- छिंदवाड़ा में बुखार के बाद कफ सिरप पीने से 9 बच्चों की हालत बिगड़ी, फिर किडनी फेल होने से मौत हो गई
- प्रशासन जहां कफ सिरप से किडनी इन्फेक्शन का दावा कर रहा है, वहीं स्वास्थ्य मंत्री अलग बात बोल रहे हैं
- राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अधिकारी डॉ प्रभाकर तिवारी ने बताया कि कफ सिरप में इंडस्ट्रियल सॉल्वेंट DEG मिला है
मध्य प्रदेश में छिंदवाड़ा जिले के परासिया ब्लॉक के रहने वाले 9 मासूम अब इस दुनिया में नहीं हैं. सबको पहले बुखार आया. परिजन उन्हें लेकर डॉक्टर के पास गए. कुछ बच्चों को कोल्ड्रिफ सिरप तो कुछ को नेक्सट्रॉस डीएस दवाई दी गई. इसके बाद बच्चों की तबीयत बिगड़ने लगी. किडनी फेल हो गई. एक-एक करके बच्चे दम तोड़ने लगे. बच्चों की मौत से पूरे क्षेत्र में दहशत और सवालों का अंबार खड़ा हो गया है. प्रशासन जहां कफ सिरप से किडनी इन्फेक्शन की बात कह रहा है, वहीं स्वास्थ्य मंत्री का कहना है कि सैंपलों में अभी तक मौत का कारण बनने वाले तत्व नहीं मिले हैं. लेकिन इन मौतों के लिए दोषी कौन है, इस पर सभी चुप्पी साधे हुए हैं.
शासन-प्रशासन के अलग-अलग बयान
छिंदवाड़ा के परासिया ब्लॉक में अब तक शिवम, विधि, अदनान, उसैद, ऋषिका, हेतांश, विकास, चंचलेश और संध्या की मौत हो चुकी है. इनमें से अधिकांश बच्चों को परासिया के प्रमुख शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रवीण सोनी के निजी क्लीनिक में दिखाया गया था, जहां से उन्हें ये दवाइयां दी गई थीं. शासन का कहना है कि कुछ दवाओं की जांच हो गई है और कोई गड़बड़ नहीं मिली है, वहीं प्रशासन का कहना है कि किडनी बायोप्सी से साफ हो गया है कि कफ सिरप मानकों के अनुरूप नहीं था. इस बीच, बच्चों के माता-पिता का दर्द उनकी बातों में साफ झलक रहा है.
परिजनों का दर्द और डॉक्टर पर सवाल
अदनान के पिता मोहम्मद अमीन खान ने बताया कि हम बच्चे को डॉ. सोनी के यहां लेकर गए थे. तबीयत बिगड़ने पर उन्होंने दवा चेंज की. 26 तारीख को उल्टी चालू हो गई. 27 को उन्होंने इलाज किया. टाइफाइड का ट्रीटमेंट किया. फिर पेशाब रुक गया. फायदा नहीं हुआ तो हम अदनान को छिंदवाड़ा ले गये. वहां पता लगा कि किडनी में इन्फेक्शन हो गया है. उसके बाद नागपुर में 7-8 दिन भर्ती रहा. 7 तारीख को उसका निधन हो गया. किडनी फेल होने का कारण क्या था, ये कोई नहीं बता पाया.
पहले बुखार, फिर किडनी फेल
उसैद के पिता यासीन खान ने भी बताया कि बच्चे को 20-25 दिन पहले फीवर आया था. दवा देने से उसमें आराम हो गया था, लेकिन पेशाब रुक गया था. हम छिंदवाड़ा के सरकारी अस्पताल में लेकर गए, लेकिन वहां ध्यान नहीं दे रहे थे. इसके बाद नागपुर लेकर गए. वहां किडनी इन्फेक्शन बताया. डायलिसिस किया गया. उसके बाद ब्रेन में सूजन आ गई और डेथ हो गई. डॉक्टर ने कहा था कि ये सब क्यों हुआ, कारण नहीं पता लग रहा है.
विकास के माता पिता ने बताया कि बच्चे को नॉर्मल बुखार था. डॉ सोनी के पास ले गये. उन्होंने देखकर दवा लिख दी. बच्चे को गोली खिलाई तो उलटी कर दी. इसके बाद डॉक्टर ने इंजेक्शन लिख दिया. हम विकास को घर ले आए. टॉयलेट किया तो सिर्फ 2 बूंद आया. उलटी हो गई. डॉक्टर को फिर से दिखाया तो उन्होंने बोला कि छिंदवाड़ा में सरकारी अस्पताल ले जाएं. बोतल चढ़ाई लेकिन आराम नहीं मिला तो नागपुर लेकर आए.
