मध्य प्रदेश सरकार लगातार हर स्वास्थ्य केंद्र और हर शासकीय सेवाओं में ग्रामीणों को हर सुविधा देने की बात करती नजर आती है. इसके बावजूद कुछ ऐसे नजारे सामने आते हैं, जिसे देख मानवता भी शर्मसार हो जाती है.बरघाट विधानसभा क्षेत्र के कुरई तहसील मुख्यालय में एक ऐसा नजारा सामने आया. इसे देख प्रदेश सरकार की सारी योजनाएं बेनकाब हो गईं. दरअसल कुरई के ब्लॉक कॉलोनी चांदनी चौक निवासी बलवंत सेन का बीमारी के चलते निधन हो गया क्योंकि यह क्षेत्र महाराष्ट्र राज्य से लगा हुआ कहलाता है. इस वजह से इस क्षेत्र में ग्रामीण सजग और सतर्क रहते हैं. शवों को ले जाने के लिए एंबुलेंस भी यहां नहीं मिलती हैं.
बरघाट में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में परिजनों ने शव वाहन की मांग की पर शव वाहन न मिलने की वजह से मजबूरन परिजनों ने वृद्ध का शव हाथ ठेले में रखकर श्मशान घाट तक ले गए @ndtv @ndtvindia @manishndtv @GargiRawat pic.twitter.com/FBUziBgJ0R
इस कारण सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में परिजनों ने शव वाहन की मांग की पर शव वाहन न मिलने की वजह से मजबूरन परिजनों ने वृद्धा का शव हाथ ठेले में रखकर श्मशान घाट तक ले गए यह दृश्य सामने आने के बाद स्थानीय प्रशासन और प्रदेश सरकार की सारी योजनाएं शर्मसार हो गई.इससे पहले भी एनडीटीवी मध्य प्रदेश में खराब एंबुलेंस व्यवस्था की पोल खोल चुका है.दरअसल, मध्यप्रदेश में मरीज, घायल, मृतकों के लिए एंबुलेंस या शव वाहन मिले ना मिले, सरकार घायल गाय या मृत गायों के लिए एंबुलेंस की व्यवस्था करने में जुटी है.
बाकायदा इसके लिए प्रस्ताव मंडी बोर्ड को चला गया है. शुरुआत में तीन जिलों में एंबुलेंस सेवा चलेगी बाद में पूरे राज्य में. 15 जून को मुख्यमंत्री के गृह जिले सीहोर के जिला अस्पताल में एक पिता अपने 6 साल के बेटे की लाश पोस्टमॉर्टम रूम तक मोटरसाइकिल में ले गया. 21 जुलाई को सिद्दीकीगंज में एक शख्स का शव गांव वालों को खाट पर ले जाना पड़ा. शव के साथ संवेदनहीनता की इस तरह की तस्वीरें देशभर से आती हैं.बहरहाल सरकारें इंसान के शव और सड़क पर किसी घायल के इलाज को लेकर सोचे न सोचें, मध्यप्रदेश सरकार ने घायल या मृतक गाय को अस्पताल तक पहुंचाने के लिए हाईटेक एंबुलेंस की व्यवस्था कर ली है. इसके लिए बाकायदा योजना भी बन गई है.
Advertisementइसकी शुरुआत पहले प्रदेश के तीन जिलों जबलपुर, रीवा और महू से होगी. एम्बुलेंस में डॉक्टर, असिस्टेंट तैनात रहेंगे. अस्पताल में कॉल करते ही गाड़ी घटनास्थल पर पहुंचेगी. मौके पर मवेशियों का इलाज होगा, जो गंभीर हालत में होगी उन्हें अस्पताल लाया जाएगा. यह सेवा नि:शुल्क होगी, बाद में हर जिले में कॉल सेंटर खोलकर यह सुविधा दी जाएगी.
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