एकड़ में मिर्च, 70 एकड़ में टमाटर और 30 एकड़ में अदरक लगाया. उन्होंने गेहूं और सोयाबीन जैसी पारंपरिक फसलों को छोड़ दिया. कृषि मंत्री से बातचीत में धाकड़ ने बताया कि इस साल उन्होंने अकेले 8 करोड़ रुपये के टमाटर बेचे हैं.

पहरे में "सेहरा"! मध्‍यप्रदेश में अनुसूचित जाति का दूल्‍हा चढ़ा घोड़ी, लोधी समाज के लोगों ने गांव पर कर दिया हमला

अपने गृहनगर से कृषि मंत्री का यह साक्षात्कार सुर्खियां बटोर रहा है, लेकिन वे खरगोन जिले के प्रभारी भी हैं जहां तस्वीर बिल्कुल विपरीत है. किसान सादु वर्मा ने बताया, "निर्यात ब्लॉक है, इसलिए कीमत कम है, हमें 20% कीमत भी नहीं मिल पा रही है. भारी नुकसान हो रहा है. हमने टमाटर 600-700 प्रति कैरेट में भी बेचा है, लेकिन आज 80-90 प्रति कैरेट से ज्यादा कीमत नहीं मिल रही. हम 2 साल से घाटे में चल रहे हैं."

Advertisement

रायपुरिया झबुआ में किसान कम दाम मिलने से परेशान हैं और सड़क पर ही टमाटर फेंक कर जा रहे हैं. केवल टमाटर ही नहीं पपीता भी तीन से चार रुपए किलो ​में बिक रहा है, जिसके चलते इसकी लागत निकाल पाना भी किसान के लिए मुश्किल हो रहा है.

किसान कलीम शेख ने कहा, "उत्पादन तो अच्छा हुआ है, लेकिन यहां टमाटर 4-5 रुपये किलो बिक रहा है इसकी वजह ये है कि बाहर माल नहीं जा रहा है. हमारे लिए घाटे का सौदा है, खर्चा नहीं निकल पर रहा."

Advertisement

किसानों को उचित मूल्य दिलाने के लिए फूड पार्क पर काफी चर्चा हुई. 2016 में खरगोन में 127 करोड़ की लागत से 80 एकड़ में अत्याधुनिक मेगा फूड पार्क भी बनाया गया है, लेकिन किसान कह रहे हैं कि उन्हें कोई फायदा नहीं हुआ है.

Ground Report: मध्‍यप्रदेश में सरकारी दफ्तरों में धूल फांकती रहीं किताबें, बिना पढ़ाई परीक्षा देने को मजबूर बच्‍चे...

वरिष्ठ बागवानी विकास अधिकारी पी एस बडोले ने कहा, "मुख्य रूप से पपीता-टमामटर की खेती हो रही है, कोरोना में एक्सपोर्ट नहीं हो रहा इसलिए कम भाव मिल रहा है." वहीं किसान दिनेश पाटीदार ने कहा, "खरगौन में किसानों की हालत दयनीय है. मेगा फूड पार्क है, लेकिन किसानों को राहत नहीं दे पा रहा है. औने पौने दाम में टमाटर फेंक रहा है."

Advertisement

दरअसल किसानों की दुर्दशा का सबसे बड़ा कारण भंडारण है. फलों और सब्जियों का एरिया और उत्पादन हर साल 6-8 प्रतिशत बढ़ रहा है, लेकिन उन्हें स्टोर करने के लिए कोल्ड स्टोरेज की क्षमता जस की तस बनी हुई है.

Advertisement

मध्य प्रदेश में 10 लाख टन की क्षमता वाले कुल 163 कोल्ड स्टोरेज हैं. केवल फलों का उत्पादन 75 लाख टन से अधिक है. राज्य के 52 में से 31 जिले ऐसे हैं जहां कोई कोल्ड स्टोरेज नहीं है. कोल्ड स्टोरेज के बिना फल-सब्जियां 8-10 दिन ही चल पाती हैं. ऐसे में अपवादों को छोड़कर ज्यादातर किसान संघर्ष कर रहे हैं.

वैसे कुछ दिन पहले मुख्यमंत्री विदिशा में अपने खेतों में पहुंचे थे, जहां उन्होंने टमाटर की फसल को देखकर अभूतपूर्व आनंद का अनुभव किया था. साल 2018 में ऑपरेशन ग्रीन्स योजना के तहत कोल्ड स्टोरेज के लिए 50 प्रतिशत तक अनुदान का प्रावधान दिया गया था, लेकिन अभी तक केंद्र को मध्यप्रदेश की तरफ से 15 प्रस्ताव ही भेजे गए हैं.

Featured Video Of The Day
Delhi Flood News: Mayur Vihar के अस्थायी शिविरों में फंसे लोग, क्या मिल रही है सुविधा?
Topics mentioned in this article