स्वास्थ्य मंत्री बोले, सैंपल में जहरीले तत्व नहीं
जांच और कार्रवाई को लेकर प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग अलग अलग बयान दे रहे हैं. स्वास्थ्य मंत्री राजेन्द्र शुक्ल ने कहा कि जो सैंपल भेजे गए, उसमें कोई ऐसे तत्व नहीं मिले हैं जिससे कहा जा सके कि इन दवाओं की वजह से ही मौत हुई है. जो बाकी दवाएं हैं, उनकी रिपोर्ट बाकी है. बच्चों की मौत का सही कारण क्या है, इस बारे में भारत सरकार की लैब की रिपोर्ट प्राप्त करने के प्रयास किए जा रहे हैं. वहीं मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने कहा कि हम पूरी संवेदनशीलता से कार्रवाई कर रहे हैं. हर विभाग कोई भी शिकायत मिलने पर तुरंत कार्रवाई करता है. जहां तक बच्चों की मौत का सवाल है तो हेल्थ डिपार्टमेंट मामले की जांच और कार्रवाई कर रहा है.
SDM ने माना, किडनी इन्फेक्शन हुआ था
उधर दूसरी तरफ परासिया के एसडीएमशुभम यादव का कहा है कि बायोप्सी रिपोर्ट से साफ हो गया है किडनी इन्फेक्शन ही था. सभी बच्चे 5 साल के करीब उम्र के थे. बीमारियों के कॉमन कारण जैसे कि गंदा पानी, चूहे, मच्छर सबकी जांच कराई गई है. उन्होंने कहा कि पहले गाम्बिया में भी ऐसी घटना सामने आई थी. बुखार के बाद किरेटिनिन बढ़ रहा था. 2022 में डायथिलीन ग्लायकॉल का संक्रमण मिला था. कार्रवाई के सवाल पर एसडीएम यादव का कहना था कि कार्रवाई तो तब होगी जब ये साबित होगा कि गलती उन्हीं की थी. अभी हम बचाव के मोड में हैं. हमने संबंधित दवा की बिक्री रुकवा दी है. जांच के लिये सैंपल भेजे गए हैं.
मौत की वजह इंडस्ट्रियल सॉल्वेंट?
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के वरिष्ठ संयुक्त संचालक डॉ प्रभाकर तिवारी का कहना है कि ऐसा लगता है कि किडनी फेल होने से बच्चों की मौत हुई है. बच्चों की रीनल बॉयोप्सी हुई है, जिससे पता लगा है कि टॉक्सिक तत्वों की वजह से किडनी फेल हुई है. उन्होंने बताया कि इन मौतों के पीछे एक कॉमन चीज कफ सिरप है, जिसमें एक इंडस्ट्रियल सॉल्वेंट डीईजी सामने आया है. डीईजी एक इंडस्ट्रियल सॉल्वेंट है, जिसका इस्तेमाल पेंट इंडस्ट्री में भी होता है. डीईजी मिले सिरप से उल्टी, दस्त के साथ दो-तीन दिन में ही पेशाब आना बंद हो जाता है और किडनी फेल भी हो सकती है.
बच्चों की मौत का जिम्मेदार कौन?
बहरहाल, सरकार ने कफ सिरप के पूरे बैच पर रोक लगा दी है. दिल्ली में CDSCO, पुणे में वायरोलॉजी इंस्टीट्यूट और एमपी सरकार ने 9 सैंपलों की जांच करवाई है. किसी सैंपल में कुछ संदिग्ध नहीं मिलने का दावा किया गया है. राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (NCDC) भी मामले की जांच कर रहा है. मौत का पहला संदिग्ध मामला 24 अगस्त को सामने आया था और पहली मौत 7 सितंबर को हुई थी. अब तक 9 बच्चे छिंदवाड़ा में जान गंवा चुके हैं, लेकिन किसी बच्चे का पोस्टमॉर्टम नहीं हुआ है. पोस्टमॉर्टम दो तरह से होता है- मेडिकोलीगल और पैथोलॉजिकल. प्रशासन का कहना है कि कोई पुलिस केस दर्ज नहीं हुआ. लेकिन ये एक तथ्य है कि 9 बच्चे अब तक जान गंवा चुके हैं. सवाल ये है कि इन मौतों की जिम्मेदारी किसकी है.