हाईकोर्ट से भी कॉमेडियन मुनव्वर फारुकी को झटका, जमानत अर्जी खारिज, हिन्दू देवताओं पर टिप्पणी के हैं आरोप

हाईकोर्ट की इंदौर पीठ के फैसले से तय हो गया कि स्टैंडअप कॉमेडियन मुनव्वर फारुकी, सह-आरोपी नलिन यादव और उनके साथी फिलहाल जेल में ही रहेंगे. जस्टिस रोहित आर्या की बेंच ने कहा कि उन्हें जमानत देने का कोई आधार नहीं बनता.

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मुनव्वर फारूकी पर अपने शो के दौरान हिन्दू देवी-देवताओं पर अपमनाजनक टिप्पणी करने और हिन्दुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाने के आरोप हैं.
इंदौर:

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट Madhya Pradesh High Court)  की इंदौर बेंच ने बुधवार को कॉमेडियन मुनव्वर फारूकी (Munawar Faruqi) और उनके दोस्त नलिन यादव की जमानत याचिका खारिज कर दी. मुनव्वर और उनके चार साथी 2 जनवरी को धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के आरोप में गिरफ्तार हुए थे. इंदौर के कैफे मोनरो में 1 जनवरी को उनका कार्यक्रम था जिसको लेकर इंदौर से बीजेपी विधायक और पूर्व मेयर मालिनी गौड़ के बेटे एकलव्य सिंह गौड़ ने शिकायत दर्ज कराई थी. हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि भाईचारे और सद्भावना का प्रचार करना हर नागरिक का संवैधानिक कर्तव्य है. कॉमेडियन पर आरोप है कि उन्होंने अपने शो के दौरान धार्मिक भावनाओं का मजाक उड़ाया था.

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हाईकोर्ट की इंदौर पीठ के फैसले से तय हो गया कि स्टैंडअप कॉमेडियन मुनव्वर फारुकी, सह-आरोपी नलिन यादव और उनके साथी फिलहाल जेल में ही रहेंगे. जस्टिस रोहित आर्या की बेंच ने कहा कि उन्हें जमानत देने का कोई आधार नहीं बनता. सरकारी वकील अमित सिसोदिया ने कहा, 'उनके द्वारा ये कहा गया था कि यहां कोई कृत्य नहीं किया गया लेकिन केस डायरी में ऐसे कथन आए हैं जिसमें कहा गया है कि इंदौर शहर में उनके द्वारा अशोभनीय टिप्पणी जो कि पूरी तरीके से 295 ए के तहत अपराध की श्रेणी में आता है इसलिये जमानत खारिज की गई है.' अदालत ने अपने आदेश में कहा कि ‘अब तक एकत्र किए गए साक्ष्य सामग्री इस ओर इशारा करते हैं कि व्यवसायिक कारणों से जानबूझकर एक वर्ग की धार्मिक भावनाओं को अपमानित करते हुए अपमानजनक बयान दिए गए.' बयान, जब्त फुटेज, सार्वजनिक तौर पर आवेदक के कृत्य को देखते हुए आवेदक के वकीलों के जवाबों को स्वीकार नहीं किया जा सकता है. यह कोई सबूत न होने का मामला नहीं है. अभी भी जांच चल रही है, मामले में और सबूत मिलने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है. भारत के सभी लोगों के बीच सौहार्द और सामान्य भाईचारे की भावना को बढ़ावा देना देश के प्रत्येक नागरिक का और राज्यों का भी संवैधानिक कर्तव्य है.' 

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दूसरी ओर, बचाव पक्ष के वकील अंशुमान श्रीवास्तव ने कहा, 'हमने अदालत से कहा था इंटेशन किसी की धार्मिक भावना आहत करने का नहीं था. कहीं सेक्शन 295 ए की परिस्थिति नहीं थी लेकिन कोर्ट ने माना है कि प्रकरण के तथ्य हैं उनको देखते हुआ आरोपी को जमानत नहीं दी जा सकती. मुनव्वर के वकीलों का कहना है कि जमानत के लिये अब वे सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे, वैसे, इससे पहले यूपी पुलिस जॉर्जटाउन पुलिस स्टेशन में दर्ज मामले में प्रोडक्शन वारंट के साथ इंदौर में सीजेएम कोर्ट का दरवाजा खटखटा चुकी है. गौरतलब है कि इंदौर से बीजेपी विधायक मालिनी लक्ष्मण सिंह गौड़ के बेटे एकलव्य सिंह गौड़ की शिकायत के बाद, एक जनवरी को इंदौर पुलिस ने फारूकी और पांच अन्य आरोपियों को गिरफ्तार किया था. एकलव्य का आरोप था कि कैफे मुनरो में आयोजित कार्यक्रम में हिंदू देवी-देवताओं और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पर अभद्र टिप्पणियां की गई थीं. निचली अदालत भी इस मामले में दो बार उनकी जमानत याचिका खारिज की थी.

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