भारत-चीन की सरहदों में सिमटा गम, कोविड मरीज की मौत, पत्नी ने वीडियो कॉल पर देखा अंतिम संस्कार

चीन में 40 साल के बैंकर मनोज शर्मा की इंदौर में कोरोना से मौत हो गई, लेकिन उनका परिवार चीन में है और उनकी मां को इसकी जानकारी नहीं दी गई है. उनका अंतिम संस्कार एक सामाजिक कार्यकर्ता ने किया और परिवार ने वीडियो कॉल पर उन्हें अंतिम विदाई दी.

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मनोज शर्मा चीन में बैंकर थे, उनकी पत्नी और बेटा वहीं रहते हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर)
इंदौर:

बढ़ते कोरोना के भीषण कहर में अपनों से बिछड़ने की झकझोर देने वाली घटनाएं सामने आ रही हैं. इंदौर में ऐसी ही घटना सिवनी मालवा के मनोज शर्मा के साथ घटी, जिसमें इलाज के दौरान उनकी अरविंदो अस्पताल में मौत हो गई लेकिन पत्नी और बच्चा चीन में थे, जिन्होंने मनोज शर्मा का अंतिम संस्कार वीडियो कॉलिंग पर देख कर रोते-बिलखते उन्हें आखिरी विदाई दी.

दरअसल, चीन के शेनझेन में बैंककर्मी के तौर पर पदस्थ मनोज शर्मा 3 महीने पहले अपने पिता को हुए कोरोना के कारण अपने घर सिवनी बालाघाट आए थे. कुछ दिनों बाद उन्होंने अपनी पत्नी और बच्चे को चीन वापस भेज दिया था, लेकिन खुद पिता के इलाज और देखभाल के लिए यही रुक गए. इस दौरान खुद मनोज भी संक्रमित हो गए, लिहाजा उन्होंने अच्छी रिकवरी के लिए इंदौर के अरविंदो अस्पताल को चुना, जहां उनका इलाज चल रहा था.

बीते 12 दिनों से अरविंदो अस्पताल में भर्ती मनोज शर्मा की सोमवार को मौत हो गई. यहां मनोज की बॉडी को अस्पताल से लेने वाला कोई नहीं था जिससे कि उनका अंतिम संस्कार किया जा सके. जैसे-तैसे मनोज की मृत्यु की सूचना चीन में उनकी पत्नी विनीला शर्मा को दी गई लेकिन उनके पास भी तत्काल भारत आने का वीजा नहीं होने के कारण वह अपने 6 साल के बेटे विराज के साथ वही बिलखने के लिए मजबूर हैं.

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इस बीच मनोज की पत्नी ने हैदराबाद में रहने वाले मनोज के साढू भाई को इस घटना की सूचना दी, लेकिन वे भी तत्काल इंदौर नहीं पहुंच सके, जिसके बाद इंदौर के सामाजिक कार्यकर्ता यश पाराशर ने मनोज का अंतिम संस्कार किया. अंतिम संस्कार के दौरान वीडियो कॉलिंग पर अपने पति का दाह संस्कार देखते हुए पत्नी चीन में रोती-बिलखती नजर आ रही हैं, दुर्भाग्य देखिए कि कोरोना के कहर के कारण अपनों को ही अपनों का दाह संस्कार भी नसीब नहीं हो रहा है.

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मार्च में लौटना था मनोज को चीन

अरविंदो अस्पताल में मनोज की देखभाल करने वाले उनके मित्र आशीष भाकर ने बताया इलाज के बाद मनोज को चीन पहुंचना था. लेकिन इसी बीच चीन ने वहीं की वैक्सीन लगवाने वालों को ही चीन का वीजा देने का नियम लागू कर दिया था, जिसके बाद वो वीजा लेने के प्रयासों में ही संक्रमित हो गए थे.

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आशीष ने बताया कि मनोज को पूरी उम्मीद थी कोरोना से जंग जीतने की इसीलिए उन्होंने परसों भी मोबाइल पर वॉट्सऐप करके पूछा था कि डॉक्टर क्या कह रहे हैं. इसके बाद उन्होंने कहा था कि 'आप डॉक्टर के संपर्क में रहना, मैं कैसे भी करके जल्दी ठीक हो जाऊंगा', लेकिन डॉक्टरों की पूरी कोशिश और प्लाज्मा दिए जाने के बाद भी मनोज कोरोना के कहर के सामने जिंदगी की जंग हार गया.

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पत्नी और बच्चा चीन में माता-पिता सिवनी बालाघाट में

मनोज के जाने के बाद उनकी माता को इसकी जानकारी नहीं दी गई है जबकि उनकी पत्नी और बच्चा भी अब चीन में बेसहारा हो गए हैं, ऐसी स्थिति में अब मनोज के यार. दोस्त और रिश्तेदार उनके परिवार से कुछ भी कह पाने की स्थिति में नहीं हैं क्योंकि इस वज्रपात ने सभी को झकझोर दिया है.

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